उत्तर प्रदेश में डिस्टलरी लगा रहे बड़े निवेशक, सरकार की नीतियों से बदल रही गन्ना किसान और चीनी उद्योग की सूरत

Uttar Pradesh, Government policies, Sugar industry, Distillery unit : लखनऊ : प्रदेश सरकार के प्रयासों तथा निवेश को बढ़ावा देने संबंधी नीतियों ने सूबे में गन्‍ना किसानों और चीनी उद्योग दोनों की सूरत बदली है. इसके चलते जहां निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों ने करोड़ों रुपये का निवेश कर पेराई क्षमता का विस्तार किया है, वहीं, अब बड़े बड़े कारोबारी 1250.44 करोड़ रुपये का निवेश कर राज्य में 16 नयी डिस्टलरी (आसवनी) लगा रहे हैं.

By Kaushal Kishor | June 23, 2021 7:54 PM
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लखनऊ : प्रदेश सरकार के प्रयासों तथा निवेश को बढ़ावा देने संबंधी नीतियों ने सूबे में गन्‍ना किसानों और चीनी उद्योग दोनों की सूरत बदली है. इसके चलते जहां निजी क्षेत्र की 11 चीनी मिलों ने करोड़ों रुपये का निवेश कर पेराई क्षमता का विस्तार किया है, वहीं, अब बड़े बड़े कारोबारी 1250.44 करोड़ रुपये का निवेश कर राज्य में 16 नयी डिस्टलरी (आसवनी) लगा रहे हैं. डालमिया ग्रुप द्वारा लगायी डिस्टिलरी में उत्पादन भी शुरू हो गया है. शेष बची 15 डिस्टिलरी में इस वर्ष के अंत तक उत्पादन शुरू हो जायेगा.

यह पहला मौका है, जब राज्य में इतनी बड़ी संख्या में डिस्टिलरी लगाने में निवेशकों ने रुचि दिखायी है. डिस्टलरी स्थापित कर रहे निवेशकों में डीसीएम श्रीराम, पारले बिस्कुट्स, बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड जैसे कई जाने-माने लोग शामिल हैं. इन निवेशकों ने सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर ही राज्य में निवेश किया है.

मालूम हो कि पिछली सरकार में इन निवेशकों ने राज्य में डिस्टलरी लगाने में रुचि नहीं दिखायी थी. पिछली सरकारों में एक के बाद एक बंद होती चीनी मिलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी नीतियों और रणनीति के जरिये ना सिर्फ दोबारा शुरू कराया, बल्कि यूपी को देश में चीनी उत्पादन में नंबर वन बना दिया है. वैसे भी उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक गन्ना उत्पादक राज्य है.

देश के गन्ने के कुल रकबे का 51 फीसदी, उत्पादन का 50 फीसदी और चीनी उत्पादन का 38 फीसदी उत्तर प्रदेश में होता है. देश में कुल 520 चीनी मिलों में से 119 उत्तर प्रदेश में हैं. करीब 48 लाख गन्ना किसानों में से 46 लाख से अधिक किसान मिलों को अपने गन्ने की आपूर्ति करते हैं. यहां का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है.

प्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या अधिक होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना और चीनी उद्योग को बढ़ावा देना अपनी प्राथमिकता में रखा. उन्होंने राज्य में गन्ना तथा चीनी उद्योग के विकास को लेकर तैयार खाका तैयार कराया. इससे यूपी में 11 चीनी मिलों की पेराई क्षमता में बढ़ोतरी हुई. बंद पड़ी वीनस, गगलहेडी और बुलंदशहर की चीनी मिलों को शुरू किया गया. राज्य में गन्‍ने के साथ ही चीनी उद्योग को भी नयी ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी के तहत यह कार्य हुआ. इसका सीधा लाभ किसानों को मिला.

अब डिस्टलरी लगाने के लिए कई निवेशक आगे आये हैं. अधिकारियों के अनुसार, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड ने हरदोई में डिस्टिलरी लगायी है. इसमें उत्पादन होने लगा है. इसके अलावा सुपीरियर बायोफ्यूल्स लिमिटेड ने शामली, करीमगंज बायोफ्यूल्स लिमिटेड ने रामपुर, अजुधिया बायोफ्यूल्स लिमिटेड ने बिलारी, महाकौशल एग्रीक्राप इंडिया लिमिटेड ने प्रयागराज के शंकरगढ़, यदु शुगर मिल ने बदायूं, आरती डिस्टलरी ने कानपुर देहात, फारएवर डिस्टलरी ने देवरिया, माल्ब्रोस इंटरनेशनल ने शाहजहांपुर, राजश्री फाइन केमिकल्स ने शाहजहांपुर, इंडियन पोटास लिमिटेड ने मुजफ्फरनगर, पारले बिस्कुट प्राइवेट लिमिटेड ने बहराइच, बलरामपुर चीनी मिल लखीमपुरखीरी में डिस्टलरी यूनिट लगा रहे हैं.

करीब 1250.44 करोड़ रुपये का निवेश कर लगायी जा रही डिस्टलरी यूनिट का लाभ किसानों और चीनी उद्योग दोनों को मिलेगा. यहीं नहीं, इन डिस्टलरी के शुरू होने से एथनाल उत्पादन में प्रदेश सबसे अव्वल स्थान पर आ जायेगा. अब भी एथनाल उत्पादन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. वर्ष 2017-18 से 31 जनवरी, 2021 तक 54 डिस्टलरीज के जरिये प्रदेश में कुल 261.72 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ है, जो एक रिकॉर्ड है.

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