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अयोध्या की गलियों में गोलियों की आवाज नहीं रामधुन सुनाई देती है, अब कर्फ्यू की जगह होगा दीपोत्सव- सीएम योगी

अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलती हैं, बल्कि, दीपोत्सव होता है. आज की अयोध्या कर्फ्यू के दौर से नहीं गुजर रही है बल्कि राम नाम के संकीर्तन की गूंज से गुंजायमान हो रही है. सीएम योगी ने यह बात लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही.

By Sandeep kumar | January 17, 2024 10:40 AM
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं चलती हैं, बल्कि, दीपोत्सव होता है. आज की अयोध्या कर्फ्यू के दौर से नहीं गुजर रही है बल्कि राम नाम के संकीर्तन की गूंज से गुंजायमान हो रही है. उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या में होमस्टे शुरू करने के लिए अब तक 1,000 लोगों ने आवेदन किया है. होमस्टे कार्यक्रम के साथ लोगों के जुड़ने से एक तरफ जहां अतिथि देवो भवः का भाव व्यक्त होगा, वहीं, दूसरी तरफ यह लोगों की आजीविका का माध्यम बनेगा. सीएम योगी ने कहा कि नव्य अयोध्या में लोगों की श्रद्धा और विश्वास का भी सम्मान होगा. पर्यटकों को भी उनकी रुचि के अनुरूप वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर मिलेगा. साथ ही उन्हें वहां की पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा को देखने समझने और जानने का अवसर भी प्राप्त होगा. 30 दिसंबर के बाद से अलग-अलग डेस्टिनेशन के लिए अयोध्या की कनेक्टिविटी बढ़ती जा रही है. 17 जनवरी को अयोध्या से हम एक नई वायु सेवा प्रारंभ करने जा रहे हैं यानी अयोध्या अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि अयोध्या को नए स्वरूप में प्रस्तुत करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है. पीएम मोदी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से अयोध्या को बदलने में सफलता मिली है.

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आसानी से प्राप्त होंगे श्रीरामलला के दर्शन- सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत में राम के बिना कोई काम नहीं होता. बच्चे का जन्म, वैवाहिक कार्यक्रम में रामायण का पाठ होता है. दिन की शुरुआत राम नाम से होती है. सोते समय से भी राम का नाम लिया जाता है. परलोक सिधारने पर भी राम नाम का जाप होता है. उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी पावन स्थल के लिए लोगों ने शहादत दी होगी, ऐसा कभी नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ कुल में पैदा होने के बावजूद राम नाम से पीछा छुड़ाने वाले की मौत पशु समान हुई. राम के नाम मात्र से लोगों की आजीविका चलती है. आज भी रामकथा से लोग जुड़े होते हैं. रामलीलाओं में पूरा गांव, पूरा शहर उमड़ पड़ता है. राम आजीविका देते हैं, जीवन देते हैं और मुक्ति भी देते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार 821 एकड़ लैंड एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को उपलब्ध करा चुकी है. इसके दृष्टिगत हम सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं. आज अयोध्या केवल जनआस्था का केंद्र नहीं बल्कि लाखों लोगों के रोजगार का माध्यम बन रहा है. नई अयोध्या में नाविक, टैक्सी चालक, ई-रिक्शा चालक समेत हर तबके के व्यक्ति के लिए असीम संभावनाएं होंगी. अयोध्या को देश की पहली सोलर सिटी बनाने की दिशा में हमारी सरकार कदम आगे बढ़ा चुकी है. 200 इलेक्ट्रिक बसें अयोध्या सिटी के लिए उपलब्ध करवाई है. आने वाले समय में हम इसको 500 तक बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि अयोध्या के सांस्कृतिक उन्नयन के लिए हम लगातार कार्य कर रहे हैं. इसमें अयोध्या शोध संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. वेदों में वर्णित सप्तपुरियों में सबसे पहले अयोध्या की वंदना की गई है. अब अयोध्या अपने नाम के अनुरूप देखने को मिलेगी. लोगों को आसानी से श्रीरामलला के दर्शन प्राप्त होंगे.

वानर-भालू ही आज रामभक्त बनकर कर रहे रामकाज- भैया जी जोशी

वहीं श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के के वरिष्ठ संरक्षक सुरेश जोशी भैया जी ने कहा कि समाज में तब-तब जागरण हुआ है, जब-जब सामान्य व्यक्ति परिवर्तन की चाह लेकर खड़ा हुआ. 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा इसलिए मिल सकी, क्योंकि उसमें सामान्य जन ने एक भाव के साथ सहभागिता की. श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन को भी सामान्य जन ने ही खड़ा किया. राम ज्योति प्रज्ज्वलन हो या कि कारसेवा, अलग-अलग उपक्रमों से इतने लंबे समय तक आमजन ने आंदोलन को जागृत रखा. हर व्यक्ति के अंतःकरण में रामज्योति जलती रही. उन्होंने कहा कि भगवान राम के जीवन को देखें तो उनका पूरा जीवन संघर्षमय दिखता है. प्रारंभ में विश्वामित्र जी लेकर गए, तो बाद में वनवास हुआ और फिर न चाहते हुए भी लंका पर आक्रमण करना पड़ा. उस समय उनके साथ वानर सेना थी और आज लगता है कि वही वानर-भालू पुनर्जन्म लेकर फिर राम काज के लिए प्रस्तुत हैं. राम के जीवनकाल में भी कुछ उनके विरुद्ध थे, कुछ तटस्थ, आज भी कुछ वैसा ही है. आज 12 लाख रामभक्तों द्वारा रामलला के लिए वस्त्र तैयार करने का यह प्रयास भी रामकाज में गिलहरी योगदान जैसा है. उन्होंने इसके लिए सभी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा से एक बार फिर रावण संस्कृति नष्ट होगी और रामराज्य की पुनर्स्थापना होगी.

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