Lucknow News: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मंथन किया जा रहा है. मुद्दा है, ब्राह्मण वोटबैंक का. प्रदेश में होने वाले चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए की जा रही इस कवायद पर सबकी नजर है. इसी बीच सूबे के योगी सरकार में कानून मंत्री का पदभार संभाल रहे बृजेश पाठक का कहना है कि ब्राह्मणों ने हमेशा भाजपा को वोट दिया है और इस बार भी साथ निभाएगा.
दरअसल, प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं को लेकर सभी राजनीतिक दल कोई न कोई रणनीति अपनाए हुए हैं. इस कोर वोट को अपने खेमे में करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं. यहां तक की दलितों के अधिकारों के लिए आवाज मुखर करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी ब्राह्मण मतदाताओं पर विशेष ध्यान दे रही है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्य रणनीतिकार एवं राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र भी प्रदेश में जगह-जगह जनसभाओं का आयोजन करते हुए ब्राह्मण वोटबैंक पर हक मजबूत करने की दावेदारी कर रहे हैं. वहीं, प्रदेश में होने वाले चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने भी हाल ही में ब्राह्मणों के आराध्य भगवान परशुराम की भव्य मूर्ति की स्थापना करने के अपनी रणनीति को उजागर कर दिया है.
राजनीतिक गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ भले ही संत परम्परा को जी रहे हैं मगर वह एक क्षत्रिय हैं. ऐसे में उनकी विरोधी दलों ने छवि क्षत्रिय प्रेमी बना रखी है. हालांकि, विभिन्न मंचों पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस छवि को विपक्षी दलों का शिगूफा करार दिया है. ऐसे में प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए भाजपा संगठन विशेष रणनीति पर मंथन-चिंतन कर रहा है.
इसी क्रम में सोमवार 27 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भाजपा प्रेसीडेंट जेपी नड्डा के आवास पर ब्राह्मण वोटबैंक को अपने खेमे में करने के लिए मंत्रणा की जा रही है. बैठक में की गई चर्चाओं को लेकर यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक का ने मीडिया को एक बयान दिया है, ‘ब्राह्मण वोट भाजपा के साथ हैं. ब्राह्मणों ने हमेशा भाजपा को ही वोट दिया है. विपक्ष ने हमेशा ब्राह्मणों को सताया है. ब्राह्मण समाज किसी धोखे में न पड़े.’
उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मण मतदाता का हमेशा से बोलबाला रहा है. सूबे में बतौर जनसंख्या भले ही इनका प्रतिशत 8 से 10 परसेंट हो मगर इनका असर प्रदेश में काफी मायने रखता है. प्रदेश के विधानसभा चुनाव के इतिहास में भी ब्राह्मण वोटबैंक हमेशा से ही सत्ता बनाने और सत्तसीनों का समीकरण बिगाड़ने में अहम रोल अदा करता रहा है. बकौल वरिष्ठ चुनावी रणनीतिकार ब्राह्मण समाज अन्य जातियों के एकजुट होकर वोट दिलाने के समीकरण को भी काफी प्रभावित करता है. हालांकि, काफी अरसे से यही माना जाता रहा है कि ब्राह्मण वोटबैंक पर सबसे पहली दावेदारी भाजपा की है.
पार्टी के शीर्षस्थ सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में ब्राह्मण वोटर्स पर दावेदारी पक्की करने के लिए 16 कमेटियों का गठन किया गया है. इन 16 कमेटियों पर नियंत्रण करने के लिए 4 चार कमेटी अलग से बनाई गई हैं. इन कमेटियों को प्रदेश में ब्राह्मण बहुल क्षेत्रों में पार्टी का प्रचार करने के साथ ही योगी सरकार की क्षत्रियप्रेमी वाली छवि को भी बदलने की जिम्मेदारी दी गई है.