पूर्व कैबिनेट मंत्री, बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का निधन , शाम 7.30 बजे गोरखपुर में ली अंतिम सांस
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री, बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी निधन हो गया है. दो दशक से अधिक समय तक पूर्वांचल की राजनीति के एक ध्रुव माने जाने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी ने मंगलवार शाम लगभग 7.30 बजे ,गोरखपुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली.
लखनऊ. प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री, बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी निधन हो गया है. वे चिल्लूपार विधानसभा से लगातार विधायक रहे. दो दशक से अधिक समय तक पूर्वांचल की राजनीति के एक ध्रुव माने जाने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी ने मंगलवार शाम लगभग 7.30 बजे ,गोरखपुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. पंडित हरिशंकर तिवारी के निधन की सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में उनके समर्थक घर की तरफ दौड़ पड़े. गोरखपुर हाता पर हजारों समर्थकों की भीड़ जुट गयी है. हरिशंकर तिवारी को प्यार से बाबूजी कहकर बुलाया जाता है. गोरखपुर की राजनीति के इतिहास में, हजार किस्सों और कहानियों में कहे सुने जाने वाले तिवारी 1985 से 2007 तक विधायक रहे.
2012 में विधान सभा का चुनाव पहली बार हारे
1985 में निर्दलीय उम्मीदवार बनकर चुनाव मैदान में उतरे तो फिर मुड़कर नहीं देखा. लगातार विधानसभा जाते रहे. हालांकि राजनीतिक दल खूब बदले. कांग्रेस के टिकट पर तीन बार चुनाव जीते. विधान सभा के 2007 के चुनाव में बसपा ने राजेश त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया. हरिशंकर तिवारी गोरखपुर चिल्लूपार विधान सभा से 6 बार विधायक बने. 2012 में विधान सभा का चुनाव पहली बार हारे और इसके बाद उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा.
कल्याण से लेकर मायावती तक की सरकार में रहे मंत्री
जीवन के कई पड़ाव और सतायु के करीब पहुंच चुके हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण राजनीति के क्षत्रप बने हुए थे. 1997 में उन्होंने जगदंबिका पाल, राजीव शुक्ला, बच्चा पाठक, श्याम सुंदर शर्मा के साथ अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के संस्थापक सदस्य के रूप में अपनी ताकत दिखायी थी. भारतीय जनता पार्टी की कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में (1997-1999) मुलायम सिंह यादव सरकार (2003-2007) में मंत्री बने. यही नहीं 2000 में, वह राम प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में स्टाम्प और पंजीकरण कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. 2001 में, वह राजनाथ सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और 2002 में भी, वह मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.