कांग्रेस की ओबीसी कार्ड के जरिए भाजपा को चुनौती देने की रणनीति, सोशल इंजीनियरिंग को देगी धार, जानें प्लान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मामले में भाजपा को लगातार घेर रहे हैं. उनका कहना है कि जाति जनगणना के बाद आरक्षण बढ़ाकर सही लाभ दलित-पिछड़ों को मिल सकेगा. इसके लिए यूपी के सभी जिलों में जाति जनगणना की मांग को लेकर सम्मेलन शुरू हो गए हैं.
UP Politics: लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को मिशन 2024 से बड़ी उम्मीद हैं. पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार विपक्ष के इंडिया गठबंधन की सत्ता में वापसी तय है और कांग्रेस देश में सबसे मजबूत पार्टी बनकर सामने आएगी. इसके लिए पार्टी अपनी रणनीति पर काम कर रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में मिशन 80 के लिए उसने ओबीसी फैक्टर पर सबसे ज्यादा फोकस किया है. कांग्रेस इस वोट बैंक के जरिए भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की रणनीति पर काम कर रही है.
राहुल गांधी की अति पिछड़ों को साधने की कोशिश
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अति पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश में हैं. ये यूपी में करीब 30 फीसद हैं, तो वहीं देश में 20 फीसद से अधिक हैं. इन्हीं अति पिछड़ी जातियों को साधने के लिए राहुल गांधी ने धान की रोपाई करने वाले किसानों के खेतों में जाकर रोपाई की थी. इसके बाद दिल्ली की आजादपुर मंडी के सब्जी, फल विक्रेता, ट्रक ड्राइवर, कुली, बढ़ई आदि के बीच पहुंचे, जिससे अति पिछड़ों और आम आदमी तक पहुंच बनाई जा सके.
Also Read: UP Weather Update: पूर्वांचल को बारिश ने भिगोया, पश्चिमी यूपी से दूर हुए बादल, जानें इस सप्ताह मौसम का हाल
यूपी में 45 फीसदी ओबीसी आबादी
उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों की आबादी करीब 45 फीसदी बताई जा रही है. मगर, इसमें 25 फीसदी अति पिछड़ों की आबादी है. अपर ओबीसी के जाट मतदाता 2 फीसदी, यादव 6 फीसदी, कुर्मी 3 फीसदी हैं. इन जातियों के अखिलेश यादव, अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी आदि बड़े नेता हैं. वहीं अति पिछड़ी जातियों में ओमप्रकाश राजभर को छोड़कर कोई चर्चित नेता नहीं. यह जातियां बड़ी संख्या में भाजपा के साथ जाती हैं. इसीलिए कांग्रेस इन पर फोकस करते हुए अपने सियासी लक्ष्य को हासिल करना चाहती है.
राहुल गांधी भाजपा पर हमलावर
कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने ओबीसी के सहारे भाजपा पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री हैं. इसमें से दो ओबीसी हैं. मगर, भाजपा के 15 में से सिर्फ एक है. ऐसे में भाजपा कैसे ओबीसी की हितेषी हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार में 90 सचिव में से सिर्फ तीन सचिव के ओबीसी होने की भी बात कही. वह लगातार ओबीसी के सहारे भाजपा पर हमलावर हैं. हालांकि, भाजपा ने भी ओबीसी नेताओं को एक्टिव किया है, जिससे ओबीसी वोट पर पकड़ कायम रखी जा सके.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मामले में भाजपा को लगातार घेर रहे हैं. उनका कहना है कि जाति जनगणना के बाद आरक्षण बढ़ाकर सही लाभ दलित-पिछड़ों को मिल सकेगा. इसके लिए यूपी के सभी जिलों में जाति जनगणना की मांग को लेकर सम्मेलन शुरू हो गए हैं. इनमें जाति जनगणना के साथ ही आरक्षण बढ़ाने का मुद्दा उठाया जा रहा है. कांग्रेस नेता केंद्र में भाजपा की सरकार को 10 वर्ष होने के बाद भी ओबीसी को क्या मिला, ये समझा रहे हैं. उन्होंने मोदी सरकार पर ओबीसी तबके की उपेक्षा का आरोप लगाया है.
बिहार में जाति गणना के आंकड़े आने के बाद भाजपा पर दबाव
कांग्रेस का फोकस सामान्य पिछड़े (अपर ओबीसी) के साथ ही अति पिछड़ी जातियों पर है. देश में ओबीसी करीब 40 फीसदी है, तो वहीं यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में करीब 50 फीसदी तक है. हालांकि, पिछले चुनावों में ओबीसी वोटर बड़ी संख्या में भाजपा के साथ रहा है. मगर, अब मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सहित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे ओबीसी मतदाताओं के वोट मिलेंगे.
बिहार में जाति जनगणना शुरू होने के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसे लेकर की मांग की थी. उन्होंने मार्च में यूपी के सभी जिलों में आंदोलन का ऐलान किया था. अब बिहार की नीतीश सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. ऐसे में अखिलेश यादव एक बार फिर इसे लेकर भाजपा पर दबाव बना रहे हैं. हालांकि कांग्रेस का मानना है कि इसका लाभ उसे ज्यादा मिलेगा. ओबीसी मतदाता इस बात को अच्छी तरह समझ गए हैं कि कांग्रेस ही उनकी सबसे बड़ी हितैषी है.
अमेठी की हार से लिया सबक
यूपी में कांग्रेस की बात करें तो उसके पास केवल रायबरेली सीट है, जहां से सोनिया गांधी सांसद हैं. पार्टी का गढ़ अमेठी 2019 में ध्वस्त हो चुका है. हालांकि कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इस हार के बाद राहुल गांधी ने जिस तरह से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका अदा की, भाजपा पर लगातार तथ्यों के साथ हमला किया, उससे उनकी छवि और सशक्त हुई है. खास तौर से राहुल गांधी की पिछले वर्ष भारत जोड़ो यात्रा ने न सिर्फ राहुल गांधी बल्कि कांग्रेस को भी मजबूत करने का काम किया है.
ओबीसी के साथ दलित मतदाताओं पर फोकस
राहुल गांधी ने इस यात्रा के जरिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक करीब 4000 किलोमीटर का सफर तय किया. लोगों से सीधा संवाद कायम किया और गलतियों से सबक लिया, जिसकी वजह से हर वर्ग तक कांग्रेस अपना संदेश देने में सफल रही. ओबीसी वर्ग पर भी इसका असर पड़ा और चुनाव में ये साफ देखने को मिल जाएगा कि इन मतदाताओं की पसंद कांग्रेस ही है.
पार्टी नेताओं के मुताबिक राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बाद भाजपा-संघ की ताकत को समझ चुके हैं. उनकी ताकत कम करने के लिए ही कांग्रेस ने ओबीसी मतदाताओं पर फोकस किया है. दरअसल देश में ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका में है और यह वोट भाजपा के साथ है. इसीलिए कांग्रेस सबसे ज्यादा ध्यान इसी पर दे रही है. इसके साथ ही दलित मतदाताओं को साधने के लिए भी रणनीति बनाई गई है. इसकी मुख्य भूमिका कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे निभा रहे हैं. उनको यूपी से चुनाव लड़ाने की भी तैयारी है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली