आखिर अजय मिश्र टेनी पर कार्रवाई करने से क्यों हिचक रहा हाईकमान ? नफा-नुकसान के आकलन में जुटी BJP!
Lakhimpur Kheri Violence: अजय मिश्रा टेनी को हटाने को लेकर बीजेपी आलाकमान नफा-नुकसान का आकलन कर रही है. बताया जा रहा है कि हाई कमान को चुनावी साल में टेनी की बर्खास्तगी से तराई इलाकों में सीट खिसकने का डर सता रहा है.
लखीमपुर हिंसा के बाद एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के साथ ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के इस्तीफे की मांग को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक सियासी हंगामा शुरू हो गया है. वहीं बीजेपी हाईकमान ने टेनी के इस्तीफे पर चुप्पी साध ली है. गृह राज्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में गतिरोध बना हुआ है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि इतनी फजीहत के बाद भी हाई कमान टेनी पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
अजय मिश्र टेनी के बारे में जानिए– बीजेपी के जिला महासचिव से राजनीतिक करियर की शुरूआत करने वाले गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ की पहचान एक ब्राह्मण नेता के रूप में है. टेनी लखीमपुर खीरी से दो बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. वे पहली बार 2012 में निघासन सीट से विधायक बने थे. इलाके में अजय मिश्र ‘टेनी’ को लोग ‘टेनी महाराज’ के नाम से संबोधित करते हैं.
आखिर कार्रवाई से क्यों हिचकिचा रही है बीजेपी हाईकमान- लखीमपुर खीरी हिंसा में शुरूआती जांच में अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के नाम आने के बाद भी बीजेपी हाईकमान उन्हें हटाने से क्यों हिचकिचा रही है? सियासी गलियारों में रह सवाल मौजूं हो गया है. वहीं बीजेपी हाई कमान के चुप्पी पर भी विपक्ष सवाल उठा रही है.
दरअसल, टेनी को हटाने को लेकर बीजेपी आलाकमान नफा-नुकसान का आकलन कर रही है. बताया जा रहा है कि हाई कमान को चुनावी साल में टेनी की बर्खास्तगी से तराई इलाकों में सीट खिसकने का डर सता रहा है. इतना ही नहीं, चुनाव से पहले ब्राह्मण वोट बैंक पर भी असर हो सकता है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस इलाके से अजय मिश्र ‘टेनी’ आते हैं. वो नेपाल से सटा इलाका माना जाता है. इसे यूपी में तराई बेल्ट कहा जाता है. तराई के अन्तर्गत पीलीभीत, सुल्तानपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर और शाहजहांपुर जिले आती है. इन जिलों में विधानसभा की करीब 42 सीटें हैं, जिसमें बीजेपी को पिछले चुनाव में 37 सीटों पर जीत मिली थी.
इतना ही नहीं, तराई बेल्ट में ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है. बताया जाता है कि यहां पर आजादी के बाद पलायन हुआ, तो सिख भी आ बसे. जिसके बाद से इस इलाके में सिख वर्सेज ब्राह्मण की राजनीति चलती है. ऐसे में बीजेपी आलाकमान को डर है कि अगर अजय मिश्र ‘टेनी’ पर कार्रवाई की गई, तो ब्राह्मण नाराज हो सकते हैं.
रूतबा देख एक्शन लेती है बीजेपी हाईकमान- अजय मिश्र ‘टेनी’ से पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए, जब बीजेपी हाईकमान ने एक्शन लेने में देरी की. पिछले साल ही विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मामले में भी बीजेपी की काफी किरकिरी हुई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद पार्टी एक्शन में आई और सेंगर को पार्टी से निलंबित कर दिया.
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