दुधवा में बाघों की मौत की जांच करेगी चार सदस्यीय कमेटी, CM योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद वन विभाग का फैसला
दुधवा टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक बाघों की मौत सवालों के घेरे में है. वन्य जीव प्रेमियों ने जहां इस पर चिंता जताई है, वहीं वन महकमा अभी तक स्पष्ट वजह नहीं बता पाया है. अब सीएम योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद कमेटी गठित की गई है, जो बाघों की मौतों को लेकर गहन पड़ताल करते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
Lucknow: उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद वन महकमा हरकत में आ गया है. मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है. यह समिति अवकाश प्राप्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव संजय सिंह की अध्यक्षता में गठित की गई है.
इसमें भारतीय वन सेवा के एक और अवकाश प्राप्त अफसर व दो जानवरों के चिकित्सक शामिल हैं. समिति बाघों की मौत का कारण पता लगाने केे साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के मद्देनजर अपने सुझाव भी देगी, जिनके आधार पर निर्णय किया जाएगा. कमेटी को अपनी रिपोर्ट 10 दिन में सौंपनी होगी.
दुधवा टाइगर रिजर्व में 21 अप्रैल से नौ जून के मध्य तीन बाघों और एक तेंदुए की मौत हो चुकी है. एक के बाद एक वन्य जीवों की मौत के बाद वनाधिकारी जहां सक्रिय नहीं हुए है, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. इसके बाद वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना, अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे को मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश दिए गए.
मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद दुधवा के फील्ड डायरेक्टर, डीएफओ सहित कई अधिकारियों व कर्मचारियों को हटा दिया गया. अब मुख्यमंत्री के मामले की जांच जांच विशेषज्ञों की समिति से कराने के निर्देशों के तहत समिति का गठन किया गया है. विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे ने भारतीय वन सेवा के 1987 बैच के अवकाश प्राप्त अफसर संजय सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की है.
इसमें 1998 बैच के अवकाश प्राप्त अफसर आरके सिंह, लखनऊ प्राणी उद्यान के उप निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला व गोरखपुर के पशु चिकित्सक डॉ. योगेश प्रताप सिंह शामिल हैं. जांच टीम बाघों-तेंदुए की मौत की वजह तलाशेगी, जिससे इस बारे में स्थिति स्पष्ट हो सके. इसके साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के मद्देनजर अपने सुझाव भी देगी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर वन महकमा उचित कदम उठाएगा.