ऐतिहासिक राम मंदिर का भूमि पूजन, विकास दुबे का एनकाउंटर, जानें यूपी के लिए कैसा रहा साल 2020
लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लिए साल 2020 जहां अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के भूमि पूजन की ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना, वहीं यह कोरोनावायरस (Coronavirus Pandemic) रूपी अभूतपूर्व आपदा और हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार तथा हत्या मामले (Hathras Case) की तपिश भी छोड़ गया. राज्य में इसके साथ ही ‘लव जिहाद' को रोकने के लिए लाया गया अध्यादेश तथा बिकरू कांड भी काफी सुर्खियों में रहा. राज्य में लगभग पूरा साल कोविड-19 महामारी के साए में गुजरा.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लिए साल 2020 जहां अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के भूमि पूजन की ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना, वहीं यह कोरोनावायरस (Coronavirus Pandemic) रूपी अभूतपूर्व आपदा और हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार तथा हत्या मामले (Hathras Case) की तपिश भी छोड़ गया. राज्य में इसके साथ ही ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए लाया गया अध्यादेश तथा बिकरू कांड भी काफी सुर्खियों में रहा. राज्य में लगभग पूरा साल कोविड-19 महामारी के साए में गुजरा.
रोजाना किसी न किसी तरह से यह मुसीबत मीडिया की सुर्खियों में रही, लेकिन इसी कालखंड में कुछ ऐसे घटनाक्रम भी हुए जिन्होंने कोरोना वायरस की चर्चा को कुछ वक्त के लिए ही सही, मगर पीछे धकेल दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया जाना भी ऐसी ही घटनाओं में शामिल है. मोदी ने गत पांच अगस्त को अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का भूमि पूजन किया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आये इस ऐतिहासिक क्षण को टेलीविजन पर करोड़ों लोगों ने देखा.
प्रधानमंत्री पिछले महीने देव दीपावली समारोह में हिस्सा लेने के लिए एक बार फिर अयोध्या पहुंचे और सरयू में टिमटिमाते दीयों की अनोखी छटा के साक्षी बने. राम मंदिर के भूमि पूजन के ऐतिहासिक क्षण के बाद भी अयोध्या सुर्खियों में बनी रही. लखनऊ की एक विशेष अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती समेत 32 आरोपियों को बरी कर दिया.
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अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा मंदिर निर्माण कार्य की प्रक्रिया शुरू किए जाने के बीच बाबरी मस्जिद के बदले अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए दी गई जमीन पर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट गठित किया गया. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक इस संस्था ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सरकार से मिली पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, एक शोध संस्थान, लाइब्रेरी और सामुदायिक रसोई जैसी सुविधाएं तैयार करने का निर्णय लिया है. फाउंडेशन ने पिछले दिनों मस्जिद तथा अन्य प्रस्तावित सुविधाओं की डिजाइन सार्वजनिक की. धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद परंपरागत डिजाइन से अलग हटकर होगी.
विकास दुबे एनकाउंटर
जुलाई में कानपुर जिले का बिकरू गांव घात लगाकर किये गये हमले में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की घटना से थर्रा उठा. गत दो-तीन जुलाई की दरमियानी रात गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर उसके गुर्गों ने छत से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं, जिसमें एक पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. इसके बाद हुई पुलिस कार्रवाई में विकास के पांच साथी मुठभेड़ में मारे गये. बिकरू कांड के लगभग एक हफ्ते बाद नौ जुलाई को दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया और 10 जुलाई की सुबह कानपुर लाते वक्त एसटीएफ के साथ कथित मुठभेड़ में वह मारा गया.
हाथरस कांड से दहल उठा उत्तर प्रदेश
सितंबर माह में हाथरस जिले के चंदपा इलाके के एक गांव में 20 साल की एक दलित युवती से कथित सामूहिक बलात्कार की घटना ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए असहज स्थितियां पैदा कर दीं. गत 14 सितंबर को हुई इस घटना की शिकार लड़की ने करीब 14 दिन बाद दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया. जिला प्रशासन ने कथित रूप से परिवार की मर्जी के बगैर देर रात लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया. इस घटना को लेकर व्यापक प्रतिक्रिया हुई. पूरे देश में जगह-जगह इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए.
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इस विरोध ने राजनीतिक रंग भी लिया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ-साथ बड़ी संख्या में विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की. हाथरस की घटना के बाद प्रदेश में जगह-जगह ऐसी ही कुछ और घटनाएं भी सामने आईं. विपक्षी दलों ने इन घटनाओं को लेकर भाजपा सरकार पर हमले जारी रखे लेकिन प्रदेश की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव में फिजा नहीं बदली. भाजपा ने इन सात में से छह सीटों पर कब्जा बरकरार रखा जबकि एक सीट सपा के खाते में गई.
NRC और CAA भी साल भर बना रहा मुद्दा
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में राजधानी लखनऊ तथा कई अन्य जिलों में हुई हिंसक घटना के बाद प्रदेश सरकार ऐसी घटनाओं में निजी तथा सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए एक सख्त कानून लेकर आई. इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गयी है. राज्य सरकार का एक अध्यादेश भी खासा विवादास्पद रहा.
सरकार कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक अध्यादेश लेकर आई, जिसमें छल, कपट या जबरन धर्म परिवर्तन कराये जाने के खिलाफ कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. नवंबर में इस अध्यादेश के लागू होने के बाद प्रदेश में जगह-जगह अंतरधार्मिक विवाहों को चुनौती दी गई और मुकदमे दर्ज किये गये.
कोरोनावायरस ने किया सबसे ज्यादा परेशान
पूरे साल कोविड-19 की चुनौती सबसे विकराल रही. प्रदेश में कोविड-19 के करीब छह लाख मामले सामने आए जिनमें से 8,000 से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई. हालांकि संक्रमण और मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश का रिकॉर्ड कुछ अन्य राज्यों से बेहतर रहा. लॉकडाउन के दौरान 35 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश स्थित अपने घरों को लौट आए. प्रदेश सरकार ने आपदा को अवसर में बदलने का इरादा जाहिर करते हुए इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए अलग से आयोग गठित किया.UP कैडर के 4 IPS अफसर बनेंगे ADG, यहां देखें सूची
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लॉकडाउन से पहले फरवरी में उत्तर प्रदेश ने अब तक के सबसे बड़े ‘डिफेंस एक्सपो’ की मेजबानी की, जिसमें दुनिया की विभिन्न कंपनियों के बीच अनेक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये. इन समझौतों से करीब 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है और इससे करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. लखनऊ नगर निगम ने इस साल एक बड़ी उपलब्धि हासिल की और उसके बॉन्ड को मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया. मुख्यमंत्री ने परंपरागत तरीके से घंटी बजाकर इसकी शुरुआत की.
नोएडा में बनेगा देश का सबसे बड़ा फिल्म सिटी
मुख्यमंत्री ने नोएडा में देश की सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनाने का ऐलान भी किया और इसके लिए मुंबई जाकर फिल्मी हस्तियों तथा निवेशकों से मुलाकात की. फिल्म सिटी को लेकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों के बीच जुबानी जंग भी हुई. हालांकि योगी ने कहा कि उनका इरादा मुंबई की फिल्म सिटी को समाप्त करना नहीं है. वह यूपी में भी फिल्म सिटी बनवाना चाहते हैं.
Posted By: Amlesh Nandan.