लखनऊ: यूपी की घोसी विधानसभा चुनाव का परिणाम शुक्रवार को आएगा. सुबह 7 बजे से वोटों की गिनती शुरू होगी. I.N.D.I.A गठबंधन बनने के बाद यह पहला चुनाव है. जहां एक ओर NDA ने इस चुनाव को जीतने के लिये अपनी पूरी ताकत झोंकी है. वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को कांग्रेस और रालोद ने अपना समर्थन दिया था. बीएसपी यहां न्यूट्रल थी. एनडीए में हाल ही में शामिल हुए ओम प्रकाश राजभर के लिय भी यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. पूर्वांचल में राजभर वोटों पर उनकी पकड़ को साबित करेगा.
घोसी विधानसभा उपचुनाव कितना महत्वपूर्ण इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आमतौर पर उपचुनाव में प्रचार से बचने वाले अखिलेश यादव ने यहां जनसभा की थी. वहीं चाचा शिवपाल यादव लगातार वहां डेरा डाले रहे थे. प्रो. राम गोपाल यादव भी यहां प्रचार के लिये गये थे. वहीं बीजेपी ने इस चुनाव को भी हमेशा की तरह पूरी गंभीरता से लिया था. दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने यहां जनसभाएं की. सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां पहुंचे. वहीं मंत्रियों ने लगातार पूरी विधानसभा को मथा था.
यूपी की घोसी विधानसभा उपचुनाव 52 प्रतिशत मतदान हुआ था. जो कि 2022 में हुए चुनाव से काफी ज्यादा था. यूपी के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर 2022 में कुल 42.21 प्रतिशत वोट पड़े थे. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी से दारा सिंह चौहान ने जीत हासिल की थी. जो कि बीजेपी छोड़कर सपा में आए थे. उन्होंने ने बीजेपी के विजय राजभर को 22216 वोटों से हराया था. इस बार फिर से वह बीजेपी के पाले में हैं. जबकि सपा से सुधाकर सिंह मैदान में हैं.
घोसी विधानसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आयी थी. यहां सबसे ज्यादा चार-चार बार भाकपा और बीजेपी ने चुनाव जीता है. कांग्रेस यहां से तीन बार विजयी रही है. सपा और बसपा ने दो-दो बार यह सीट जीती है. जबकि एक-एक बार जनता दल, लोकदल व जनता पार्टी को यहां जीत मिली है. इस बार बीजेपी या सपा कौन जीतेगा, इसका परिणाम 8 सितंबर को आएगा.
घोसी विधानसभा में 4.5 लाख से अधिक मतदाता हैं. यहां 90 हजार से अधिक मुस्लिम, लगभग इतने ही दलित मतदाता, 60 हजार यादव, 60 हजार राजभर जाति के मतदाता हैं. इसके अलावा क्षत्रिय, निषाद, मौर्य, भूमिहार मतदाता भी यहां हैं. लेकिन वह जीत-हार को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं हैं. माना जा रहा है कि दलित मतदाता जिसके साथ जाएगा, उसके हक में परिणाम होगा.
घोसी सीट पहले आजमगढ़ का हिस्सा थी. 1951 के चुनाव में घोसी पूर्व और घोसी पश्चिम के नाम से दो विधानसभा सीटें थीं. घोसी पूर्व से सोशलिस्ट पार्टी के राम कुमार और पश्चिम में यूपी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के झारखंडे राय को जीत हासिल हुई थी.
घोसी सीट अस्तित्व में 1957 के विधानसभा चुनाव में आई. इस बार भी झारखंडे राय यहां से विधायक बनें. इसके बाद 1962 और 1967 में भी वह भाकपा के टिकट पर यहां से जीते. भाकपा प्रत्याशी के रूप में वह लगातार चार बार विधायक बने. इसके बाद 1968 में घोसी लोकसभा सीट से वह सांसद भी बने. विधायकी तरह ही उन्होंने 1971 और 1980 सांसदी भी जीती. हालांकि 1977 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.