लखनऊ: दिल्ली के राजेंद्र नगर में आईएएस कोचिंग (Delhi IAS Coaching) के बेसमेंट में डूबने वाली श्रेया यादव यूपी के अंबेडकर नगर की निवासी थी. दूध बेचकर परिवार चलाने वाले पिता ने बेटी को आईएएस की पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजा था. उन्हें क्या पता था कि श्रेया इस तरह उन्हें छोड़कर चली गई. हादसे की सूचना के मिलने के बाद श्रेया के पिता और भाई दिल्ली पहुंच गए हैं. वहां उन्हें अभी तक शव भी देखने को नहीं मिला है.
चाचा को चेहरा भी देखने को नहीं मिला
श्रेया यादव यूपी के अंबेडकर नगर के हाशिमपुर बरसावां की रहने वाली थी. श्रेया के चाचा ने बताया कि उन्हें हादसे की जानकारी नहीं दी गई. जब उन्हें हादसे की खबर मिली तो वो स्वयं दिल्ली पहुंच गए. दिल्ली पहुंचने पर डीसीपी से उनकी बात हुई तो उन्होंने राम मनोहर लोहिया अस्पताल जाने की सलाह दी. रात को ढाई बजे वो मॉर्चुरी पहुंचे. यहां उन्होंने बेटी का चेहरा दिखाने की मांग की, लेकिन उन्हें मनाकर दिया गया. मॉर्चुरी में तैनात कर्मचारी ने उन्हें शव का चेहरा दिखाने से मनाकर दिया. सिर्फ एक कागज दिखाया गया, जिसमें श्रेया का नाम लिखा था. इसके बाद वो सुबह 6.30 बजे एक बार फिर मॉर्चुरी गए, लेकिन उन्हें पुलिस न आने तक चेहरा नहीं देखने दिया गया.
चार महीने पहले ही पढ़ने आई थी दिल्ली
श्रेया के चाचा ने बताया कि चार महीने पहले ही वो दिल्ली आई थी. जब उन्होंने न्यूज देखा तो पता चला कि राव आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में पानी भर गया है. उसमें 20-22 बच्चे फंसे हैं. थोड़ी देर में दो बच्चों की कैजुअल्टी की सूचना आ गई. इसलिए उनसे रहा नहीं गया और वो दिल्ली के लिए चल दिए. चाचा ने बताया कि एडमिशन उन्होंने ही कराया था, इसलिए कोचिंग सेंटर के एक नंबर से बात हुई तो उन्होंने हादसे की जानकारी दी और बताया कि तीन कैजुअल्टी हुई लेकिन उन्होंने नाम नहीं बताया. इस पर वो श्रेया के पीजी पहुंचे, वहां देखा तो ताला लगा मिला. श्रेया का फोन भी नहीं लग रहा था. इसलिए आशंका हुई कि कोई हादसा हुआ है और वो दिल्ली पहुंच गए. इसके बाद ही उन्हें श्रेया के साथ हादसे की जानकारी हुई.
गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए
श्रेया के चाचा ने कहा कि बिना किसी कारण किसी की जान बदइंतजामी से चली जाए, तो सिस्टम को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोचिंग के मालिकों पर गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज जरूर होनी चाहिए. जिससे उनकी जवाबदेही तय हो जाए. जिससे अन्य कोचिंग सेंटर को भी ये मालूम हो जाए कि उनकी भी कोई जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि एक जान की कीमत वही जानता है जो बच्चों को पालता है.
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