Lucknow: प्रदेश के किसानों के लिए मार्च और अप्रैल का महीना बेहद नुकसानदायक साबित हुआ है. आफत की बारिश और ओलावृष्टि ने जहां उनकी फसलें चौपट कर दी, वहीं अब कई जगह आगजनी की घटनाओं ने उनका सब कुछ तबाह कर दिया है. प्रदेश में हाईटेंशन लाइन टूटने के कारण अक्सर खेतों में तैयार खड़ी फसल जलकर खाक हो जाती है.
राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज में ताजा मामले में 25 बीघा गेहूं की फसल आग की भेंट चढ़ गई. प्रदेश में अन्य जगहों पर भी इस तरह के मामले सामने आ चुक हैं. ऐसे में किसान के लिए बीमा योजना का ही सहारा है, जिससे उसके नुकसान ही भरपाई हो सके.
किसानों को चाहिए फसल नुकसान होने के बाद वह सबसे पहले बीमा कंपनी या कृषि विभाग कार्यालय को जानकारी दें. फसल खराब होने के 72 घंटे के भीतर हर हाल में जानकारी देने की कोशिश करनी चाहिए. इससे बैंक, बीमा कंपनी या कृषि विभाग को नुकसान की पुष्टि करने में सुविधा होती है. इस तरह किसानों को दावे का भुगतान जल्द किया जाना संभव होता है. प्रदेश में किसानों को फसल बर्बाद होने के 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट करने को कहा जाता है.
किसान पीएम फसल बीमा योजना के तहत फसल खराब होने की जानकारी मोबाइल ऐप के जरिये भी दे सकते हैं. इसके साथ ही बीमा कंपनियों के मोबाइल ऐप पर भी इसकी जानकारी दी जा सकती है. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड का टोल फ्री नंबर 18004196116 है. एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी का टोल फ्री नंबर 18002091111 है. इसके अलावा रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के टोल फ्री नंबर 18001024088 पर भी किसान फसल बर्बाद होने की सूचना दे सकते हैं. फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का टोल फ्री नंबर 18002664141, बजाज आलयांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का 18002095959, एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेंस कंपनी का 18002660700 है.
नियमों के मुताबिक जब खेत में खड़ी फसल का 33 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बर्बाद हो जाए तो किसान मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं. बेमौसम बारिश होने के बाद जब सरकार की ओर से अनुदान दिए जाने की घोषणा की जाती है, तब शिकायत के लिए पोर्टल खोला जाता है. किसान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. आवेदन करने के बाद कृषि विशेषज्ञ मौके पर जाकर उसका सत्यापन करते हैं. इसके बाद रिपोर्ट जिला कृषि अधिकारी के पास जाती है. यहां से भी किसान के आवेदन को सत्यापन के बाद आगे की प्रक्रिया के लिए बढ़ा दिया जाता है. इसके बाद डीबीटी सेल से किसानों के खाते में क्षतिपूर्ति की धनराशि पहुंचती है.
केंद्र सरकार ने हाल ही में डिजिटाइज्ड क्लेम सेटलमेंट मॉड्यूल डिजीक्लेम का शुभारंभ किया है. यूपी की बात करें तो 903336 किसानों को इसका लाभ मिला और 462.80 करोड़ की धनराशि उनके खातों में भेजी गई. प्रदेश में आंशिक क्षतिपूर्ति के रूप में 2.18 लाख किसानों को 134.25 करोड़ की धनराशि बीमा कम्पनियां पहले ही भुगतान कर चुकी हैं. इस तरह खरीफ 2022 मौसम के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 597.05 करोड़ की धनराशि किसानों के खाते में भेजी गई. हालांकि धरातल पर किसानों को जितना नुकसान हुआ है, उसके मुकाबले ये मदद बेहद कम है. अधिकांश किसान इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं.
-
किसानों को व्यक्तिगत क्षति की सूचना जो 72 घंटे में दी जानी होती है, उसे बढ़ाकर चार से पांच दिन किया जाए.
-
असफल बुवाई के अन्तर्गत ग्राम पंचायत में 75 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई नहीं होने के कारण क्षतिपूर्ति दी जाती है. इसे घटाकर यदि 60 प्रतिशत कर दिया जाए तो अधिक किसानों को लाभ मिलेगा.
-
बैंक प्रीमियम की धनराशि की कटौती करने के बाद प्रीमियम की धनराशि बीमा कम्पनी को निर्धारित समय में उपलब्ध करा दें, ताकि किसान योजना के लाभ से वंचित न हो सकें.
-
पोर्टल के जरिए क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान किसानों को फसल कटाई के एक महीने के अन्दर कर दिया जाए.