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UP Election 2022 : सहारनपुर में मायावती का जुबानी हमला, कहा- BJP की सरकार दमनकारी, SP गुंडों वाली पार्टी

मायावती ने कहा कि दलित-मुस्लिम के साथ ब्राह्मणों का वोट लेने के लिए बीजेपी ने दमनकारी नीति अपनाई थी. उन्होंने समाजवादी पार्टी को गुंडों का दल करार दिया. उन्होंने कहा कि सपा सरकार में बेकसूरों को जेल भेजा गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | February 6, 2022 6:50 AM
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा, सपा, कांग्रेस और रालोद पर कई जुबानी हमले किए. नागल टपरी रोड पर मायावती ने करीब 30 मिनट का भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि दलित और मुस्लिम के साथ ब्राह्मणों का वोट लेने के लिए बीजेपी ने दमनकारी नीति अपनाई थी. उन्होंने समाजवादी पार्टी को गुंडों का दल करार दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सपा सरकार में बेकसूरों को जेल भेजा गया था.

अपने संबोधन में मायावती ने जिक्र किया कि कांग्रेस ने बाबा साहब आंबेडकर को भारत रत्न देकर सम्मानित नहीं किया. आप वोट का सही उपयोग करेंगे तो आपको भाजपा की तानाशाही और जातिवादी सरकार से मुक्ति मिल जाएगी. सपा सरकार में 2013 में मुजफ्फरनगर में दंगे हुए. सपा सरकार ने दंगों को हवा दी और बेकसूरों को जेल भेज दिया. गुनहगार खुलेआम घूमते रहे. मुजफ्फरनगर दंगों से जाटों के साथ मुस्लिमों को नुकसान हुआ था. इससे हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को भी नुकसान पहुंचा है.

कांग्रेस के दलित और आदिवासियों के प्रेम को मायावती ने नाटक करार दिया. उन्होंने कहा जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो दलित प्रेम याद नहीं आई. महिलाओं की फिक्र नहीं की. बीजेपी सरकार में आम जनता परेशान है. बसपा सरकार बनी तो हर व्यक्ति का विकास किया जाएगा. जाति और धर्म के आधार पर फर्क नहीं किया जाएगा. सभी के कल्याण और रोजगार का ध्यान रखा जाएगा. किसी को भी किसी तरह की परेशान नहीं होने देंगे. हम सही मायने में ‘सबको साथ लेकर सबका विकास’ करेंगे.

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मायावती ने सपा पर तंज कसा कि उसने मुस्लिमों को साइड लाइन कर दिया है. सहारनपुर में किसी भी बड़े मुस्लिम चेहरे को टिकट नहीं दिया है. समाजवादी पार्टी को समझना चाहिए कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान उनकी जेब में नहीं हैं. मुस्लिम का समर्थन उसको मिलेगा, जो उन्हें आगे बढ़ने का मौका देगा. उन्होंने कहा कि शब्बीरपुर कांड का मामला उन्होंने सदन में उठाया था. इसके लिए उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र भी दी थी. उस समय की सरकार ने राज्यसभा में बोलने से रोक दिया था.

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