यूपी के शामली में चेयरमैन की टिकट की मांग कर रहे पार्टी पदाधिकारी को सभासद की भी टिकट नहीं मिली, जहर खाया

UP Nagar Nikay Chunav : टिकट नहीं मिलने पर आत्महत्या करने वाले निवर्तमान सभासद को लेकर भाजपा के मंडल अध्यक्ष रश्मिकांत जैन ने मीडिया को बताया कि कि दीपक सैनी का नाम प्रत्याशियों की प्रस्तावित सूची में था. किस स्तर से उसकी टिकट कटी इसकी जानकारी नहीं है. उसकी मौत से पार्टी बड़ा नुकसान हुआ है.

By अनुज शर्मा | April 17, 2023 12:41 AM

लखनऊ. भाजपा की टिकट पर साल वर्ष 2017 में मात्र 19 साल की उम्र में सभासद बनने वाले भाजपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में जिला शोध प्रमुख दीपक सैनी ने रविवार को जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली. परिवार का कहना है कि कि नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद सभासद की टिकट भी कटने से आहत होकर यह कदम उठाया है. शामली के कांधला के मोहल्ला रायजादगान निवासी भाजपा नेता दीपक सैनी को उम्र कम होने के कारण टिकट नहीं मिलने की बात कही जा रही है.

19 साल की उम्र में सभासद का चुनाव जीता

प्रेमलता (दीपक की मां) का कहना था कि नगर निकाय 2017 के चुनाव में दीपक ने वार्ड तीन से भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ाा था. हव मात्र 19 साल की उम्र में सभासद का चुनाव जीता था. नगर निकाय 2023 के चुनाव में वह भाजपा से चेयरमैन की टिकट मांग रहा था. पार्टी का कहना था कि अभी उसकी उम्र इतनी नहीं है कि उसे चेयरमैन पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाए.

वार्ड बदलकर टिकट का किया था आवेदन

चेयरमैन की टिकट नहीं मिलने पर दीपक ने वार्ड-3 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के कारण वार्ड-1 से सभासद पद के लिए भाजपा को आवेदन दिया. पार्टी को बताया कि उसका वार्ड आरक्षित होने के कारण वह वार्ड बदलकर चुनाव लड़ेगा. भाजपा ने रविवार को सूची जारी कर दी. दीपक को सभासद के लिए भी टिकट नहीं मिली थी. वार्ड 1 में किसी भी प्रत्याशी का नाम नहीं घोषित किया था. चेरमैन की तैयारी कर रहे भाजपा नेता को सभासद का भी टिकट नहीं मिला तो वह बुरी तरह टूट गया.

सूची जारी होने से पहले मंदिर पहुंचा

भाजपा ने जब सूची जारी की दीपक मंदिर परिसर में था. मंदिर से सीधे बाजार गया. मां का कहना है कि बाजार आते ही उसने पानी मांगा. पानी में मिलाकर उसने कुछ खाया. हालत बिगड़ने पर उसे मेरठ के अस्पताल ले गये लेकिन तक तक उसकी मौत हो चुकी थी. प्रेमलता ने रोते हुए बताया कि दीपक मंदिर जाने से पहले खाना बनाने की कहकर गया था. दीपक के पिता भूरू सिंह ठेके पर खेती करते हैं.

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