Hanuman Jayanti 2023: चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान राम के सेवक संकटमोचक हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसलिए इस पूर्णिमा तिथि का बेहद महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा हासिल होती है. जो लोग लंबे समय से संकट से जूझ रहे हों, जिनकों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हो, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें कम नहीं हो रही हों या अन्य किसी भी प्रकार का संकट हो, यदि वह हनुमान जयंती पर पूजा अर्चना के साथ कुछ उपाय करें तो तो उनके सभी प्रकार के संकट खत्म होंगे.
उत्तर प्रदेश में हनुमान जयंती का पर्व बेहद व्यापक तौर पर मनाया जाता है. इस दिन हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. हनुमान जयंती पर जुलूस भी निकाले जाते हैं. मंदिरों में रामचरितमानस से लेकर सुंदरकांड का आयोजन किया जाता है. इस बार भी हनुमान जयंती पर्व को लेकर तैयारियां की जा रही हैं. वहीं इस बार पूर्णिमा तिथि 5 और 6 अप्रैल दो दिन है. ऐसे में लोगों में हनुमान जयंती को लेकर असमंजस की स्थिति है. उनमें दुविधा है कि हनुमान जयंती कब है (When is Hanuman Jayanti) और किस शुभ मुहूर्त और पूजा विधि से वह रामभक्त हनुमान जी की कृपा हासिल कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य जितेंद्र शास्त्री के मुताबिक इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि 5 मार्च सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं इसका समापन 6 अप्रैल की सुबह 10 बजकर 4 मिनट पर होगा. हनुमान जी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हुआ था. इस साल हनुमान जयंती 6 अप्रैल, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. रामभक्त हनुमान जी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल को सुबह 06.06 मिनट से 07.40 मिनट तक का है. इस दिन का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.02 से दोपहर. 12.53 तक है.
इस दौरान हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक, सुंदरकांड, रामचरितमानस का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा हासिल होगी. हनुमान जी की पूजा करते समय भगवान राम का पूजन अवश्य करें, क्योंकि इसके बिना हनुमान जी की पूजा अपूर्ण मानी जाती है. हनुमान जयंती के दिन सूर्य ग्रह उच्च स्थान में होता है. इस दिन ग्रहों की शुभ चाल बढ़ जाती है और नकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है. इसलिए यह अत्यंत शुभ मुहूर्त होता है जब लोग अपनी ग्रह दशा को संतुलित कर सकते हैं. इस दिन हनुमान जी पूजा अर्चना करने से न सिर्फ ग्रह दोष शांत होता है, बल्कि नवग्रह कृपा मिलती है.
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हनुमान जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि करके सूर्य भगवान को जल अर्पण करें.
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स्नान के बाद लाल रंग का कपड़ा पहनें और पूजा के लिए लाल रंग के ही आसन का चुनाव करें.
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एक चौकी पर प्रभु राम, माता सीता एवं हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. इसके पश्चात व्रत एवं पूजा का संकल्प लें.
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सबसे पहले प्रभु राम एवं माता सीता की पूजा विधि पूर्वक करें. उसके बाद हनुमान जी को लाल पुष्प, लाल लंगोट, जनेऊ, लाल चंदन, सिंदूर, फल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, वस्त्र, चमेली का तेल, बूंदी के लड्डू आदि अर्पित करते हुए पूजा करें.
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हनुमान जी को श्री राम नाम की माला चढ़ाने से वह बेहद जल्दी प्रसन्न होते हैं.
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हनुमान चालीसा का पाठ करें. सुंदरकांड का पाठ करने से विशेष कृपा हासिल होगी.
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हनुमान जी की आरती कपूर या घी के दीपक से करें. विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए तिल के तेल का उपयोग कर सकते हैं.
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पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. मंगल ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं.
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फलाहार करते हुए व्रत रखें. शाम को संध्या आरती करें. रात्रि जागरण करें. अगले दिन सुबह स्नान के बाद फिर पूजन करें.
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सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.