UP Cabinet Decision: UP Cabinet Decision: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक (UP Cabinet Meeting) में 32 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.
बैठक में उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग का गठन को भी मंजूरी मिली है. एक अध्यक्ष और 12 सदस्यों की कमेटी होगी और इसका मुख्यालय प्रयागराज में रहेगा. राज्य सरकार के अधीन ऐतिहासिक इमारतों को 90 साल की लीज पर आवंटित करने का फैसला किया गया है. उत्तर प्रदेश बाटा टूरिज्म स्पोर्ट पॉलिसी 2023 को मंजूरी मिली है. पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि हेरिटेज भवन को होटल, रिसोर्ट, म्यूजियम के रूप में डेवलप करने के लिए देंगे.
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग और किसान दोनों ही हाईटेक होने जा रहे हैं. अब फसलों का सर्वे ऑनलाइन किया जाएगा. प्रदेश के 21 जिलों में डिजिटल क्रॉप सर्वे को योगी कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी दे दी है. खरीफ सत्र में एग्रीटेक योजना के तहत पड़ताल का कार्य भारत सरकार के विकसित मोबाइल एप के माध्यम से डिजिटल रूप में किया जाएगा.
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे को भारत सरकार ने इसी वर्ष से शुरू किया है. इसके तहत 12 राज्यों के भीतर काम चल रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है. प्रदेश में किसानों की फसलों को लेकर अभी तक सही आंकड़े नहीं आ पाते थे. आमतौर पर फसल कितने एरिया में लगी है और अन्य डाटा सही तरीके से नहीं मिल पाता था. अब यह डिस्टल क्रॉप सर्वे से इस काम में सुविधा होगी.
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उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 21 जनपदों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है. इन जनपदों में भदोही, संत कबीर नगर, औरैया, महोबा, हमीरपुर, सुलतानपुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मीरजापुर, मुरादाबाद, जालौन, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, अयोध्या, चंदौली, झांसी, बस्ती, हरदोई, देवरिया और गोरखपुर शामिल हैं.
इन जनपदों में शत-प्रतिशत डिजिटल क्रॉप सर्वे कराया जा रहा है. इसके अलावा शेष 54 जनपदों के भीतर 10-10 राजस्व ग्राम इसमें शामिल किए जाएंगे, जिनके भीतर यह डिजिटल क्रॉप सर्वे पायलट प्राजेक्ट के तौर पर चलाया जाएगा. विस्तृत खबर बन रही है…
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कैबिनेट से स्वीकृत हुए पर्यटन से संबंधित प्रस्तावों के विषय के बारे में बताया कि उत्तर प्रदेश में विंध्य व बुंदेलखंड क्षेत्रों में पहाड़ियां, हिमालय के तराई क्षेत्र में लगभग 16,620 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र के साथ अनेक सुंदर परिदृश्य, वन विस्तार, बहती नदियों और लुभावने सुंदर झरने, बांध, जलाशय एवं झीलें होने के चलते प्रदेश में जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा एवं जल क्रीड़ा की काफी संभावनाएं हैं. इसी को देखते हुए प्रदेश में हम इसकी नीति को लेकर आए हैं, जिसे मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिल गई है. यह नीति राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से 10 वर्षों के लिए वैध होगी.
इस नीति के अंतर्गत कार्यवाही के लिए नोडल एजेंसी मंडल स्तर पर एडवेंचर स्पोर्ट यूनिट का सृजन करेगी. एडवेंचर स्पोर्ट्स यूनिट में पूर्व सैनिकों को सम्मिलित करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के साथ एमओयू हस्ताक्षरित करेगा.
नोडल एजेंसी द्वारा अधिसूचित भूखंड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा के लिए क्षमता का अध्ययन कराया जाएगा तथा प्रत्येक भूखंड क्षेत्रों एवं जल स्रोतों पर जल आधारित पर्यटन एवं साहसिक क्रीड़ा के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे. नीति के जारी होने के 60 दिनों के अंदर नोडल एजेंसी एक विस्तृत एसओपी तैयार करेगी.
इसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में योगी कैबिनेट ने कुछ और बड़े कदम उठाए हैं. इसके अंतर्गत पर्यटन विभाग के बंद पड़े, घाटे में चल रहे या फिर असंचालित पर्यटक आवास गृहों को पीपीपी मोड पर विकसित व संचालित किए जाने को भी मंजूरी प्रदान की गई.
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि प्रदेश में पर्यटन विभाग द्वारा लगभग 86 राही पर्यटक आवास गृह संचालित थे. इनमें से 31 को पीपीपी मोड पर विकसित करने के लिए अनुमोदन प्रदान किया गया था. इनमें से 10 को ई टेंडरिंग के आधार पर बेस प्राइज से भी अच्छी बिड प्राप्त हुई है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई.
इनमें सोनौली महाराजगंज, बटेश्वर आगरा, गोकुलधाम मथुरा, कालिंजर बांदा, राधाकुंज मथुरा, सांडी हरदोई, नीमसार सीतापुर, देवगढ़ ललितपुर एवं भदोही में राही पर्यटक आवास गृह सम्मिलित हैं. इन्हें पहली बार 30 साल के लिए और फिर 30 साल रिन्यूअल और 2 साल कंस्ट्रक्शन के लिए यानी कुल 62 वर्षों के लिए लीज पर दिया जाएगा.
इसके अलावा प्रदेश की हेरिटेज बिल्डिंग्स को पीपीपी मॉडल पर हेरिटेज टूरिज्म यूनिट्स के रूप में विकसित किया जाएगा. इन्हें हेरिटेज होटल, हेरिटेज म्यूजियम, हेरिटेज रेस्टोरेंट, होम स्टे, थीमैटिक पार्क, मॉल एक्टिविटी सेंटर,वेलनेस सेंटर समेत अन्य टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी के रूप में विकसित किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई.
इसमें 9 हेरिटेज बिल्डिंग्स को चिह्नित किया गया है. इनमें छतरमल लखनऊ (9.88 एकड़), चुनार किला मिर्जापुर (21.64 एकड़),बरुआसागर किला झांसी (7.39 एकड़), कोठी गुलिस्तां ए-इरम लखनऊ (1.35 एकड़), कोठी दर्शन विलास लखनऊ (1.35 एकड़), कोठी रोशन-उद-दौला लखनऊ (1.7 एकड़), बरसाना जल महल मथुरा (1 एकड़), शुक्ला तालाब कानपुर (6.90 एकड़) और टिकैत राय बिठूर कानपुर (0.217 एकड़) को संवारा जाएगा.
योगी मंत्रिपरिषद ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक 2023 को भी मंजूर किया है. उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा एवं मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि अभी तक प्रदेश में शिक्षकों के चयन के लिए अलग-अलग चयन बोर्ड एवं आयोग विद्यमान थे, लेकिन अब इसकी जगह उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग लेगा.
इसके प्रभावी होने पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड विघटित हो जाएंगे. यह एक निगमित निकाय होगा, जिसका मुख्यालय प्रयागराज में होगा. इस आयोग में राज्य सरकार द्वारा 12 सदस्यों और एक अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी. अध्यक्ष और सदस्य 3 वर्ष के लिए या 65 वर्ष की आयु तक जो भी पहले हो, पद धारण करेंगे.
प्रदेश में फार्मा उद्योग और मेडिकल डिवाइस पार्क को प्रोत्साहित किया जाएगा. निवेशकर्ताओं को ऋण में कई तरह की छूट मिलेगी. हर साल एक करोड़ रुपये की अधिकतम सब्सिडी दी जाएगी. इसके तहत सात वर्ष तक भूमि खरीदने के लिए लेने वाले ऋण पर वार्षिक ब्याज में 50 फीसदी की ब्याज प्रतिपूर्ति दी जाएगी. इसी तरह 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क में शत प्रतिशत छूट, भूमि खरीद, शेड व भवन के पट्टे पर 100 फीसदी स्टांप शुल्क में छूट दी जाएगी. इस संबंध में उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग नीति 2023 तैयार की गई है. इसे कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई है.
