लखनऊ. पंडित हरीशंकर तिवारी के निधन से गोरखपुर में शोक की लहर है. देशभर की राजनीतिक आदि हस्तियां शोक प्रकट कर रही हैं. अंतिम दर्शन करने वालों का तांता लगा हुआ है. जीवन के 90 बसंत देख चुके पंडित हरीशंकर ने अपना अंतिम समय भले ही सक्रिय राजनीति के शोर से दूर काटा लेकिन शुरुआती दौर ऐसा था कि इंदिरा गांधी तक उनकी आवाज पहुंची थी. कांग्रेस के सदस्य रहकर , कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री के खिलाफ ताल ठोंकने वाले बाहुबली पंडित हरीशंकर तिवारी ने जेल के अंदर रहकर , बाहर की राजनीति को हिला दिया था. 1985 के साल में जेल से निर्दलीय चुनाव लड़कर जीतने वाले तिवारी ताकत के पर्याय बन गए. इसके साथ ही पूर्वांचल से ‘बाहुबल ‘ की सदन में ऐसी एंट्री हुई क ये सिलसिला अनवरत चलता रहा. विधान सभा से लेकर संसद तक बाहुबली सीधे पहुंचते रहे.
1997 से 2007 तक लगातार रहे मंत्री कुछ साल पहले हरिशंकर तिवारी ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में आपबीती बतायी थी. बीबीसी को बताया कि ” ये क्रिया की प्रतिक्रिया थी जो वो चुनावी राजनीति में आए. बीबीसी की एक रिपोर्ट में हरिशंकर तिवारी कहते हैं “कांग्रेस पार्टी में मैं पहले से ही था. पीसीसी का सदस्य था, एआईसीसी का सदस्य था. इंदिरा जी के साथ काम कर चुका था, लेकिन चुनाव कभी नहीं लड़ा था. तत्कालीन राज्य सरकार ने मेरा बहुत उत्पीड़न किया, झूठे मामलों में जेल भेज दिया और उसके बाद ही जनता के प्रेम और दबाव के चलते मुझे चुनाव लड़ना पड़ा.” जेल में रहकर विधायक बनने के बाद वे मंत्री भी रहे.
1997 से 2007 तक कोई भी सरकार आई हो मंत्रीपद की शपथ लेने वालों की सूची में गोरखपुर के पंडित तिवारी का नाम दर्ज होना मान लिया जाता था. कौन थे यूपी के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी, पढ़ें उनका राजनीतिक सफरनामा” हरिशंकर तिवारी का जन्म गोरखपुर की गोला तहसील के टांडा गांव में भोला तिवारी के यहां हुआ था. एक जुलाई 1938 में जन्मे तिवारी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नात्कोत्तर की डिग्री ली. नेशनल डिग्री कॉलेज बड़हल गोरखपुर के 1973 में अध्यक्ष रहे. 1965 से गोरखपुर विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्य भी रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश की 10 वीं विधान सभा के रिकार्ड के अनुसार हरिशंकर तिवारी की समाज सेवा के बाद यदि किसी चीज में रुचि थी तो वह इंडोर गेम में थी.