लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीलीभीत के मुस्तफाबाद से गांगेटिक डॉल्फिन (Gangetic Dolphin) को यूपी के जलीय जीव का दर्जा देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि तालाबों और नदियों को शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए. गांगेय डाल्फिन प्रदेश में गंगा, यमुना, चंबल घाघरा, राप्ती, गेरूआ आदि नदियों में पायी गयी है. एक अनुमान के अनुसार राज्य में गांगेय डाल्फिन की संख्या लगभग 2000 है. सीएम योगी ने कहा कि वन्य जीवों को लेकर किस प्रकार का व्यवहार होना चाहिए इसका प्रशिक्षण यहां के लोगों को दिया जाना चाहिए. टाइगर रिजर्व से जुड़े आरक्षित क्षेत्र के हर गांव के लोगों को ट्रेनिंग देकर उन्हें गाइड के रूप में मान्यता देनी चाहिए. जिससे लोगों को रोजगार मिल सके. स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता दे देंगे तो उन्हें रोजगार मिलेगा. पूरे गांव में जागरूकता पैदा होगी. उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना होगा कि जो पर्यटक या स्थानीय लोग आते हैं. वह प्लास्टिक का उपयोग करके कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे जल और प्रकृति प्रदूषित हो.
गांगेय डॉल्फिन का शिकार करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दंडनीय अपराध है. 04 अक्टूबर 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई गंगा नदी घाटी प्राधिकरण की एक बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुझाव पर विलुप्त हो रही गंगा डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित करने का फैसला किया गया था. गांगेय डॉल्फिन आईयूसीएन की लुप्तप्राय जीवों की सूची में शामिल है. इसलिये प्रतिवर्ष इसकी गिनती की जाती है. वन विभाग और डब्लूडब्लूएफ इंडिया की टीम इनकी खास निगरानी करते हैं. यह एक दुर्लभ डॉल्फिन प्रजातियों में से एक है. यह नदी की सतह पर आकर सांस लेती है. इसे ग्रामीण सूंस मछली भी बोलते हैं. ये डॉल्फिन कभी कभी नदी से नहरों में भी आ जाती है. जिससे ग्रामीण उसे मार देते हैं. प्रतापगढ़ एक बार ग्रामीणों ने एक गांगेय डॉल्फिन को पीट-पीटकर मार दिया था. इस मामले में ग्रामीणों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था.