प्रदेश में पहले से फार्मास्युटिकल उद्योग नीति 2018 लागू है. इस नीति का समय जून 2023 में समाप्त हो गया था. ऐसे में बदली परिस्थितियों को देखते हुए नए सिरे से नीति तैयार की गई है. इसे उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग नीति 2023 नाम दिया गया है. इसमें निवेशकों की दृष्टिकोण से कई तरह के प्रावधान किए गए हैं. इसके जरिए प्रदेश में फार्मा एवं चिकित्सा उपकरण पार्कों और मेगा प्रोजेक्ट व लघु एवं मध्यम उद्योग (एसएमई) को बढावा देने का प्रयास किया गया है.
नई नीति में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे अनुसंधान, आयुष और स्टार्टअप को भी बढ़ावा मिलेगा. निजी फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए लेने वाले ऋण पर वार्षिक ब्याज का 60 फीसदी तक प्रतिपूर्ति दी जाएगी. इसके लिए सात वर्ष के लिए प्रतिवर्ष 10 करोड़ और अधिकतम 50 करोड़ की प्रतिपूर्ति की जाएगी.
सामान्य सुविधाओं के लिए लिए गए ऋण पर पांच करोड़ रुपए प्रति वर्ष देने का प्रावधान है. इसे सात वर्ष के वार्षिक ब्याज के 60 फीसदी ब्याज की प्रतिपूर्ति और अधिकतम 30 करोड़ होगा. जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी. व्यक्तिगत खरीदारों द्वारा भूखंड की खरीद पर पहली बार स्टांप ड्यूटी में 50 प्रतिशत की छूट रहेगी.
इसी तरह बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत और अधिकतम 25 करोड़ रुपए दिए जाएंगे. यह सुविधा पांच वर्ष तक मिलेगी. लेकिन, सड़कों, पार्कों, जल निकासी की व्यवस्था को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा.
नई नीति में फार्मास्युटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग स्थापित करने के लिए इकाइयों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा. नई नीति में यह व्यवस्था की गई है कि संयंत्र एवं मशीनरी की खरीद के लिए लेने वाले ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में पांच वर्ष के लिए पांच प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सब्सिडी दी जाएगी. हालांकि, यह अधिकतम एक करोड़ होगी.
अहम बात यह है कि यदि बुंदेलखंड और पूर्वांचल में कोई इकाई स्थापित की जाएगी तो उसे दो प्रतिशत वार्षिक दर से अतिरिक्त ब्याज अनुदान सात वर्ष के लिए दिया जाएगा. निवेशकों द्वारा खुद के उपयोग के लिए अवसंरचना सुविधा के लिए ऋण लेने पर ब्याज की दर पांच फीसदी होगी. यह सात साल वर्ष के लिए दी जाएगी और अधिकतम एक करोड़ रुपए होगी.
औद्योगिक अनुसंसाधन एवं गुणवत्ता सुधार और उत्पादों के विकास के लिए लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में पांच वर्ष के लिए ब्याज में 50 फीसदी की छूट रहेगी. यह अधिकतम दो करोड़ रुपए होगी. संयंत्र एवं मशीनरी के निवेश पर निवेश मूल्य का 15 फीसदी और अधिकतम 200 करोड़ रुपए की पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी. यह पांच वर्ष तक किश्तों में दी जाएगी, जो इकाइयां चल रही हैं, उनमें नई पूजी निवेश के जरिए कम से कम 25 फीसदी तक अपने सकल ब्लॉक को बढ़ाने पर नई इकाई पर लागू होने वाले सभी प्रोत्साहन दिए जाएंगे.
नई नीति में यह व्यवस्था बनाई गई है कि सार्वजनिक उपयोग के लिए ईटीपी की स्थापना पर परियोजना लागत का 40 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी, जो अधिकतम 10 करोड़ होगी. वाटर रीसाइकिलिंग हार्वेस्टिंग और शून्य उत्प्रवाह तकनीकी के लिए लिए गए ऋण के ब्याज पर पांच वर्ष तक के लिए 50 फीसदी वार्षिक प्रतिपूर्ति दी जाएगी. यह अधिकतम 10 लाख होगी. सामान्य बायलर परियोजना के तहत स्थापा लागत के 35 प्रतिशत ठोस ईंधन के मामले में और 50 प्रतिशत स्वच्छ ईधन के मामले में सब्सिडी दी जाएगी. यह अधिकमतम दो करोड़ होगी.
नई नीति में अनुसंसाधन के लिए सहयोग दिया जाएगा. इसके तहत अनुसंधान आधारित परियोजनाओं को उनकी लागत का 30 फीसदी और अधिकतम पांच करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाएगी. परीक्षण पर कुल खर्च का 75 फीसदी और अधिकतम दो करोड़ रुपए दिए जाएंगे. अनुबंध आधारित परियोजनाओं में कुल लागत का 50 फीसदी और अधकितम दो करोड़ रुपए प्रति परियोजना मदद की जाएगी.
नई नीति में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए भी इंतजाम किए गए हैं. इसके तहत राष्ट्रीय अप्रेंटिस प्रमोशन स्कीम और मुख्यमंत्री अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम की तरह ही हर साल 10 प्रशिक्षु को छह माह के लिए स्टाइपेंड दिया जा सकेगा. पेटेंट फाइलिंग में अधिकतम 1.50 लाख और अंतर राष्ट्रीय पेटेंट में 25 लाख की मदद दी जाएगी. आयुष औरर फाइटोमेडिसिन के लिए वास्तविक पेटेंट फाइलिंग की पूरी लागत प्रतिपूर्ति की जाएगी.
गुणवत्ता की जांच और प्रमाणीकरण के 75 हजार रुपया प्रति इकाई और बीआईएस प्रमाणीकरण के लिए अधिकतम 20 हजार रुपए दिए जाएंगे. इसी तरह आयुष और फाइटोमेडिसनि निर्माण करने वाली इकाइयों को प्रमाणीकरण व्यय का शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी. निर्यात के लिए प्रमाणन व अनुमोदन आवेदन व्यय का 50 फीसदी प्रति यूनिट दिया जाएगा. लेकिन, यह 10 उत्पाद के लिए होगा और प्रति उत्पाद 25 लाख रुपए दिए जाएंगे.
नई नीति में पूजी अनुदान और इंक्यूबेटर की स्थापना के लिए सरकारी आयोजक को 75 फीसदी और अन्य को 50 फीसदी तक सहायता दी जाएगी. यह अधिकतम एक करोड़ रुपए रखी गई है. इसी तरह मेंटरशिप सहायता के तहत प्रति मेंटर दो लाख रुपए की सहायता दी जाएगी.
एमएसएमई इकाइयों को अंतरराष्ट्रीय मेला व प्रदर्शन में भाग लेने के लिए व्यय का 50 फीसदी और अधिकतम पांच लाख रुपए की मदद दी जाएगी. आयुष और फाइटोमेडिसिन के लिए एक वर्ष में मेले में हिस्सा लेने के लिए कुल व्यय का 75 फीसदी और अधिकतम पांच लाख रुपए की मदद की जाएगी. स्वदेशी मेले के लिए कुल व्यय का 50 फीसदी और अधिकतम दो लाख रुपये की मदद की जाएगी.
अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के लिए 40 मेगावाट की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना लगाई जाएगी. इसकी स्थापना सदर तहसील के ग्राम रामपुर हलवारा व सरायरासी में होगी. यहां की 165.10 एकड़ जमीन पर इस परियोजना की स्थापना की जाएगी. कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है.
अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां के पार्को से लेकर रोड लाइट को भी पूरी तरह से सोलर आधारित बनाया जा रहा है. अयोध्या के विभिन्न मार्गों पर सोलर ई रिक्शा चलाने की योजना है। इसके लिए सोलर चार्जिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं. सोलर सिटी को लंबे समय तक दुरुस्त रखने के लिए यहां 40 मेगावाट की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना लगाई जाएगी. इसे करीब 160 करोड़ की लागत से एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लगाएगी.
विद्युत निकासी का व्यय राज्य सरकार वहन करेगी, जिस पर करीब नौ करोड़ रुपया खर्च होगा. परियोजना के लिए ग्राम रामपुर हलवारा और ग्राम सरायरासी में 165.10 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है. यह जमीन एक रुपया प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से अधिकतम 30 वर्ष के पट्टे पर एनटीपीसी को उपलब्ध कराया जाएगा.
इस प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई है. परियोजना से उत्पादित ऊर्जा को टैरिफ प्लान के तहत पावर कॉरपोरेशन को बेचा जाएगा. इस परियोजना से हर वर्ष? करीब 70.08 मिलियन यूनिट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा. इसे अयोध्या शहर में उपयोग किया जाएगा. इसी तरह सरयू नदी के निकट अनुपयोगी जमीन का प्रयोग भी उत्पादक कर सकेगा. इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर भी तमाम लोगों को रोजगार मिलेगा.
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प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों को एडाप्टिव रीयूज के अंतर्गत सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल पर हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित किए जाने के संबंध में प्रस्ताव मंजूर.
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पर्यटन विभाग के बंद व घाटे में चल रहे असंचालित पर्यटक आवास गृह को पीपीपी मोड पर विकसित और संचालित करने के संबंध में प्रस्ताव मंजूर.
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उत्तर प्रदेश जल आधारित पर्यटन एवं सहायक क्रीड़ा नीति 2023 के संबंध में प्रस्ताव स्वीकृत.
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तहसील सदर जनपद लखीमपुर खीरी क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटन विभाग के नाम भूमि दर्ज कराए जाने के संबंध में प्रस्ताव स्वीकृत.
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उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक 2023 को पारित कराने के संबंध में प्रस्ताव मंजूर.
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अयोध्या शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने हेतु 40 मेगावॉट क्षमता की सोलर विद्युत उत्पादन परियोजना की स्थापना के लिए जनपद अयोध्या में भूमि की उपलब्धता के संबंध में प्रस्ताव मंजूर.
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उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति 2022 और उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा नीति 2022 के अन्तर्गत सौर ऊर्जा परियोजनाओं, जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए निवेशकों को भूमि उपलब्ध कराई जाने के संबंध में प्रस्ताव स्वीकृत.
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प्रदेश में वाहनों की तकनीकी स्वस्थता को सुनिश्चित किए जाने के प्रयोजनार्थ वाहनों की जांच हेतु स्वचालित परीक्षण स्टेशन (एटीएस) की स्थापना के लिए प्रस्तावित नई राज्य नीति के संबंध में प्रस्ताव स्वीकृत.
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कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट लखनऊ में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत सेंटर फॉर एडवांस्ड मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स एंड रिसर्च फॉर कैंसर प्रारंभ किए जाने के संबंध में प्रस्ताव मंजूर.
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पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान पार्क योजना के अंतर्गत टेक्सटाइल पार्क की स्थापना एवं भूमि हस्तांतरण प्रस्ताव मंजूर.
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उत्तर प्रदेश फार्मास्यूटिकल एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग नीति 2023 का प्रख्यापान के संबंध में प्रस्ताव स्वीकृत.
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जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अधिनियम 1958 का अग्रसर संशोधन करने के संबंध में प्रस्ताव मंजूर