लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महान शिक्षाविद थे.वह 33 वर्ष की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए थे.देश के विभाजन की त्रासदी को रोकने के लिए और पूरे बंगाल को अंग्रेजों की कुटिलता से बचाने में डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे राष्ट्र नायकों का बड़ा योगदान रहा है. उस दौरान अनेक सामाजिक गतिविधियों के साथ जुड़ने, प्रखर राष्ट्रवादी विचार का नेतृत्व प्रदान करने और देश के अंदर आजादी के पूरे आंदोलन के साथ सक्रिय सहभागिता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहचान बन गई थी. ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को हज़रतगंज के पार्क रोड स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में उनकी पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर कहीं.
सीएम ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक एवं अध्यक्ष के रूप में कार्य कर सरकार के तुष्टिकरण से जुड़े हुए उन सभी नीतियों का खुलकर विरोध किया. क्योंकि तत्कालीन सरकार की नीति भारत की एकता के लिए राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा कर सकती थीं. सीएम योगी ने कहा कि कश्मीर में उस समय आजादी के बाद कांग्रेस के अदूरदर्शिता के कारण लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही थी. ऐसे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के लिए अलग से विधान बनाने और उस समय जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री को अलग मान्यता देने के विरोध में देश को एक नारा दिया.
सीएम ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने नारा एक देश में दो प्रधान,दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे का था. इस नारे को उन्होंने आंदोलन और अभियान का रूप दिया. इस दौरान उनकी गिरफ़्तारी होती है. कश्मीर को बचाने और भारत की अखंडता के लिए उनका बलिदान आज भी जाना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में धारा 370 को सदैव के लिए समाप्त कर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया. कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पूर्व मंत्री मोहसिन रजा, विधायक डॉ. नीरज बोरा, राजेश्वर सिंह, योगेश शुक्ला आदि उपस्थित थे.