Budget 2024: केंद्रीय बजट की सीएम योगी ने की तारीफ, अखिलेश यादव ने कहा नाउम्मीदी का पुलिंदा
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लगातार सातवां बजट पेश किया. उन्होंने बजट पेश करने के मामले मोरार जी देसाई का रिकार्ड तोड़ा.
लखनऊ: केंद्र सरकार के 2024-25 के आम बजट की सत्ता पक्ष जहां तारीफ कर रहा है. वहीं विपक्ष ने इसे भ्रमित करने वाला बताया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा है कि ये बजट 140 करोड़ देश वासियों की आशाओं, आकांक्षाओं और अमृतकाल के सभी संकल्पों को सिद्ध करने वाला है. वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि ये बजट नाउम्मीदी का पुलिंदा है और दु:ख इस बात का है कि इंसान इसमें भी जिंदा है.
विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का आर्थिक दस्तावेज
सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी, विकासोन्मुखी है. आम बजट 2024-25 ‘विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का आर्थिक दस्तावेज है। इसमें अंत्योदय की पावन भावना, विकास की असीम संभावना और नवोन्मेष की नव-दृष्टि है. इस बजट में गांव, गरीब, किसान, महिला, नौजवान समेत समाज के सभी तबकों के समग्र विकास का संकल्प, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दृष्टि और वंचित को वंचना से मुक्त कराने का रोडमैप है. मध्यम वर्ग को बड़ी राहत प्रदान करते हुए प्रत्यक्ष कर प्रणाली के संबंध में नए प्राविधानों की घोषणा स्वागत योग्य है. उन्होंने लिखा है कि ‘नए भारत’ को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और विश्व का ग्रोथ इंजन बनाने का मार्ग प्रशस्त करते इस लोक-कल्याणकारी बजट के लिए प्रधानमंत्री का हृदय से आभार और केंद्रीय वित्त मंत्री का हार्दिक अभिनंदन.
अखिलेश बोले किसान के लिए संकट पैदा किया, बेरोजगारी बढ़ाई
वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि जो सवाल पहले थे महंगाई बेरोजागारी और सपने दिखाए गए थे, वो बने हुए हैं. यूपी में निवेश की हालत क्या रही है? जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं कोई भी समय पर पूरा नहीं हुआ है. सरकार बचानी है तो बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है. लेकिन उत्तर प्रदेश जो प्रधानमंत्री देता है, वहां के किसान के लिए कोई बड़े फैसले किए गए हैं. किसान की फसल की पैदावार, उसकी कीमत के लिए कोई इंतजाम किए गए हैं. पहले कहा गया था कि मंडी और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए लाखों करोड़ रुपये हैं. यदि वो इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ था तो इसका मतलब किसान की आय दोगुना होनी चाहिए थी. इन्होंने किसान के साथ संकट पैदा किया है. बेरोजगारी इन्होंने बढ़ाई है. 10 साल में इतनी बेरोजगारी बढ़ गई है कि उसको कम कैसे करें. दो साल की, एक साल या फिर ट्रेनिंग कराकर रोजगार का सपना दिखा रहे हैं. देश का नौजवान अपना भविष्य बनाने के लिए पक्की नौकरी चाहता है. जो आधी अधूरी नौकरी दे रहे हैं क्या उसमें आरक्षण होगा. अखिलेश यादव ने कहा कि इंटनर्शिप स्थाई नौकरी नहीं है.
ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिए ठीक नहीं बजट: राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि बजट कागजों में ठीक लगता होगा. लेकिन ग्रामीण पृष्ठभूमि के लिए ठीक नहीं है. इसका ज्यादा लाभ किसानों को नहीं होगा. कंपनियों को लाभ ज्यादा होगा. ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग की बात कही है, वो भी कोई न कोई कंपनी, एनजीओ लेगी और कहेगी हम किसानों को ऑर्गेनिक खेती सिखाएंगे. इसमें देखना है कि किस मद में पैसा जाएगा. किसानों को लाभ देना है तो उसकी फसल की कीमत देनी होगी. उसके लिए प्रावधान करना होगा. पानी फ्री दे दो, तो सीधा लाभ किसानों को मिलेगा. सस्ता फर्टिलाइजर दे दो, दवाइयां दे दो, या जितने कृषि उपकरण लगते हैं उसे सस्ता कर दो. सोलर पर सस्ता कर दो, बिजली सस्ता कर दो. किसानों को फायदा होगा.
एमएसपी गांरटी कानून दें तो किसान को फायदा
भाकियू नेता ने कहा कि ये फसलों का भाव देने की बात नहीं करते हैं. एमएसपी गारंटी कानून दे दो. ये कहो सब फसलें हम खरीदेंगे. नुकसान होगा तो उसकी भरपाई सरकार करेगी. यूपी बिहार में बाढ़ आई, क्या किसान की भरपाई हो रही है. क्लाइमेट चेंज हो रहा है, उस तरह की फसलें सरकार लेकर आ रही है. लेकिन उसमें जीएम बीज नहीं होने चाहिए. हमारे वैज्ञानिकों को कितना फंड दिया है. रिसर्च सेंटर के फंड काटते जा रहे हैं. क्या बाहर से किस्में लेकर बाहर से आएंगे. क्या वो मानव शरीर के लिए हानिकारक तो नहीं हैं? इन सब चीजों पर ध्यान रखना होगा.
मायावती बोलीं-ये बजट भी पुराने ढर्रे पर
बसपा प्रमुख मायावती ने बजट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ये बजट भी पुराने ढर्रे पर है. कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए अच्छे दिन की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है. देश में जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन है. यहां के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है. उन्होंने कहा है कि देश का विकास व लोगों का उत्थान आंकड़ों की भूल भुलैया वाला न हो. बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे, आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को महसूस भी हो. रेलवे का विकास भी अति-जरूरी है. सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे.