Fire Fighter Drone India: अमेरिका और ब्रिटेन में गगनचुंबी इमारतों में आग बुझाने के इस्तेमाल होने वाले फायर फाइटर ड्रोन टेक्नोलॉजी का अब उत्तर प्रदेश अग्निशमन विभाग भी प्रयोग करेगा. फायर ब्रिगेड के वाटर पंप से इन फायर फाइटर ड्रोन को जोड़ा जाएगा और पानी आग से प्रभावित मंजिल पर सीधे पहुंच सकेगा. इसके चलते जान का जोखिम भी कम हो जाएगा, चूंकि इन ड्रोन को रिमोट के माध्यम से जमीन से ही कंट्रोल किया जा सकता है.
यूपी सरकार ने अग्निशमन विभाग को फिलहाल 697 करोड़ रुपये का बजट दिया है, जिससे ड्रोन टेक्नोलॉजी और छोटे फायर ब्रिगेड खरीदने की तैयारी की जा रही है. इस फायर फाइटर ड्रोन टेक्नोलॉजी से गगनचुंबी बिल्डिंग में आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ड्रोन को बिल्डिंग के बाहर से ऊपर मंजिल पर भेजा जाता है. ड्रोन को फायर टीम के एक्सपर्ट नीचे से ही कंट्रोल करते हैं. ड्रोन को 3 किलोमीटर दूर से कैमरे से देखकर ऑपरेट किया जा सकता है और अंधेरे में भी तस्वीरें भेज सकता है. इस ड्रोन में लगे पाइप को नीचे खड़ी फायर ब्रिगेड से जोड़ा जाता है. इसके बाद पानी से आग पर छिड़काव कराकर आग बुझाई जाती है. इन ड्रोन से आग बुझाने वाली फोम का भी छिड़काव किया जा सकता है.
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ऊंची इमारत में अंदर जाने का रास्ता ब्लॉक हो जाए तो फायर फाइटर ड्रोन कामयाब रहेंगे.
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ड्रोन में कैमरे भी लगे होते हैं, जिससे बिल्डिंग के ऊपरी हिस्से की तुरंत जानकारी मिलेगी.
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फायर टीम के सदस्यों के साथ होने वाले हादसों में भी कमी आएगी.
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आग लगने पर बचाव और राहत कार्य तुरंत ही शुरू किया जा सकता है.
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करीब 80 मीटर ऊंची बिल्डिंग तक जा सकेगा.
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120 किलो से ऊपर का वजनी रहेगा फायर फाइटर ड्रोन.
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करीब 20 से 25 मीटर दूरी तक फेंक सकेगा पानी.
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फायर फाइटर ड्रोन में लगे होंगे कैमरे.
इस बजट में फायर विभाग हाईराइज बिल्डिंग में आग बुझाने के लिए इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोलिक प्लेटफार्म लाई जाएगी. वहीं, गलियों में अंदर तक जा सकें, ऐसी छोटी फायर ब्रिगेड भी ली जाएगी. इसके अलावा हर ब्लॉक स्तर पर फायर स्टेशन खोलने की भी योजना है.
फायर विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिलों के लिए फोम टैंडर खरीदे जाएंगे, ताकि केमिकल और पेट्रोलियम पदार्थों की आग को बुझाया जा सके. वहीं, अमोनिया रिसाव के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अमोनिया सूट की भी खरीद की जाएगी. फायर फाइटर ड्रोन को चलाने के लिए पुलिस को ट्रेनिंग दी जाएगी. हाईटेक उपकरण चलाने के लिए ट्रेनिंग होगी. बाकी व्यवस्था भी की जाएगी.
प्रदेश के बड़े शहरों में आसमान छूती इमारतें हैं. ऐसे में किसी ऊंची इमारत में आग लग जाए तो आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है. फायर ब्रिगेड को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सकरी गलियों की वजह से भी फायर ब्रिगेड को घटनास्थल तक पहुंचाने में दिक्कत आती है. जिसकी वजह से आग बुझाने में टाइम लगता है. इसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस टेक्नोलॉजी को विभाग को सौंपने का निर्णय लिया है.