Women Reservation Bill: मायावती का समर्थन के साथ 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग, कहा- SC-ST को मिले अलग कोटा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण में ओबीसी और एससी और एसटी का कोटा अलग से निर्धारित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसमें एससीएसटी, ओबीसी का कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए. आबादी के हिसाब से 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का उनकी पार्टी तहे दिल से स्वागत करेगी.

By Sanjay Singh | September 19, 2023 2:26 PM

Women Reservation Bill: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल को लेकर समर्थन जताया है. मायावती ने मंगलवार को कहा कि हमें उम्मीद है इस बार ये बिल पास हो जाएगा, जो लम्बे समय से टलता आ रहा हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण दिया जाता है तो हमारी पार्टी इसका भी स्वागत करेगी.

बसपा सुप्रीमो ने महिला आरक्षण में ओबीसी और एससी और एसटी का कोटा अलग से निर्धारित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इसमें एससीएसटी, ओबीसी का कोटा सुनिश्चित किया जाना चाहिए. आबादी के हिसाब से 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का उनकी पार्टी तहे दिल से स्वागत करेगी. एससीएसटी, ओबीसी की महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए, उनका अलग कोटा होना चाहिए.

मायावती ने कहा उन्हें दोनों संसद के दोनों सदनों में जाने का मौका मिला है यह उनके लिए सौभाग्य की बात है. आज से नवनिर्मित संसद भवन की भी शुरुआत की जा रही है, जिसका उनकी पार्टी दिल से स्वागत करती है. उन्होंने कहा कि आज इस नए संसद भवन में केंद्र सरकार द्वारा महिला आरक्षण बिल प्रस्तुत करने की चर्चा है, जिसका बसपा सहित अधिकांश दल समर्थन करेंगे.

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बसपा पहले से करती रही है महिलाओं के आरक्षण की मांग

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को पूरी उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार यह महिला आरक्षण बिल जरूर पास हो जाएगा, जो यह अभी तक लंबे समय से लटका हुआ था. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में उनकी अपनी पार्टी की ओर से कई बार संसद में कहा गया था कि हमारी पार्टी यह चाहती है कि देश की महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण 33 प्रतिशत देने के बजाय यदि उनकी आबादी को भी ध्यान में रखा जाए और 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है, तो इसका भी हमारी पार्टी तहे दिल से स्वागत करेगी. सरकार इसके बारे में जरूर सोच विचार करें.

आरक्षित वर्ग के आरक्षण को लेकर दी दलील

मायावती ने कहा कि लेकिन इसके साथ-साथ हमारी पार्टी ने यह भी कहा था कि महिलाओं को जो भी आरक्षण दिया जाता है तो उसमें से एससी एसटी और ओबीसी वर्गों की महिलाओं का आरक्षण का कोटा अलग से सुनिश्चित किया जाना चाहिए. अर्थात इन्हें यानी एससी एसटी को अब तक मिल रहे आरक्षण के कोटा में शामिल नहीं किया जाए, क्योंकि बात यह चल रही है कि लोकसभा और विधानसभाओं में जो कि पहले से एसटी-एसटी को आरक्षण मिला हुआ है, उसमें से इन्हें कोटा दिया जाए. मायावती ने कहा कि इसलिए हमारी पार्टी इसके पक्षधर में नहीं है कि महिलाओं को एससी एसटी को जो रिजर्वेशन लोकसभा और विधानसभाओं में मिल रहा है, उसमें से इनको कोटा दिया जाए, यह ठीक नहीं है.

अलग से आरक्षण नहीं दिया जाना होगी नाइंसाफी

मायावती ने स्पष्ट ने किया इनका आरक्षण बना रहे और जो अब 33 प्रतिशत दिया जा रहा है उसमें से इनकी व्यवस्था होनी चाहिए. वरना इन वर्गों के साथ काफी नाइंसाफी होगी. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर इन सभी वर्गों की पिछड़े वर्ग की महिलाओं को सामान्य सीटों पर जल्दी से मौका नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि क्योंकि यहां पर जातिवादी दल शुरू से ही इन वर्गों को किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ता नहीं देखना चाहती हैं.

आज भी शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में काफी पिछड़ा है वर्ग

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भारतीय संविधान के मूल निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने, इन्हें स्वाभिमान की जिंदगी बसर करने और इन्हें सरकारी नौकरियों, राजनीति आदि में अलग से आरक्षण देने की व्यववस्था की थी. इन वर्गों के लोग यहां सदियों से जातिवादी व्यवस्था के तहत शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए थे जो अभी भी पिछड़े हुए हैं.

नहीं बदली जातिवादी मानसिकता

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बसपा यह चाहती है कि इन वर्गों की महिलाओं के लिए आज पेश किए जाने वाले महिला आरक्षण बिल में अलग से आरक्षण की व्यवस्था जरूर की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है और यह बिल वर्तमान में ऐसे ही पास कर दिया जाता है तो फिर हमारी पार्टी यह मानकर चलेगी कि इस मामले में भी बीजेपी और कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी के लोगों की जातिवादी मानसिकता अभी तक नहीं बदली है और यह दल इन वर्गों को अभी भी पिछड़ा बनाए रखना चाहती हैं.

नहीं होनी चाहिए राजनीति

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यह भी सर्वविदित है कि इस बिल में इनकी सीटें निर्धारित करने को लेकर जो भी मापदंड तय किए जाएंगे और सीटें बढ़ाई जाएंगी, उसमें किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए. उसमें पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए. इसके साथ ही इसे समय से लागू किया जाना चाहिए.

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