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Education: ट्रांसफर से वंचित शिक्षकों का राज्यव्यापी सत्याग्रह, भगवान बुद्ध के ‘ घर ‘ से होगी इसकी शुरुआत

शिक्षक इस बात से नाराज हैं कि तबादला अन्य विभागों की तरह हर साल नहीं हो रहे. पॉलिसी में हर बार मनमाना भेदभाव वाला बदलाव किया जा रहा है. आकांक्षी जिला से 7 साल से अधिक सेवा दे चुके टीचरों का तबादला नहीं हुआ अन्य जिलों से 2 से 5 साल की सेवा पूरा करने वाले हजारों शिक्षकों का तबादला हो गया.

लखनऊ. वरिष्ठ होने के बाद भी तबादले से वंचित रहे गए परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने क्रमिक सत्याग्रह का ऐलान कर दिया है. शिक्षकों की योजना प्रत्येक जिला में शांति के साथ सत्याग्रह कर सरकार को शिक्षक तबादला नीति की विसंगतियों को दूर कराना है. सत्याग्रह की शुरुआत शनिवार को गौतम बुद्ध की जन्मस्थली सिद्धार्थनगर में तैनात शिक्षक करने जा रहे हैं. जिला प्रशासन से शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर अपनी बात रखने की अनुमति मिल गई है. सिद्धार्थनगर में तीन दिन तक सत्याग्रह चलेगा.इसके बाद दूसरे जिला के शिक्षक क्रमिक धरना पर बैठेंगे. महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद से मुलाकात से निराश होकर लौटे शिक्षकों ने राज्यव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की है.

सरकार बिना भेदभाव बैचवाइज करे स्थानांतरण

परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की तबादला नीति 2023 पर अधिकांश शिक्षक सवाल उठा रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर ज्ञापन के माध्यम से सरकार- अधिकारियों तक अपनी तार्किक बात रख रहे हैं. एक शिक्षक ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि सरकार समान नागरिक कानून की बात करती है. भेदभाव न करने का दावा करती है लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में अधिकारी मनमानी कर रहे हैं. तबादला नीति 2023 इसका प्रमाण है. हर बार नए नियम बनाकर वरिष्ठ शिक्षकों के घर जाने के रास्ते बंद कर रहे हैं. ट्रांसफर नीति में इतनी विसंगति है कि वरिष्ठतम शिक्षक जो स्वस्थ है और उसने राज्य – केंद्र सरकार में नौकरी करने वाले से शादी नहीं की है वह तबादला से वंचित हो गया है लेकिन जिनकी नौकरी को दो साल पूरे हो गए हैं लेकिन सरकारी नौकरी वाले से शादी की है तो वह लाभ ले गया है. शिक्षक चाहते हैं कि वरिष्ठता के आधार पर स्थानांतरण किया जाए.

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16,614 शिक्षक- शिक्षिकाओं का हुआ है स्थानान्तरण

बेसिक शिक्षा विभाग ने हाल ही में परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का स्थानान्तरण किया है. इसमें महिनाओं की संख्या 12267 है. स्थानांतरित हुए 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं में 1141 असाध्य एवं गम्भीर रोगी , 1122 दिव्यांग तथा 393 एकल अभिभावक को दस अंक का अतिरिक्त लाभ दिया गया था. 6880 उन शिक्षक- शिक्षिका को भी दस अंक का लाभ मिला जिनके पति- पत्नी सरकारी सेवा में हैं. इस भारांक के कारण तबादला सूची में 69000 बैच में भर्ती हुए उन शिक्षकों का भी नाम है जिनकी सेवा को दो ही साल पूरे हुए हैं. दो साल की सेवा देने वालों का तबादला सूची में नाम आने के बाद उन शिक्षकों में सरकार से नाराजगी है जिनको अतिपिछड़े जिले में सेवा देते हुए पांच से 10 साल पूरे हो गए हैं.

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शिक्षकों का तबादला के लिए 2018 से संघर्ष जारी

शिक्षक शिखा गुप्ता का कहना है कि हममे से अधिकांश 8–10 वर्षों से या उससे भी अधिक समय से आकांक्षी जिला में अपनी सेवा दे रहे हैं. वर्ष 2018 में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति आई. शिक्षक इस प्रक्रिया के सभी चरणों में शामिल रहे लेकिन सूची जारी होने के मात्र एक दिन पूर्व सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, चित्रकूट आदि 8 जनपद के शिक्षकों को आकांक्षी जनपद के नाम पर प्रक्रिया से पूर्णतया बाहर कर दिया गया. स्थानांतरण नीति 2019 में भी जितने आयेंगे उतने जायेंगे कारण इन जिलों के शिक्षक का तबादला नहीं हो सका. इसके बाद शिक्षकों का संघर्ष जारी रहा. अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण नीति 2023 को वह डिजास्टर बताते हुए कहती हैं कि इसकी भारांक नीति के कारण कम सेवा वाले लेकिन सरकारी नौकरी वाले से शादी करने वाले शिक्षक का तबादला हो गया. वरिष्ठ देखते ही रहे.

शिक्षक इन मांगों को लेकर कर रहे सत्याग्रह

1- परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का तबादला नीति की विसंगति को दूर कर तबादला हर साल नियमित किए जाएं. स्थानांतरण बैच वाइज किया जाए, सरकार भारांक का लाभ दे लेकिन किसी की वरिष्ठता को नजरंदाज होने पाए.

2- आकांक्षी जिलों में कार्यरत होने के कारण तबादला के लाभ से वंचित शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित किया जाए. तबादला के बाद स्थानांतरिक जिला में उनकी वरिष्ठता को बरकरार रखा जाए.

3- लखनऊ , कानपुर, आगरा, अलीगढ़, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद , नोयडा, आदि पश्चिमी जिलों में शिक्षक के रिक्त पदों को आकांक्षी जिला में कार्यरत शिक्षकों का तबादला कर भरा जाए.

4- आगामी सभी बहाली आकांक्षी जिलों के लिए ही की जाएं ताकि सभी नवनियुक्त शिक्षक पिछड़े जिलों में सेवा दे सकें और निश्चित समयावधि के बाद अपने पसंदीदा जिलों में स्थानांतरित हो सके.

5- 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का स्थानान्तरण हुआ है लेकिन बड़ी संख्या में कार्यभार ग्रहण नहीं किया गया है इस रिक्त सीट के लिए तबादलों की सेकेंड लिस्ट जारी की जाए.

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शिक्षक पहले स्कूल में सेवा देंगे फिर सत्याग्रह में शामिल होंगे

आंदोलन में शामिल एक शिक्षिका बताती हैं कि तीन दिवसीय क्रमिक सत्याग्रह 15 जुलाई से शुरू हो रहा है. हम शांतिपूर्वक अपनी बात सरकार और अधिकारियों तक पहुंचाना चाहते हैं. शिक्षक अपने- अपने स्कूल में सेवा देने के बाद ही जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में सत्याग्रह पर बैठेंगे. गौरतलब है कि सत्याग्रह की अनुमति के लिए शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपजिलाधिकारी सदर नौगढ़ सिद्धार्थनगर से मुलाकात की थी.

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