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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक आम आदमी बनकर पहुंचे केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर, हड़कंप, मास्क लगाकर लग गए लाइन में

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मंगलवार को अचानक केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में इलाज की व्यवस्थाओं की जानकारी लेने पहुंच गए. बिना सिक्योरिटी और वीआईपी तामझाम के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे उप मुख्यमंत्री मुंह पर मास्क लगाए हुए थे. सामान्य आदमी बनकर वह लाइन में लग गए. इसके बाद क्या हुआ पढ़ें खबर, देखें वीडियो....

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2022 3:48 PM

Lucknow: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री भी हैं. मंगलवार को वह अचानक आम आदमी की तरह केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए. उनके साथ न तो सिक्योरिटी थी और न ही हूटर बजाती गाड़ियों का काफिला. मुंह पर मास्क लगाकर ट्रॉमा पहुंच गए. उन्हें वहां मरीजों से जुड़ी सेवाओं का बुरा हाल मिला.

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने निरीक्षण के दौरान मरीजों से बातचीत की. स्वयं लाइन में लगकर व्यवस्थाओं को परखा. मौके पर सीएमएस प्रो. एसएन शंखवार, ट्रॉमा प्रभारी प्रो. संदीप तिवारी भी पहुंच गए थे. उनके साथ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पूरे ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण किया. मरीजों से बातचीत करके उनकी समस्याओं की जानकारी ली.


डिप्टी सीएम करते रहे फोन, लेकिन नहीं मिला जवाब

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मंगलवार को ऑनलाइन पंजीकरण व्यवस्था की पड़ताल के लिए स्वयं फोन कर रहे थे. लेकिन 10 मिनट तक लगातार केजीएमयू में पंजीकरण फोन लाइन व्यस्त रही. इससे केजीएमयू में टेलीफोन व ऑनलाइन ओपीडी पंजीकरण के दावों की पोल खुल गई. इसके बाद मंत्री ब्रजेश पाठक सीधे केजीएमयू पहुंच गए.

स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक फोन न उठने से खासे नाराज हुए. वह व्यवस्था की जानकारी लेने केजीएमयू परिसर में स्थित पीएचआई भवन के कॉल सेंटर पहुंचे. वहां उन्होंने पंजीकरण के लिए आने वाले फोन की व्यवस्था देखी. जब कॉलर का ब्यौरा मांगा गया तो डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को वह भी नहीं मिला. उन्होंने प्रत्येक फोन कॉल की जानकारी दर्ज करने के निर्देश दिए. साथ ही कॉल सेंटर का संचालन कर रही कंपनी को हटाने के लिए कहा. डिप्टी सीएम ने कॉल सेंटर चलाने वाली एजेंसी को भुगतान प्रतिकॉल के हिसाब से करने के निर्देश भी दिए.

डॉक्टर ट्यूब लाइट की रोशनी में देख रहे थे एक्स-रे

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक दोपहर लगभग 11.50 बजे केजीएमयू पहुंचे थे. वह न्यू ओपीडी ब्लॉक पहुंचे तो वहां मरीजों का भीड़ देखकर रुक गए. एक-दो मरीजों से बात की. वह सबसे पहले पहले तल पर पहुंचे। यहां डॉक्टर ट्यूब लाइट की रोशनी में एक्सरे फिल्म देखते मिले. उन्होंने कारण पूछा तो पता चला कि एक्स-रे देखने वाले व्यू बॉक्स खराब पड़े हैं. इस पर उन्होंने नाराजगी जताई और व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए.

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