Explainer : solar energy वाले एक्सप्रेसवे से ऐसे बदल जाएगा बुन्देलखंड, जानें e-way से जुड़ी हर बात…
सूत्रों ने कहा कि सरकार एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर "सौर फार्म" (सौर पैनल) स्थापित करेगी. इसके लिए मुख्य कैरिजवे (सड़क मार्ग) और सर्विस रोड के बीच की जमीन पर उपयोग करने की योजना बना रही है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने बुन्देलखंड एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स लगाने के लिए 26 जुलाई को शुभारंभ कर दिया था. ,यात्रियों को 6 अलग-अलग टोल प्लाजा पर 600 रुपये से 3900 रुपये के बीच टोल टैक्स देना होगा, जो इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट से होकर गुजरेंगे. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2022 में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था तब से, कोई टोल टैक्स नहीं लगाया गया है. जनवरी 2023 में टोल वसूली के लिए टेंडर निकाले गए थे, उस समय केवल एक कंपनी ने आवेदन किया था. इस बार तीन कंपनियों ने रुचि दिखाई इनमें इंद्रदीप कंस्ट्रक्शन कंपनी सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के टोल संग्रह के लिए टेंडर जीता. कंपनी ने 68.38 करोड़ रुपये की बोली लगाकर टेंडर हासिल किया.
मुख्य कैरिजवे- रोड के बीच की जमीन पर लगेगा “सौर फार्म”
सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे पर पैनल बनाने की योजना बना रही है. चार लेन वाला यह बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे इटावा के पास लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से शुरू होता है. बीच में औरैया, हमीरपुर, जालौन, महोबा और बांदा से गुजरता हुआ बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले के भरतकूप पर समाप्त होता है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राज्य भर में सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करने की अपनी योजना के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को “सौर एक्सप्रेसवे” में बदलने का फैसला किया है. सूत्रों ने कहा कि सरकार एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर “सौर फार्म” (सौर पैनल) स्थापित करेगी. इसके लिए मुख्य कैरिजवे (सड़क मार्ग) और सर्विस रोड के बीच की जमीन पर उपयोग करने की योजना बना रही है.
पीपीपी मॉडल के तहत विकसित
इस योजना को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा. बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे को “सौर एक्सप्रेसवे” में तब्दील करने के लिए परियोजना की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने समय सीमा निर्धारित कर दी है. डेवलपर्स से 17 अगस्त तक ‘रुचि की अभिव्यक्ति’ (expression of interest) आमंत्रित की गईं हैं. सूत्रों ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य राज्य में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है और इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर पीपीपी मोड पर सौर पार्क के विकास की संभावना तलाशने और परियोजना की रूपरेखा को अंतिम रूप देने का आग्रह किया गया है.
रोड के बीच की भूमि की चौड़ाई 15-20 मीटर
चार-लेन वाले बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे को इस तरह विकसित किया गया है कि मुख्य कैरिजवे और सर्विस रोड के बीच की भूमि की चौड़ाई 15-20 मीटर है. यह कांटेदार तार की बाड़ से संरक्षित है. चूंकि पहले से मौजूद भूमि और कांटेदार तारें भी उस क्षेत्र को सुरक्षित करेंगी, जो मुख्य कैरिजवे और सर्विस रोड के बीच स्थित है. प्रारंभिक सर्वेक्षण में कांटेदार तार की बाड़ से संरक्षित इस भूमि को “सौर पैनल बिछाने” के लिए “सुरक्षित और उपयुक्त” माना गया है.
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का पहला ‘सौर एक्सप्रेसवे’ होगा
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का पहला ‘सौर एक्सप्रेसवे’ होगा. 296 किलोमीटर लंबे मार्ग के दोनों किनारों पर सौर पैनल लगाए जाएंगे. यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की सौर ऊर्जा नीति 2022 का हिस्सा है. सौर ऊर्जा नीति 2022 का हिस्सा है. इस नीति के तहत सरकार ने 2026-27 तक 22,000 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं का लक्ष्य हासिल करना तय किया है. नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता दिखाते हुए सरकार ने 17 अगस्त तक बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर सोलर पैनल लगाने के लिए निजी कम्पनियों को आमंत्रित किया है. चयनित कंपनियां सौर एक्सप्रेसवे परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए अपनी योजनाएं प्रस्तुत करेंगी.
एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक केंद्र स्थापित होंगे
एक्सप्रेसवे के पूरे हिस्से पर मुख्य कैरिजवे और सर्विस लेन के बीच खाली जगह पर सोलर पैनल लगाए जाने से इस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक केंद्र स्थापित होने में बड़ी सहूलियत होगी. गौरतलब है कि बुंदेलखण्ड एक्सप्रेसवे के जालौन और बांदा क्षेत्रों में औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है.
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे के बारे में सब कुछ
15 जुलाई 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया. यह भारत के सबसे बड़े राज्य-उत्तर प्रदेश में 296 किमी लंबा 4 लेन एक्सप्रेसवे है. फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चित्रकूट जिले में इसका शिलान्यास किया था. इसके अलावा, 2018 में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बुंदेलखण्ड एक्सप्रेसवे का नाम अटल पथ रखने का निर्णय लिया. यह एक्सप्रेसवे राज्य के कम विकसित जिलों का विकास के पथ पर ले जाने वाली परियोजना है. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण(UPEIDA ) इस परियोजना का विकास कर रहा है.
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे की यह हैं विशेषता :
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यह प्रदेश में सबसे तेजी से बनने वाला एक्सप्रेसवे है. इसका निर्माण 28 महीने में कर लिया गया था.
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इसके निर्माण को लागत योजना से 12.6% कम पर पूरा कर लिया गया.
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स्ट्रेच वे के साथ-साथ वर्षा जल संचयन के गड्ढे (वॉटर हार्वेस्टिंग) बनाये गए हैं.
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एक्सप्रेसवे को छह लेन तक विस्तारित किया जा सकता है
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यह उन क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधि की जीवन रेखा के रूप में काम करेगा जहां से एक्सप्रेसवे गुजरता है
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इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह कई पर्यटन स्थलों का घर है
एक्सप्रेसवे की मुख्य विशेषताएं हैं:
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18 फ्लाईओवर
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14 बड़े पुल
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6 टोल प्लाजा
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7 रैंप प्लाजा
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4 रेलवे ओवर ब्रिज
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266 छोटे पुल
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे से इस क्षेत्र को मिलेगा सीधा लाभ
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यह यूपी के अविकसित जिलों को आपस में जोड़ेगा. ऐसे जिलों को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से दिल्ली एनसीआर से जोड़ेगा.
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दिल्ली और चित्रकूट के बीच यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर 8 घंटे हो जाएगा.
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सुगम और तेज गति वाले यातायात कर गलियारा
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कृषि, हथकरघा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, वाणिज्य, पर्यटन और शिक्षा क्षेत्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 5000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी.
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इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी क्योंकि यह चित्रकूट से जुड़ता है, जहां भगवान राम ने 14 साल बिताए थे.
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे का यह है मार्ग
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के सात जिलों से होकर गुजरता है. इसे इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट जैसे जिलों को जोड़ने के लिए बनाया गया है. इन जिलों के बीच में बागेन, केन, श्यामा, चंदावल, बिरमा, यमुना, बेतवा और सेंगर जैसी नदियां बहती हैं. एक्सप्रेसवे आगे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से दिल्ली एनसीआर से जुड़ जाएगा. यह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से भी जुड़ता है. इससे दिल्ली एनसीआर और चित्रकूट के बीच यात्रा का समय मौजूदा 14 घंटे से घटकर 8 घंटे हो जाएगा.
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए 7000 करोड़ की मंजूरी
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1500 करोड़ रुपये है. इसमें परियोजना के लिए भूमि की लागत भी शामिल है. परियोजना को छह सिविल पैकेजों में विभाजित किया गया है, और इनमें से प्रत्येक डेवलपर को एक निश्चित बजट दिया गया. न्यूनतम टेंडर लागत अनुमानित लागत से करीब 12.72% कम हो गई है. इससे यूपीईआईडीए को लाभ हुआ है. एक्सप्रेसवे के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा 2019 में 7000 करोड़ रुपये की फंडिंग को मंजूरी दी गई थी.
बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे: रियल एस्टेट पर प्रभाव
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2022 में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया; तब से, यह रियल एस्टेट विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है. पिछले वर्ष में हमीरपुर, आगरा और इटावा जैसे क्षेत्रों के आसपास संपत्ति (भूमि)की दरों में 15% से 20% की वृद्धि हुई है. भारत सरकार एक्सप्रेसवे के किनारे कई रेस्तरां, होटल और पेट्रोल पंप स्थापित करने की योजना बना रही है. कई डेवलपर्स ने कई आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाएं विकसित करना शुरू कर दिया है. बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे से धार्मिक पर्यटन को लाभ होगा. रोजगार के अधिक अवसर आकर्षित होंगे. बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे पर जालौन और बांदा में दो कॉरिडोर बनाये जा रहे हैं. यह कॉरिडोर डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से अलग हैं.