लखनऊ: घोसी की जनता बीते छह साल में चौथी बार वोट देने जा रही है. वर्ष 2019 में उपचुनाव हुआ था. अब 2023 में फिर से उपचुनाव हो रहा है. जबकि 2017 और 2022 में विधानसभा सामान्य चुनाव हुआ था. बताया जा रहा है कि बार-बार चुनाव होने से जनता में नाराजगी है. इसलिये इस बार बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. इसलिये सत्तारूढ़ बीजेपी ने दारा सिंह चौहान की जीत के लिये अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं समाजवादी पार्टी ने सुधाकर सिंह को मैदान में उतारकर स्थानीय बनाम बाहरी मुद्दे को हवा दी है.
घोसी विधानसभा उपचुनाव में 5 सितंबर को मतदान होगा. यह 2017 से लेकर अब तक छह वर्ष में चौथा मौका है जब इस विधानसभा के मतदाता वोट डालेंगे. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी से फागू चौहान यहां से विधायक बने थे. उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को चुनाव हराया था. फागू चौहान को बीजेपी नेतृत्व में बिहार का राज्यपाल बना दिया, तो यह सीट खाली हो गयी.
2019 में यहां उपचुनाव हुआ तो विजय राजभर को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया. उनके सामने समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह मैदान में उतरे थे. इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी विजय ने जीत हासिल की थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान पाला बदलकर समाजवादी पार्टी में चले गये. सपा ने उन्हें घोसी से प्रत्याशी बना दिया. दारा सिंह चौहान ने ये सीट 2022 में सपा की झोली में डाल दी.
Also Read: सरयू एक्सप्रेस में खून से लथपथ महिला कांस्टेबल के मामले में हाईकोर्ट जांच से संतुष्ट, 13 सितंबर को सुनवाई
2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं बनी. इसी के साथ ही दारा सिंह चौहान का मन भी सपा से उचटने लगा. आखिरकार चुनाव के एक साल बाद ही उन्होंने सपा का दामन छोड़कर फिर से बीजेपी जॉइन कर ली. साथ ही विधानसभा से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसी के चलते वहां 5 सितंबर को उपचुनाव हो रहा है. अब घोषी की जनता यहां सुधाकर सिंह को चुनती है या दारा सिंह को, इसका खुलासा 8 सितंबर को होगा.