UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है. पहले चरण में पश्चिमी यूपी की अधिकांश सीटों पर मतदान होगा, जिसे लेकर बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इसका सबूत इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
पश्चिमी यूपी में जाट काफी संख्या में रहते हैं. उन्होंने किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. ऐसा माना जा रहा है कि जाट इस बार बीजेपी से नाराज हैं. कई जगहों पर बीजेपी उम्मीदवारों को जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में बीजेपी ने अब हरियाणा के जाट नेताओं और पार्टी के रिश्तेदारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है. यह सभी लोग जाट समुदाय को बीजेपी के पक्ष में करने की कोशिश करेंगे.
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दरअसल, पश्चिमी यूपी के जाट समुदाय के लोगों के रिश्तेदार हरियाणा में रहते हैं. बीजेपी इसी का फायदा उठाना चाह रही है. वह हरियाणा के जाट नेताओं को भी यूपी के सियासी रण में उतार रही है. इसी कड़ी में उसने हरियाणा बीजेपी के नेता और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी है. कैप्टन अभिमन्यु पश्चिमी यूपी में गृहमंत्री अमित शाह की हर रैली में नजर आ रहे हैं. इसके अलावा, बीजेपी सांसद परवेश वर्मा के दिल्ली स्थित घर में वह पश्चिमी यूपी के जाट नेताओं की बैठक कराने में भी सफल रहे.
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अगर 2017 की बात करें तो उस समय बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की करीब 80 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पश्चिमी यूपी की करीब 40 सीटें ऐसी रही, जहां जाट निर्णायक भूमिका में हैं. उनका प्रभाव करीब 100 विधानसभा सीटों पर माना जाता है. किसान आंदोलन, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन ने बीजेपी आलाकमान की टेंशन और बढ़ा दी है. वह जाट नेताओं की नाराजगी दूर करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैत ताकि वह 2017 के इतिहास को दोहरा सके.
जाट समुदाय के वोटबैंक का ही असर है कि बीजेपी के पास तीन जाट सांसद और 14 विधायक हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 जाट नेताओं को टिकट दिया है. ऐसे में वह इन्हें अपने पक्ष में करने की भरपूर कोशिश कर रही है.