विदेशों में भैंस का मांस, रेशम और हस्तनिर्मित कालीन की मांग खूब हो रही, 6 साल में 100% बढ़ा यूपी का निर्यात
यूपी ने 2016-17 में 84,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया. वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 174,000 करोड़ रुपये था.
लखनऊ. पिछले छह वर्षों में उत्तर प्रदेश से निर्यात 100% से अधिक हो गया है.यूपी स्टेट एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो द्वारा किए गए एक आंकलन में यह जानकारी दी गई है.आंकड़े बताते हैं कि यूपी ने 2016-17 में 84,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया. वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 174,000 करोड़ रुपये था. चालू वित्त वर्ष में निर्यात को दो लाख करोड़ रुपये के पार होने को है. विभिन्न सूचकांक संकेत मिलता है कि यूपी से माल के शीर्ष 10 खरीदार यूएसए, यूएई, नेपाल, यूके, जर्मनी, वियतनाम, नीदरलैंड, फ्रांस, चीन और मिस्र हैं. ये मिलकर उत्तर प्रदेश के निर्यात में 60% का योगदान करते हैं.
चावल, चीनी, लोहा और गेहूं का भी निर्यात
राज्य के निर्यात को बढ़ावा देने वाले उत्पादों में दूरसंचार उपकरण, भैंस का मांस, आरएमजी कपास, सहायक उपकरण, आरएमजी मानव निर्मित फाइबर, चमड़े के जूते, काठी और हार्नेस, एल्यूमीनियम और एल्यूमीनियम उत्पाद, रेशम और हस्तनिर्मित कालीन, मशीनरी और इंजीनियरिंग सामान, चावल, चीनी, लोहा और इस्पात, हस्तशिल्प , गेहूं आदि शामिल हैं.
निर्यात टोकरी को चौड़ा कर रही सरकार
उद्योग, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआई और निवेश प्रोत्साहन के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा कहा: “2023-24 वित्तीय वर्ष की योजना में निर्यात टोकरी को चौड़ा करना और राज्य में निर्यातकों की संख्या में वृद्धि करना, क्षमता निर्माण शामिल है. निर्यात प्रक्रियाएं, ओडीओपी की निर्यात क्षमता को अनलॉक करना और भौगोलिक संकेत, निर्यात वृद्धि के लिए ई-कॉमर्स का लाभ उठाना अन्य चीजों के साथ उत्पाद विकास की सुविधा प्रदान करना प्राथमिकता में है.
निर्यात प्रोत्साहन योजना की हो रही तारीफ
इससे पहले, फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के एक आंकलन के अनुसार, यूपी के विकास का कारण राज्य सरकार की निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं रही हैं. यदि एक निर्यातक निर्यात संवर्धन ब्यूरो के साथ पंजीकृत है, तो उन्हें विदेशी मेलों में स्टाल शुल्क का 60%, अधिकतम 2 लाख रुपये तक, 60% इकॉनमी हवाई किराया अधिकतम 1 लाख रुपये तक की मदद की जाएगी. प्रचार पर कुल खर्च का 60% अधिकतम 75,000 रुपये वार्षिक तक, विदेशी खरीदार को नमूने भेजने की लागत का 75%, अधिकतम 1 लाख रुपये प्रति वर्ष तक और प्रमाणीकरण की लागत का 50 % तक, अधिकतम 2 लाख रुपये प्रति वर्ष की मदद दी जाएगी.