Dr. Kafeel Khan: डॉ. कफील खान की किताब ‘गोरखपुर अस्पताल त्रासदी अस्पताल से जेल तक’ का विमोचन

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में आरोपी बनाये गए डॉ. कफील खान ने अपनी आपबीती एक किताब के माध्यम से बयान की है. इस किताब का विमोचन शनिवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश कार्यालय में किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 2, 2022 6:26 PM
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Lucknow: डॉ. कफील खान की पुस्तक ‘गोरखपुर अस्पताल त्रासदी- अस्पताल से जेल तक’ का विमोचन शनिवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश मुख्यालय में किया. अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से भर्ती बच्चों की सांसे थम गई थी, उस दिन और आगे जो दुःख परेशानी, जेल यातना डॉ. कफील को झेलनी पड़ी, उसकी जानकारी इस किताब में दी गयी है.

अखिलेश यादव ने कहा कि वे खुद पीड़ित परिवारीजनों से मिले थे और उन्हें मदद भी मुहैया कराई थी. अगर उस समय जापानी बुखार से इलाज की पर्याप्त सुविधाएं मिल जाती तो तमाम बच्चों की मौतें नहीं होती. इस मौके पर अखिलेश यादव को उनका एक बड़ा चित्र और डॉ. लोहिया से संबंधित दो पुस्तकें समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव इकबाल खान, पैनलिस्ट मनीष सिंह ने भेंट की.

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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की कहानी 

डॉ. कफील ने इस मौके पर कहा कि गोरखपुर में 10 अगस्त 2017 को ‘मानव नरसंहार‘ हुआ था, जिसकी कहानी इस पुस्तक में है. अखिलेश यादव स्वयं गोरखपुर गए थे और उन्होंने इंसाफ की लड़ाई लड़ी. इसलिए इस किताब का विमोचन उनसे ही करने का आग्रह किया गया है.

गौरतलब है कि यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद 10 अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में ऑक्सीजन खत्म होने से 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले के बाद डॉ. कफील खान सहित गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल व अन्य स्टाफ को निलंबित किया गया था. इनमें से अधिकतर आरोपी बहाल हो चुके हैं.

लेकिन डॉ. कफील खान को मुख्य आरोपी मानते हुए लंबे समय तक जेल में रखा गया था. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद डॉ. कफील को कोर्ट से जमानत मिली थी. इसके बाद से लगातार डॉ. कफील इस आरोप से स्वयं को मुक्त कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं.

सपा का दावा गरीब तबके बच्चे ज्यादा प्रभावित

सपा प्रवक्ता का कहना है कि गोरखपुर में जापानी बुखार से हर साल हजारों बच्चों की जिंदगी खत्म हो जाती है. 1978 से अब तक 25000 बच्चे इसके शिकार हो चुके हैं. एक लाख से ज्यादा बच्चे हमेशा के लिए अपाहिज हो चुके हैं. दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चे सबसे ज्यादा इससे प्रभावित होते हैं. हालांकि बीजेपी सरकार ने पांच साल के अथक प्रयासों से पूर्वांचल का अभिशाप कहे जाने वाले दिमागी बुखार, जापानी इंसेफेलाइटिस और एईएस से होने वाली मौतों को लगभग शून्य कर दिया है.

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