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UP News: उत्तरकाशी टनल हादसे के श्रमिकों ने सीएम योगी से की मुलाकात, सुरंग में फंसे रहने पर बताए अपने अनुभव

लखीमपुर खीरी की निघासन तहसील के भैरमपुर गांव निवासी मंजीत के घर भी उसके आने के मौके पर जश्न का माहौल है. मंजीत की मां और दोनों बहनें अपने भाई और पिता का इंतजार कर रही हैं. मंजीत की मां चौधराइन ने बताया कि परिजन धूमधाम से स्वागत की तैयारी में जुटे हैं. मंजीत ने फोन पर अपने आने की जानकारी दी है.

Lucknow News: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के अपने घरों में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. पूरी तरह स्वस्थ होकर ये 41 श्रमिक में देश के अलग अलग राज्यों में अपने घरों में पहुंच रहे हैं. उत्तर प्रदेश के श्रमिक भी उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे थे. शुक्रवार को आठ श्रमिकों का समूह राजधानी लखनऊ पहुंचा. प्रदेश के अलग-अलग जिलों के इन श्रमिकों को डालीबाग स्थित अतिथि गृह में ठहराया गया है. इसके बाद इन्होंने सीएम आवास जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने उनसे टनल में फंसे रहने के दौरान की परिस्थितियां जानी और उनके जज्बे की प्रशंसा की. सीएम योगी ने सभी श्रमिकों के सकशुल बाहर आने पर प्रसन्ना जाहिर की. मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान श्रमिकों ने टनल में फंसे रहने के दौरान अपनी परिस्थितियों के बारे में बताया कि किस तरह वह रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे थे और एक जुट होकर अपने लोगों का हौसला बढ़ा रहे थे. श्रमिकों ने उन्हें बाहर निकालने के लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर सभी का आभार जताया. उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार उनकी चिंता करने, बाहर निकालने के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और हालचाल लेने पर प्रसन्नता जाहिर की. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी श्रमिकों को शॉल ओढ़ाया और तोहफा प्रदान किया और उनके स्वस्थ रहने की कामना की.

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में रहने वाले इन श्रमिकों को उनके घरों में भेजने का प्रबंध योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से किया गया है. इन श्रमिकों ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमने हिम्मत कभी नहीं हारी. सभी साथी एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे. हमें यकीन था कि हम बाहर जरूर आएंगे. सभी मजदूर अपने-अपने घर पहुंच कर दीवाली मनाएंगे. उनके टनल में फंस रहने के दौरान परिवार के लोग इस बार दीपावली की खुशियां नहीं मना पाए थे.

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लखनऊ पहुंचने पर सभी श्रमिकों के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिली. सभी श्रमिक अपने राज्य पहुंचने पर बेहद उत्साहित दिखायी दिए. राजधानी पहुंचे 8 श्रमिकों में से एक संतोष कुमार ने बेहद प्रसन्ना जाहिर की. उन्होंने कहा कि हम काफी अच्छा महसूस कर रहे हैं, हमें कोई परेशानी नहीं हो रही है. एक अन्य श्रमिक मंजीत ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने को लेकर खुशी जताई और कहा कि कभी सोचा नहीं था कि ऐसा संभव होगा.

लखीमपुर खीरी में मंजीत के घर स्वागत की तैयारी

लखीमपुर खीरी की निघासन तहसील के भैरमपुर गांव निवासी मंजीत के घर भी उसके आने के मौके पर जश्न का माहौल है. मंजीत की मां और दोनों बहनें अपने भाई और पिता का इंतजार कर रही हैं. मंजीत करीब 80 दिन बाद घर पहुंचेगा. मंजीत की मां चौधराइन ने बताया कि परिजन धूमधाम से स्वागत की तैयारी में जुटे हैं. मंजीत ने इससे पहले फोन पर बताया था कि स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान सेहत ठीक निकली है. कहा कि पिता समेत यूपी के जितने लोग हैं, वह सब एक निजी बस से लखनऊ पहुंचाए जा रहे हैं. मंजीत ने बताया कि उम्मीद है कि शुक्रवार दोपहर बाद तक अपनी मां के पास पहुंच जाएंगे. वहीं 17 दिन की दास्तां बताते हुए मंजीत भावुक हो उठे। कई बार कहा कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन मां और पिता की दुआओं ने बचा लिया.

मंजीत ने फोन पर परिजनों को बताया कैसे टनल में गुजारे दिन

मंजीत ने फोन पर बताया कि 17 दिन वह काजू, किशमिश, चना, बिस्किट आदि खाकर रहे. चार इंच के पाइप के जरिये खाद्य पदार्थ सुरंग में भेजे जाते थे. इसके लिए बाहर से पाइप में हवा का तगड़ा प्रेशर दिया जाता था, ताकि खाद्य पदार्थ सुरंग में हम लोग तक पहुंच जाएं. मंजीत ने फोन पर बताया कि सभी साथी मुश्किल वक्त में एक परिवार के तौर पर रहे। सब एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे. उन्होंने बताया कि खाने के बाद पीने के पानी के लिए टनल के पड़ोस एक पहाड़ से रिसता हुआ जल प्यास बुझाता था. जबकि, दैनिक क्रिया के लिए दूर टनल में जाते थे. जहां फंसे थे, वहां से दो किमी तक लंबी टनल थी. इसलिये वह खाली समय में वहां पर चहलकदमी करते थे. मंजीत ने बताया कि पहले तो पाइप के जरिये ही तेज आवाज में टनल के अंदर से चिल्लाकर बात करते थे. सुरंग के बाहर फोन रखा जाता था, जिससे दूसरे तरफ की आवाज पाइप के जरिये हम तक आती थी और बाद में हम लोग चिल्लाकर अपनी बात पाइप के माध्यम से सुरंग के बाहर रखे फोन को पहुंचाते थे। मंजीत ने बताया कि इसके बाद माइक्रोफोन की व्यवस्था की गई थी, जो पाइप के जरिये टनल में आता था और फिर हम लोग रेस्क्यू में लगे लोगों व परिवार वालों से बात करते थे.

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