लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधान सभा में अटल बिहारी वाजपेयी की चर्चित कविता ”…हिंदू तन–मन, .हिंदू जीवन, रग–रग हिन्दू मेरा परिचय.” सुनाकर हिंदुत्व के एजेंडा को धार दे दी है. रामायण की आड़ में हिंदुत्व और हिंदुओं पर हमला बोलने वालों को आड़े हाथ लेते हुए मुख्यमंत्री ने सीधी चेतावनी दी कि भाजपा और योगी सरकार हिंदू धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी. विधान सभा में बजट सत्र के छठवें दिन अपने भाषण में सीएम योगी ने रामचरितमानस विवाद पर भी जवाब दिया.
सीएम योगी ने रामायण की उन चौपाइयों की आम बोलचाल की भाषा में व्याख्या कर लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि रामचरित मानस की जिन चौपाइयों पर विवाद खड़ा किया जा रहा है वह समाज को तोड़ने की जगह जोड़ती हैं. मुख्यमंत्री कहते हैं कि रामचरित मानस ने सदियों से हिंदू समाज को एकजुट रखा है. कुछ लोगों ने तुलसीदास का अपमान कर रामचरित मानस को फाड़ने का प्रयास किया. अगर यही बातें किसी अन्य धर्मग्रंथ के बारे में कही गईं होतीं तो न जाने क्या हो जाता ? सपा का नाम लेते हुए कहा कि आज जिसे देखो अपनी सुविधा और राजनीति के हिसाब से शास्त्रों को परिभाषित कर रहा है. सपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह पूरे समाज को अपमानित कराने पर आमादा है. सपा 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित कर रही है.
योगी आदित्यनाथ ने विधायकों को एक चौपाई में आने वाले शब्द “ताड़ना ” का अर्थ समझाते हुए कहा ताड़ना का अर्थ क्या होता है ? अवधी में कई बार कहा जाता है कि ‘ इतने देर से केहका ताड़त हो’. इसके बाद वह सवाल करते हैं कि क्या ताड़ने का अर्थ मारने से है. अपने भाषण के जरिये योगी ने सभी को इस बात का गर्व कराने की कोशिश की कि रामचरितमानस यूपी की धरती पर रचा गया है. इस बात को क्रोध के साथ कहा हिंदुओं का अपमान किया जा रहा है. अखिलेश यादव पर विरासत में मिली सत्ता का भोग करने का आरोप लगाया. कटाक्ष किया कि विरासत में सत्ता तो मिल सकती है लेकिन बुद्धि नहीं मिलती.
सीएम ने सदन को प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर की गयी मॉरीशस यात्रा का वृतांत सुनाकर यह बताया कि कैसे वहां के गिरमिटिया मजदूर रामचरित मानस का गुटका के जरिये अपने पुरखों की संस्कृति बचाकर रखे हैं.
मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार
डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार
रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास
मैं यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुआंधारय
फिर अन्तरतम की ज्वाला से, जगती में आग लगा दूं मैं
यदि धधक उठे जल, थल, अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय
हिंदू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय!..