लखनऊ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से बुधवार को कहा कि लॉकडाउन की मार झेल रहे राज्य के लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए सरकार कदम उठाये और छोटे व्यापारियों की मदद करे. योगी को लिखे पत्र में प्रियंका ने कहा, ”लघु और कुटीर उद्योगों के लिए बुनियादी और जरूरी कदम उठाएं. लॉकडाउन की मार झेल रहे इन उद्योगों के पास अब इतनी आर्थिक क्षमता नहीं है कि वे लंबे समय तक खड़े रह पाएं. छोटे व्यापारियों की मदद करना हर नजरिए से बहुत आवश्यक हो गया है.”
पत्र की शुरुआत में प्रियंका ने मुख्यमंत्री के पिता की मृत्यु पर अपनी संवेदना जताते हुए लिखा है कि आपके पिता के निधन के बाद मैं पहली बार आपको पत्र भेज रही हूं. ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शान्ति दें. महासचिव ने पत्र में लिखा है, ‘‘जैसा आप जानते हैं, कोरोना महामारी से पूरा जनजीवन प्रभावित है. हर वर्ग के ऊपर भयंकर आर्थिक मार पड़ी है. किसान, गरीब और मजदूर वर्ग विकट स्थिति में पहुंच गये हैं. आर्थिक संकट ने मध्य वर्ग और सामान्य नौकरीपेशा लोगों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. कारोबारी और व्यापारी वर्ग के ऊपर अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है. इन वर्गों की मदद करना अनिवार्य हो गया है. इस संदर्भ में आपको मैं कुछ सुझाव भेज रही हूं. आशा है आपकी सरकार इन पर ध्यान देगी और जल्द ही निर्णय लेगी.”
प्रियंका ने लिखा है, ‘‘शिक्षा और घर के ऋण का खर्च मध्यम वर्ग की आर्थिक बुनावट का एक बड़ा हिस्सा होता है. आपको ज्ञात है कि मध्य वर्ग इस आर्थिक संकट से कितना प्रभावित है. ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की फीस माफी की घोषणा उनके लिए एक बड़ी राहत होगी.” उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जब एक तरफ छंटनी हो रही है और तनख्वाहों में कटौती हो रही है, मध्यम वर्ग के लिए घर के ऋण की मासिक किस्त चुकाना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
प्रियंका ने पत्र में सुझाव दिया है कि घर के ऋण पर लगने वाली ब्याज दर को शून्य कर दिया जाय व ईएमआई जमा करने की बाध्यता को अगले छह महीनों के लिए स्थगित कर दिया जाये. महासचिव ने पत्र में किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि बिजली की बढ़ी हुई दरें उनके लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों के चार महीनों के ट्यूबवेल तथा घर के बिजली बिल माफ किए जाएं. जगह-जगह से फसलों की खरीद में आ रही समस्याओं के बारे में प्रियंका ने मांग की है कि किसानों को पूरी फसल खरीदने की गारंटी दी जाए. साथ ही, गन्ना सहित सारे भुगतान तुरंत किए जाएं.
राष्ट्रीय महासचिव ने पत्र में लिखा है कि शिक्षा मित्र, आशा बहनें, आंगनबाड़ी कर्मी, रोजगार सेवक, पंचायत मित्र व अन्य संविदा कर्मी कोरोना संकट में हर स्तर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ सरकार के निर्देशों का पालन करवाने में जी-जान से लगे हैं. इनकी सेवाओं को देखते हुए यह उचित समय है कि इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रोत्साहन राशि दी जाए और एक महीने की तनख्वाह बोनस के रूप में दी जाए जिससे वो अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें तथा और अधिक मेहनत व लगन से काम करें.
उन्होंने कहा कि छोटे और मंझोले उद्योग यूपी की आर्थिक रीढ़ हैं. लाखों परिवारों की रोजी-रोटी इनसे जुड़ी हुई है. आज ये भयंकर दबाव में हैं. मांग और आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प है. ऐसे उद्योगों के मालिक और मजदूर पूरी तरह से टूटने के कगार पर आ चुके हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि छोटे मंझोलों उद्योगों का बैंक ऋण माफ किया जाए. इससे वे दिवालिया होने से बच जायेंगे. इनके बिजली के बकाया बिलों पर भी उदारतापूर्वक विचार कर उन्हें राहत देने की घोषणा की जाए.
बुनकरों के सवालों पर प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा है कि पूरे प्रदेश में एक बड़ी आबादी बुनकरी से जुड़ी हुई है. इस महामारी में उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया है. हैंडलूम और इनके कारखाने बंद पड़े हैं. इनके ऊपर बैंकों का भारी कर्ज है. बिजली का बिल भुगतान करने की स्थिति नहीं है. ऐसे में बुनकरों के बिजली के बिल माफ किए जाएं और प्रत्येक बुनकर परिवार को प्रतिमाह 12 हजार रुपया क्षतिपूर्ति राशि दिया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के कालीन उद्योग पर भी भयानक मार पड़ी है. लाखों परिवारों की आजीविका इस उद्योग से जुड़ी है. कालीन की बिक्री बिल्कुल बंद है. बुनाई-कटाई भी ठप्प है. प्रियंका ने लिखा कि लखनऊ के चिकन उद्योग ने देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन किया है. नोटबंदी और जीएसटी की मार झेल रहे चिकन उद्योग को इस लॉकडाउन के चलते भारी चोट लगी है. उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि इस उद्योग में लगे हर परिवार को न्यूनतम 12 हजार रुपया प्रतिमाह दिया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश का हेचरी उद्योग भी संकट से गुजर रहा है और अंडे तथा मुर्गे की सप्लाई बन्द है. प्रदेश में ज्यादातर पोल्ट्री फार्म लोगों ने कर्ज लेकर खोले थे. अब उन पर दोहरी मार पड़ी है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का कांच उद्योग, पीतल उद्योग, फर्नीचर उद्योग, चमड़े का उद्योग, होजरी उद्योग, डेयरी, मिट्टी बर्तन उद्योग, फिशरी, अन्य घरेलू और लघु उद्योग सभी को तेज झटका लगा है. इनकी समीक्षा होनी चाहिए ताकि इन्हें फिर से शुरू करने में आर्थिक मदद की जा सके.