यूपी की पहली महिला रेडियो उद्घोषिका से लेकर नामचीन अभिनेत्री बनने तक, कुछ ऐसा रहा है फर्रुख जफर का सफर

Farrukh Jaffer Death: बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री फर्रुख जफर का शुक्रवार को 89 साल की उम्र में इंतकाल हो गया. वह यूपी की पहली महिला उद्घोषिका थीं. आइये एक नजर डालते हैं उनके करियर पर...

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2021 3:59 PM

Farrukh Jaffer Death: शहर-ए-लखनऊ अपने रहनिहारों पर नाज़ करता है. इस अज़ीम शहर के बाशिंदे इस शहर की ख़ूबसूरती में मिठास घोलते हैं और इन्ही बाशिंदों में से कुछ लोग इतने नामचीन हो जाते हैं कि लखनऊ का नाम सारी दुनिया में मशहूर करते हैं. कुछ ऐसी ही फ़नकारा थीं मोहतरमा फ़ारुख़ ज़फर साहिबा, जिनके इन्तेक़ाल के बाद न सिर्फ लखनऊ उदास है बल्कि फ़िल्मी दुनिया का एक कोना भी ग़मज़दा है. शुक्रवार को 89 वर्ष की उम्र में अपनी आखिरी सांस लेने वालीं फार्रुख ज़फर साहिबा के इन्तेकाल के बाद लखनऊ की अदाकारों के फेहरिस्त का सबसे बड़ा हिस्सा अब नहीं है.

जौनपुर से लखनऊ वाया दिल्ली

फर्रुख ज़फर का जन्म जौनपुर के शाहगंज क्षेत्र के चकेसर गांव में एक मानिंद ज़मींदार परिवार में हुआ था. घर में शिक्षा का माहौल था. अतः शुरुआती तालीम के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उनका लखनऊ आना हुआ. लखनऊ में पढ़ाई पूरी होने के बाद इनका निकाह पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एस एम जफर से हुआ. उनके पति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ-साथ पत्रकार भी थे. देश की आज़ादी के बाद उनके पति सैय्यद मोहम्मद ज़फर की नियुक्ति वाशिंगटन पोस्ट अखबार में होने के बाद वे उनके साथ कुछ समय के लिए दिल्ली आ गयी थीं.

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उत्तर प्रदेश की पहली महिला रेडियो उद्घोषिका

फर्रुख ज़फर को उत्तर प्रदेश की पहली महिला रेडियो उद्घोषिका होने का भी गौरव प्राप्त है. उनके पति जब कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में प्रदेश वापस लौटे, तब उन्होंने 1963 में लखनऊ के रेडियो स्टेशन में विविध भारती के उद्घोषक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था.

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मिमिक्री से शुरू हुआ रुझान

फर्रुख ज़फर बचपन से बड़ी हंसमुख एवं खुशदिल महिला थीं. यूरोपियन साहित्य के साथ हिंदी और उर्दू साहित्य पर उनकी पकड़ थी और शुरू-शुरू में घर के कर्मचारियों एवं उनकी रोजमर्रा की जीवन में मिलने वाले लोगों की आवाज़ों की हूबहू नक़ल करने में पारंगत हो गयी थीं. इसके बाद जब उन्होंने थियेटर का रुख किया तो अदाकारी को लेकर उनका रुझान खुल कर सामने आ गया.

दशकों तक रहा उनका इकबाल

ड्रामा एवं थियेटर की स्थापित अदकारा रहीं फर्रुख ज़फर साहिबा का फ़िल्मी करियर 1981 में मुज़फ्फर अली की फिल्म उमराव जान से शुरू हुआ. रेखा द्वारा अभिनीत इस फिल्म में फर्रुख ज़फर ने उनकी मां का रोल किया था, उनके अभिनय ने सबके मन को जीत लिया था, लेकिन उसके बाद इन्होंने कई दिन सिनेमा में काम नहीं किया और वे खुद को थियेटर एवं अन्य गतिविधियों में व्यस्त रखती थीं. इस दौरान उन्होंने नीम का पेड़, आधा गांव और हुस्न-ए-जाना जैसे प्रसिद्ध धारावाहिकों में अभिनय किया था.

करीब 23 साल बाद दोबारा फर्रुख ज़फर ने 2004 में आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘स्वदेश’ में शाहरुख खान के साथ काम किया. इसके बाद अनुषा रिज़वी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘पीपली लाइव’ में उनके अभिनय ने देश के बाहर के लोगों को उनका मुरीद बना दिया. इसके अतिरिक्त उन्होंने पार्च्ड, सीक्रेट सुपरस्टार और सुलतान जैसी फिल्मों में काम किया. उनकी हालिया फिल्म शूजीत सरकार द्वारा निर्देशित ‘गुलाबो सिताबो’ थी. इस फिल्म में वे अमिताभ बच्चन की पत्नी के रोल में थीं. इस फिल्म में उत्कृष्ट अभिनय के लिये उन्हें बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल कैटेगरी में प्रतिष्ठित फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा गया था.

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रेखा और मुज़फ्फर अली रहे मुरीद

‘उमराव जान’ की शूटिंग के दौरान रेखा को तवायफ का किरदार निभाना था, लेकिन उनकी मां के किरदार के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था. इस बीच मुज़फ्फर अली ने फर्रुख ज़फर से इस रोल को करने का अनुरोध किया, जिस पर वह सहर्ष तैयार हो गईं. फिल्म के एक सीन में उनके अभिनय को देखकर रेखा इतनी प्रभावित हुईं कि वे खुद सेट पर रो पड़ीं और मुज़फ्फर अली भी भावुक हो गए.

तीनों खानों के साथ किया काम

फर्रुख ज़फर के अभिनय की गंभीरता का स्तर इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने तीनों खान आमिर खान, शाहरुख खान और सलमान खान के साथ काम किया था. शाहरुख के साथ स्वदेश, आमिर द्वारा निर्मित पीपली लाइव एवं सलमान खान के साथ सुलतान में काम करके फर्रुख ज़फर ने अपने अभिनय का लोहा देश भर में मनवाया था.

रिपोर्ट- उत्पल पाठक, लखनऊ

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