Yogi govt 2.0: योगी की नई कैबिनेट से मिशन 2024 को साधने की है योजना, हर क्षेत्र और वर्ग के चेहरों पर नजर

योगी आदित्यनाथ की नई कैबिनेट में शामिल करते समय बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी से लेकर अवध और बुंदेलखंड तक क्षेत्रीय जनाधार वाले नेताओं को मौका दिया जाए. इसके लिए वह 2022 के परिणामों को पूरी तरह से भुनाने का प्रयास कर रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 21, 2022 8:21 AM

Yogi Govt 2.0 : प्रदेश में दोबारा योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने वाली है. 25 मार्च को शपथ ग्रहण की तैयारी भी अंतिम चरण में है. ऐसे में मंच पर योगी की नई कैबिनेट में किन चेहरों को मौका दिया जाएगा, इसे लेकर कयास का दौर चल रहा है. हालांकि, प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्रियों का चुनाव करने में मिशन 2024 की झलक साफ दिखेगी. युवाओं और महिलाओं को भी प्राथमिकता देकर जनता को विशेष संदेश देने की तैयारी की जा रही है.

क्या है भाजपा का कैबिनेट प्लान?

पार्टी के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल में सामान्य वर्ग के साथ पिछड़ी, अति पिछड़ी और दलित वर्ग की प्रमुख जातियों को मौका देने की तैयारी की जा रही है. यही नहीं कैबिनेट में शामिल करते समय बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी से लेकर अवध और बुंदेलखंड तक क्षेत्रीय जनाधार वाले नेताओं को मौका दिया जाए. इसके लिए वह 2022 के परिणामों को पूरी तरह से भुनाने का प्रयास कर रही है. होली के त्योहार से पहले दिल्ली में हुई मैराथन बैठक के संदर्भ में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए अहम चर्चा की है. इसमें ही हर क्षेत्र और वर्ग के चेहरों को कैबिनेट में शामिल करने का खाका बनाया गया है.

2022 के परिणामों को भुनाने की कोशिश

दरअसल, यूपी में ऐसा तकरीबन 35 साल बाद हो रहा है जब कोई मुख्यमंत्री लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हो सका है. ऐसे में भाजपा की पुरजोर कोशिश है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी को तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठाए. बैठक में पिछड़े वर्ग की जातियों में जाट, गुर्जर, कुर्मी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी, शाक्य, यादव, लोधी और राजभर समाज के नेताओं को मैाका देने पर सहमति बनी है. इससे इतर दलित वर्ग में पासी, जाटव, कोरी, धोबी, खटीक एवं वाल्मीकि समाज के विधायकों को वरीयता दी जाएगी. इसके अलावा सवर्ण वर्ग के नेताओं को भी मौका देते हुए कैबिनेट में सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला लगाने की तैयारी है.

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