कोरोना के दौरान मानसिक मजबूती से जिम्मेदारी पूरा कर सकेंगे पुलिसकर्मी, विभाग ने उठाया बड़ा कदम

लखनऊ : उत्तर प्रदेश का पुलिस विभाग ‘उप्र 112' (पुलिस की आपातकालीन सेवा) में कार्यरत कर्मियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ''मन संवाद'' कार्यक्रम के जरिये मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रहा है. परिवार से दूर रहने, काम के अधिक घंटे और अब कोविड-19 महामारी के खतरे से कर्मियों में मानसिक परेशानी के मद्देनजर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है.

By Agency | August 24, 2020 7:09 PM

लखनऊ : उत्तर प्रदेश का पुलिस विभाग ‘उप्र 112′ (पुलिस की आपातकालीन सेवा) में कार्यरत कर्मियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ”मन संवाद” कार्यक्रम के जरिये मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रहा है. परिवार से दूर रहने, काम के अधिक घंटे और अब कोविड-19 महामारी के खतरे से कर्मियों में मानसिक परेशानी के मद्देनजर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है.

लखनऊ विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग ऐसे कर्मियों की मानसिक समस्याओं को उनसे बात कर उन्हें सुलझाने में मदद कर रहा है. इसके लि उन्हें प्रेरणादायक वीडियो भी भेजा जाता है. अभी तक करीब पांच सौ पुलिसकर्मी इस कार्यक्रम की मदद से मानसिक परेशानियों से उबर चुके हैं. ‘उप्र 112′ आपातकालीन सेवाओं के अपर पुलिस महानिदेशक असीम अरूण ने सोमवार को ‘भाषा’ को बताया कि मुख्यालय में करीब 1500 पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि पुलिस की पीआरवी की 4500 गाड़ियों पर करीब 32 हजार पुलिसकर्मी तैनात है.

कोविड-19 के दौरान लगातार काम करने से कई पुलिस कर्मी मानसिक तनाव में रहने लगे थे जिसका असर उनके काम पर पड़ रहा था. अधिकारी के अनुसार पुलिसकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिये लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग से संपर्क किया गया और पुलिसकर्मियों के लिये ‘मन संवाद’ कार्यक्रम बनाया गया है. इसमें पुलिसकर्मी मनोवैज्ञानिकों से फोन पर बात कर अपनी समस्यायें बता रहे और उनकी काउंसलिंग की जा रही है.

‘उप्र 112′ के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ‘मन संवाद’ में काउंसलर के पास फोन कर कर्मी अपनी समस्याओं को साझा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पीआरवी वाहन पर ड्यूटी करने वाले एक जवान ने कहा कि आज कल उन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है. एक महिला कर्मी ने अपने काउंसलर को बताया कि आज कल उन्हें नीद नहीं आने की समस्या है.”

उन्होंने कहा कि एक अन्य कर्मी ने बताया कि परिवार वाले जब इस बीमारी से किसी पुलिस कर्मी की मृत्यु की खबर देखते हैं तो वे परेशान हो जाते हैं. इससे वह भी अवसादग्रस्त होने लगा है. अधिकारी के अनुसार कर्मियों की समस्याओं के आधार पर विभाग उनका निराकरण भी कर रहा है. लम्बी ड्यूटी की समस्या को दूर करते हुए पीआरवी कर्मियों की आठ आठ घंटे की तीन शिफ्ट की गयी है, जबकि पहले बारह बारह घंटे की ड्यूटी होती थी.

घर से दूर ड्यूटी कर रहे कर्मियों के परिजनों की मदद के लिए अलग से एक हेल्प लाइन नंबर शुरू किया गया है. महामारी को देखते हुए 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मियों को ‘फ्रंट’ ड्यूटी से हटा दिया गया है, ताकि उनको संक्रमण का खतरा कम रहे. जिले में पुलिस कर्मियों की तैनाती ऐसे की गयी है कि वे अपने घरों के करीब रह सकें. मन संवाद कार्यक्रम शुरू होने पर कर्मी कुछ सशंकित थे. उन्हें डर था कि उनकी समस्याओं और शिकायतों की जानकारी होने पर अधिकारी नाराज़ हो सकते हैं.

इसके लिए पुलिस विभाग ने निर्णय लिया कि कर्मी जो भी जानकारी या समस्या अपने काउंसलर को बताएंगे, उसे विभागीय अभिलेखों का हिस्सा नहीं बनाया जायेगा. काउंसलर और कर्मी के बीच हुए संवाद को लेकर पूरी गोपनीयता बरती जाती है. अधिकारियों के अनुसार अब तक अवसाद से ग्रस्त करीब 112 कर्मियों ने मनोवैज्ञानिकों की मदद ली है जबकि 286 कर्मियों ने मनोवैज्ञानिकों को फोन कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है.

मनोवैज्ञानिक मदद लेने वाले कर्मियों का फालोअप भी करते हैं. असीम अरूण ने बताया कि ‘112′ कर्मी ऑनलाइन फार्म भर के मनोवैज्ञानिकों से संपर्क करते हैं. इसके लिए उनके मोबाइल फोन पर फार्म का लिंक साझा किया गया है. काउंसलिंग के लिए दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु आदि शहरों के काउंसलर की मदद ली जा रही है. वर्तमान में 27 काउंसलर सेवाएं दे रहे हैं.

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