16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजस्व परिषद की चिठ्ठी, हाईकोर्ट का आदेश फिर भी गांवों में अतिक्रमण, ग्रामसभा बुद्धिपुर चंदायलकला ने खोली पोल

Exclusive : राजस्व परिषद गांव में अतिक्रमण होने पर लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने तथा अतिक्रमणकारी पर विधिक कार्रवाई के साथ जुर्माना वसूलने का निमय बना चुकी है. हाईकोर्ट भी व्यवस्था दे चुका है लेकिन जिला प्रशासन पालन नहीं कर रहा. बलिया के सीयर ब्लाॅक की ग्रामसभा बुद्धिपुर चंदायलकला इसका उदाहरण है.

लखनऊ. बलिया जिले के सीयर विकास खंड में स्थित ग्रामसभा बुद्धिपुर चंदायलकला के प्रधान सत्य प्रकाश पासवान ने प्रशासन से गांव के अतिप्राचीन पोखर एवं उससे लगी कास्तकारों की भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराए जाने की मांग की है. ग्राम प्रधान का कहना है कि पोखरे अवैध कब्जे से मुक्त हो जाएंगे तो उनको ‘अमृत सरोवर’ के रूप में विकसित किया जाएगा. बकौल ग्राम प्रधान बुद्धिपुर चंदायलकला का पोखर अतिप्राचीन है. इसका क्षेत्रफल एक एकड़ 48 डिसमिल हैं. जिला प्रशासन को भेजे गए शिकायती पत्र में पोखरे के साथ ही इससे लगी शिवप्रसाद, देवेंद्र, ओमप्रकाश, विजय एवं बच्चन आदि की कास्तकारों की भूमि को भी कब्जा मुक्त कराने की फरियाद लगाई है. जमीप पर भी दबंगों ने अवैध कब्जा कर लिया है .इस कारण गांव की कई विकास योजनाएं बाधित हो गई हैं.

मंडलायुक्त, एसडीएम, डीएम की जवाबदेही तय 

बुद्धिपुर चंदायलकला, इस बात का उदाहरण है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी प्रशासन अवैध कब्जा को मुक्त कराने में रुचि नहीं ले रहा है. इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बीते दिनों प्रदेश की ग्राम सभाओं की सार्वजनिक जमीन से तुरंत अतिक्रमण हटवाने का आदेश जारी किया था. राजस्व अफसरों की जवाबदेही तय कर दी थी. हाईकोर्ट ने एक याचिका पर दिए फैसले में साफ कहा है कि राज्य के मंडलायुक्त व बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के अधिकारी , एसडीएम, डीएम सतर्क रहें और यह सुनिश्चित करें कि ग्राम सभाओं की सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण नहीं होने पाए. हाईकोर्ट के इस आदेश के अनुसार यदि अतिक्रमण हटाने-रोकने में कोई अधिकारी विफल रहता है तो उस अफसर के खिलाफ सरकार कठोर कार्रवाई करेगी. न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने सदाराम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था.

लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को दिए ये आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को राज्य भर में ग्राम सभाओं की सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश देते हुए कहा है कि सार्वजनिक उपयोगिता भूमि पर कोई भी अवैध अतिक्रमण न केवल अवैध और अनधिकृत है, बल्कि गंभीर पूर्वाग्रह भी पैदा करता है. बड़े पैमाने पर ग्रामीणों के लिए सार्वजनिक उपयोगिता भूमि का उद्देश्य ही विफल हो गया है क्योंकि ऐसी भूमि पर कुछ व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया गया है. कोर्ट ने गोंडा जिला की वेसाहूपुर, मोतीगंज, सीहा गांव से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाया था. भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों से दोषी व्यक्तियों- अधिकारियों को दंडित करने के लिए भी आदेश दिया. उत्तर प्रदेश राज्य के सभी सक्षम राजस्व अधिकारियों को निर्देशित दिया गया कि वे अवैध अतिक्रमण के मामले में शिकायत प्राप्त होते ही राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों की एक टीम द्वारा तत्काल स्थलीय निरीक्षण कराएंगे. अवैध अतिक्रमण मिलने पर अवैध अतिक्रमण को तुरंत हटाने की कार्यवाही करेंगे.

Also Read: इन शिक्षकों का होगा तबादला, ऑनलाइन आवेदन को नहीं खुला पोर्टल, ट्रांसफर के आधार अंक पर शिक्षक आपस में बंटे छह साल पहले का आदेश फिर भी डीएम कार्रवाई से बच रहे
Undefined
राजस्व परिषद की चिठ्ठी, हाईकोर्ट का आदेश फिर भी गांवों में अतिक्रमण, ग्रामसभा बुद्धिपुर चंदायलकला ने खोली पोल 2

राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव लीना जौहरी ने आठ मई 2017 को यूपी के सभी डीएम को पत्र लिखा था. इसमें प्रदेश के राजस्व ग्रामों में ग्राम पंचायत,सार्वजनिक भूमि एवं संपत्ति से अतिक्रमण हटाने तथा भू माफिया के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए थे. पांच पेज की इस चिठ्ठी में किस नियम के तहत कार्यवाही की जानी है इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया था. यदि ग्राम पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण की सूचना ग्राम पंचायत के सदस्यस सचिव लेखपाल द्वारा समय से नहीं दी जाती है और अतिक्रमण हटाने को प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है तो यह कर्तव्य पालन में शिथिलता व कदाचार की श्रेणी में माना जाएगा. लेखपाल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी.

आइजीआरएस पर उठ रहे सवाल 

अतिक्रमण हटवाने के लिए सबसे अधिक शिकायतें आनलाइन (IGRS) पर की जा रही हैं. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि इस एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) से भी लोग संतुष्ट नहीं हैं. अयोध्या, बलरामपुर, वाराणसी, कन्नौज, हापुड़ समेत 10 जिलों में 50% से अधिक शिकायतकर्ता असंतुष्ट हैं.एडवोकेट नवीन दुबे (@Naveenalliance) कहते हैं कि IGRS शिकायत प्रणाली महज नौटंकी से ज्यादा कुछ नहीं है. जिस विभाग के खिलाफ शिकायत दो उसी विभाग से जांच के लिए भेज देते हैं.अधिकारी इसको लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं. एडवोकेट राजीव सिंह (@Naveenalliance) का कहना है कि शिकायत का परिणाम शून्य है. कारण साफ है सरकारी सिस्टम के विरुद्ध शिकायत होती है और जांच भी वही करता है.जिम्मेदारी किसी की निश्चित नहीं है. खुद के विरुद्ध कोन करे कार्रवाई ? कोई नहीं चाहता कि किसी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई हो.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें