Kanpur News: खास बात यह है कि इस तरह की नाव पूरे देश में सिर्फ कानपुर में ही बनाई जाती है. कानपुर के इसी घाट से देश के कई हिस्सों में नाव की सप्लाई की जाती है. कारीगरों ने बताया कि टीन की नाव बनाने के लिए अलग तरह की कारीगरी की जरूरत होती है जो लकड़ी से बनने वाली नाव से बिल्कुल अलग होती है. सरसैया घाट में नाव को बनाने के लिए लोग इसलिए मिल जाते हैं क्योंकि यहां पर रहने वाले कई पीढियां से नाव को बनाने का कार्य कर रहे हैं.आज भी लकड़ी और टीन से बनी नाव सिर्फ कानपुर में ही मिलती है. नाव बनाने का सीजन सिर्फ 3 से 4 महीने का होता है. नदियों में जलस्तर बढ़ने पर नाव की डिमांड बढ़ जाती है.
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Kanpur News: कानपुर में बनती है टीन की नाव, यहा से होती है देश के कई हिस्सों में सप्लाई
Kanpur News: कानपुर का सरसैया घाट शहर के सबसे पुराने घाटों में एक है. यहां रहने वाले 50 से अधिक परिवार पिछली कई पीढियां से नाव बनाने का कार्य करते हैं. नाव बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि यहां पर बनने वाली नाव अलग तरह की होती है. नाव में लकड़ी के साथ ही लोहे की टीन की चादर लगाई जाती है.
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