यूपी के हर जिले से होगी साइबर क्राइम पोर्टल की निगरानी, अब AI से आवाज बदलकर ठगी करने वाले नहीं बच पाएंगे
Cyber Crime: उत्तर प्रदेश के साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अब हर जिले से नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (एनसीआरपी) की निगरानी की जाएगी. साथ ही साइबर जगत की जानकारी रखने वाले पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा.
Cyber Crime: उत्तर प्रदेश में साइबर अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. आए दिन कई आपराधिक घटनाएं सामने आ रहे हैं. इस अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए हर जिले से नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (एनसीआरपी) की निगरानी की जाएगी. इसके साथ ही हर जिले में साइबर जगत की जानकारी रखने वाले पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दिया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला स्तर पर एनसीआरपी का संचालन व पर्यवेक्षण किए जाने के लिए भी दक्ष पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी.
डीजीपी मुख्यालय के निर्देश पर सभी जिलों व पुलिस कमिश्नरेट में इस पोर्टल के संचालन व पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी के तौर पर एएसपी स्तर के पुलिस अधिकारी को दी गई है. साथ ही साइबर जगत की जानकारी व समझ रखने वाले दो सब इंस्पेक्टरों को नोडल अफसर के साथ सहयोग में तैनात करने को कहा गया है. डीजीपी मुख्यालय ने साइबर क्राइम मुख्यालय के स्तर से कराए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लेकर भी कुछ जिलों के रवैए पर नाराजगी जताई है.
कई जिलों से इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ऐसे इंस्पेक्टरों व सब-इंस्पेक्टरों को भेज दिया जाता है, जिन्हें साइबर तकनीकी की बिल्कुल भी जानकारी नहीं होती हैं. इससे जिले स्तर पर साइबर अपराधों की उचित जांच व पर्यवेक्षण नहीं हो पा रहा है. अब ट्रेनिंग प्रोग्राम में ऐसे इंस्पेक्टरों व सब इंस्पेक्टरों को भेजना होगा, जो पहले से साइबर तकनीकी से परिचत हों.
आवाज बदलकर ठगी के प्रति कर रहे सावधान
विभिन्न साफ्टवेयर एवं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग कर रिश्तेदारों की आवाज निकाल कर साइबर ठगी की घटनाएं सामने आने के बाद साइबर क्राइम पुलिस ने जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किया है. इसके लिए यूपी पुलिस ने एक शॉर्ट क्लिप बनाकर ट्विटर समेत अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित कराया. एनसीआरपी के 24 घंटे काम करने वाले हेल्पलाइन नंबर 1930 का भी जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
AI की मदद से कैसे होता है वॉइस क्लोनिंग फ्रॉड?
प्ले स्टोर से कई तरह के वॉइस क्लोनिंग एप्प डाउनलोड किए जा सकते हैं जिनका इस्तेमाल आवाज को चेंज करने में किया जाता है. साइबर ठग फेसबुक, व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम पर आपको कॉल करेगा और फिर आपकी वॉइस का सैम्पल लेगा जिसके बाद किसी भी AI App पर आपकी वॉइस को अपलोड कर क्लोन तैयार करता है. जिसके बाद फोन नम्बर आदि हैक करने के बाद हूबहू उसी आवाज़ में आपके रिश्तेदार या दोस्त को कॉल कर उन्हें ठगी का शिकार बनाएगा.