लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ”प्रदेश में रोजगार संकट है और नौजवान परेशान हैं, लेकिन मुख्यमंत्री झूठे आंकड़ों से लोगों को भ्रमित करते हैं और उन्हें अपनी दिव्य शक्ति से हकीकत को फसाना बना देना भी खूब आता है.”
सपा की ओर से जारी बयान में अखिलेश यादव ने कहा, ”प्रदेश में मनरेगा, माटी कला सहित जिन-जिन योजनाओं से रोजगार के अवसर सृजित करने की लंबी-चौड़ी डींगे हांकी जा रही हैं, वे सब स्वयं संकटग्रस्त हैं.
इनसे संबंधित लोग दो जून की रोटी के लिए भी तरस रहे हैं.” पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि खुद सरकारी ”वोकेशनल करियर सर्विस पोर्टल” बताता है कि सितंबर के मुकाबले अक्तूबर 2020 में ही रोजगार में 60 प्रतिशत गिरावट आयी है.
उन्होंने आरोप लगाया, ”भाजपा राज में मनरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं मिल रहा है. बदायूं में भुगतान वेबसाइट में खराबी आने के कारण उनके खातों में रुपये ट्रांसफर नहीं हुए. मनरेगा में काम करके चार पैसे मिलते तो घर का काम चलता पर सरकारी तंत्र ने तो उनकी दीवाली ही फीकी कर दी हैं, इनमें प्रवासी मजदूरों की हालत सबसे ज्यादा दयनीय है.”
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में प्रदेश में नयी नौकरियां दिखी नहीं और पुरानी फैक्टरियां भी बंद हो गयीं, जबकि कर्मचारियों की लॉकडाउन में ही छंटनी हो गयी थी. उन्होंने कहा कि आज भी तमाम लोग काम पाने के लिए भटक रहे हैं और चौराहों पर श्रमिकों की सुबह लगनेवाली भीड़ रोजगार के सरकारी दावो की पोल खोलती है.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार समाज के सभी वर्गों के हितों को चोट पहुंचा कर उसको रोजी-रोटी के लिए तरसा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि साल 2022 में भाजपा को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.