UP News: जालसाज संजय राय शेरपुरिया पर ED का बड़ा एक्शन, गुजराती डायरी खोलेगी कई राज
उत्तर प्रदेश पुलिस ने संजय प्रकाश राय उर्फ शेरपुरिया को उनके दिल्ली स्थित आवास और फिर गुजरात के अहमदाबाद में उनके ससुराल ले गई. ताकि कथित रूप से फर्जी पहचान पर खरीदी गई संपत्तियों के दस्तावेज और एक डायरी बरामद की जा सके.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस और STF को एक गोपनीय डायरी की जानकारी मिली है. डायरी में संजय ने उन सभी लोगों के नाम और उनके काम कोडवर्ड में दर्ज कर रखे है. इस डायरी में कई अफसर, राजनेता और बड़े व्यापारी के नाम शामिल होने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि यह डायरी शेरपुरिया ने अपनी ससुराल गुजरात में छिपाकर रखी है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने संजय प्रकाश राय उर्फ शेरपुरिया को उनके दिल्ली स्थित आवास और फिर गुजरात के अहमदाबाद में उनके ससुराल ले गई. ताकि कथित रूप से फर्जी पहचान पर खरीदी गई संपत्तियों के दस्तावेज और एक डायरी बरामद की जा सके. जिसमें शेवपुरिया ने नामों का उल्लेख किया था.
गुजराती डायरी खोलेगी कई राज
शेरपुरिया को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 26 अप्रैल को फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में पहुंचकर करोड़ों रुपये इकट्ठा करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पूछताछ के दौरान शेरपुरिया ने पुलिस को बताया कि उसने कई डमी कंपनियां बना रखी हैं. इन्हीं कंपनियों के जरिए कालेधन को निवेश करता है. उसने गुजरात, दिल्ली व अन्य कई शहरों में संपत्तियां खरीद रखी हैं. पुलिस को जानकारी यह भी मिली है कि कई अफसरों व बड़े नेताओं का कालाधन भी ऐसी ही संपत्तियों में निवेश किया है. शेरपुरिया ने पुलिस को बताया कि कई लोग उसके काले कारनामों में सहयोग करते हैं. इनका ब्योरा अपनी निजी डायरी में लिख रखा है. उसमें सभी बातें, लोगों के नाम, उनसे जुड़े काम और लेन-देन की तारीखें एक कोडवर्ड में लिखी हैं, जिनको सिर्फ मैं ही डिकोड कर सकता हूं.
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10वीं पास लेकिन उपाधि डॉक्टरेट की
शेवपुरिया ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह मात्र 10वीं पास है. लेकिन यूरो एशिया यूनिवर्सिटी से ऑनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि मिली हुई है. इनसे जुड़े दस्तावेज उसने दिल्ली के आवास में छिपा रखे हैं. जानकारी के अनुसार शेवपुरिया ने गुजरात के गांधीग्राम में रहते हुए जहां काम करता था, उस मालिक की बेटी कंचन के साथ ही शादी कर ली थी. इसके बाद में उसने बलिया निवासी एक ठेकेदार के साथ मिलकर गुजरात में काम शुरू किया था. उसके साथ ही इन दो कंपनियों को शुरू किया था, जिसे एक आईपीएस ने कब्जा लिया था. कुछ दिन बाद आईपीएस ने संजय और उसके साझेदार ठेकेदार को जेल भी भिजवाया था.