Merry Christmas: कैथेड्रल चर्च में प्रभु यीशु के जन्म का उल्लास, देखें फोटो
राजधानी के चर्च क्रिसमस की पूर्व संध्या पर रंगबिरंगी रोशनी से डूब हुए थे. कैरल गीत की मधुर लहरियां गूंज रही थी. 24-25 दिसंबर की आधी रात को जैसे ही प्रभु यीशु ने जन्म लिया, बधाईयों का दौर शुरू हो गया. राजधानी लखनऊ के सेंट जोजफ कैथेड्रल चर्च में हजारों की संख्या में लोगों ने कैंडिल जलाए.
लखनऊ में नाव के आकार का बना सेंट जोजफ कैथेड्रल चर्च क्रिसमस के मौके पर रंगबिरंगी रोशनी से नहाया हुआ था. हर तरफ कैरल संगीत की धुन गूंज रही थी. चर्च के ऊपर बने क्रॉस पर एक तारा जगमगा रहा था. जो संदेश दे रहा था कि प्रभु यीशु जन्म लेने वाले हैं.
कैथेड्रल चर्च में क्रिसमस के मौके पर हर जाति धर्म के लोगों की भीड़ रही. प्रभु यीशु का सभी ने स्वागत किया. कैंडिल जलायी. परिवार सहित लोग सेंटा की टोपी लगाकर मस्ती करते दिखे.
कैथेड्रल चर्च में लोगों ने कैंडिल जलाकर अपनी विश मांगी. छोटे-छोटे बच्चे सेंटा की कैप पहने हुए थे. हर तरफ उल्लास का वातावरण था. प्रभु यीशु के जन्म के बाद लोगों ने एक दूसरे को बधाईयां दी.
Also Read: अखिलेश यादव ने फ्रांस में भारतीयों के रोके जाने पर कसा तंज, स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी के लिए बने सिरदर्दरंगबिरंगी रोशनी वाली लाइट से सजा कैथेड्रल चर्च अलग ही छटा बिखेर रहा था. क्रॉस पर एक तारा भी जगमगा रहा था. एक तरफ मदर मैरी की मूर्ति भी रोशन थी. जहां लोग कैंडिल जला रहे थे. वहीं युवा इस माहौल को सेल्फी से साथ संजो रहे थे.
हजरतगंज स्थित सेंट जोजफ कैथेड्रल चर्च में शाम से ही लोगों की भीड़ हो गयी थी. ईसाई समुदाय के लोग प्रभु यीशु के जन्म के स्वागत की तैयारियों में लगे थे. वहीं अन्य लोग इस मौके का गवाह बनने के लिये कैथेड्रल चर्च के परिसर में जमे हुए थे.
Also Read: अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एयरपोर्ट की नई तस्वीरें जारी, इस विमान से उतरेंगे पीएम मोदी, जानें किरायाराजधानी का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज में सबसे बड़े कैथेड्रल चर्च की स्थापना 1860 में हुई थी. हालांकि, इसका वृहद स्वरूप 1977 नजर आया. भारतीय और इटेलियन आर्किटेक्ट की कल्पना को मूर्त रूप देने वाला यह चर्च नाव के आकार सा नजर आता है, जो इसे बेहद खास बनाता है.
लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में बने चर्च भी क्रिसमस के मौके पर रंगीन रोशनी से सजे हुए थे. हर जगह प्रभु यीशु के जन्म की तैयारियां की गयी थी.
कैथेड्रल चर्च में प्रभु यीशु के जन्म के बाद उनके प्रतीक को फादर चरनी में रखने के लिये ले गये. इस दौरान ईसाई समाज के प्रमुख लोग भी मौजूद थे. कैथेड्रल चर्च परिसर में ही झांकी भी सजाई गयी थी.
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