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Hathras Stampede: राजनीतिक दलों के संपर्क में था हाथरस हादसे का मुख्य आरोपी देव प्रकाश, दो सेवादार और गिरफ्तार

Hathras Stampede: हाथरस हादसे के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर की गिरफ्तारी के बाद नए खुलासे हो रहे हैं. मधुकर से जुड़े बैंक खाते, चल-अचल संपत्ति, मनी ट्रेल की भी जांच हो रही है. अन्य एजेंसियों से भी जांच में सहयोग लिया जाएगा.

हाथरस: सत्संग में हुई भगदड़ (Hathras Stampede) मामले में पुलिस ने दो और सेवादारों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम रामप्रकाश शाक्य व संजू यादव हैं. हाथरस भगदड़ मामले में पुलिस ने अब तक मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि इनसे विगत कुछ समय पूर्व कुछ राजनीतिक पार्टियों ने संपर्क किया था. इसलिए अब फंड इकट्ठा करने के संबंध में जांच की जा रही है. कहीं इस तरह के कार्यक्रम और अन्य संसाधन किसी राजनीतिक पार्टी से पोषित तो नहीं हैं.

बैंक खाते, चल-अचल सम्पत्ति, मनी ट्रेल की हो रही जांच

हाथरस के एसपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि देव प्रकाश मधुकर (Dev Prakash Madhukar) को एसओजी ने शुक्रवार देर शाम नजफगढ़ (दिल्ली) से गिरफ्तार किया था. जबकि सिकंदराराऊ पुलिस ने शनिवार को रामप्रकाश शाक्य को कैलोरा चौराहा और संजू यादव को गोपालपुर कचौरी सिकंदराराऊ से गिरफ्तार किया है. देवप्रकाश मधुकर इस संगठन में काफी दिनों से जुड़े होने के कारण फंड रेजर बन गया था. संगठन को चलाने, सत्संग कराने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहा था. अब तक की पूछताछ से पता चला है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक व निजी स्वार्थ्य के लिए इनसे जुड़े हैं. अभियुक्त देवप्रकाश मधुकर से जुडे हुए समस्त बैंक खाते, चल-अचल सम्पत्ति, मनी ट्रेल इत्यादि की जांच की जा रही है. जिसमें आवश्यकतानुसार अन्य एजेंसियों से भी सहयोग लिया जाएगा.

भीड़ को संभालने का नहीं किया गया प्रयास

पुलिस के अनुसार प्रारंभिक पूछताछ में अभियुक्त देवप्रकाश मधुकर ने बताया कि वह एटा में वर्ष 2010 से मनरेगा में जूनियर इंजीनियर के पद पर संविदा पर कार्यरत है. वह इस संगठन से वर्षों से जुड़ा है और कार्यक्रम आयोजित कराना, संगठन के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करता है. वह 2 जुलाई को ग्राम फुलरई में आयोजित सत्संग के कार्यक्रम का मुख्य आयोजक था. इस कार्यक्रम की अनुमति उसी ने ली थी. आरोपी देवप्रकाश और अन्य सेवादारों ने पुलिस प्रशासन को कार्यक्रम स्थल के अंदर किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका था. कार्यक्रम स्थल पर किसी भी व्यक्ति को वीडियोग्राफी अथवा फोटोग्राफी करने से रोका जाता था. प्रशासन से जारी अनुमति पत्र में की कई शर्तों का उल्लंघन करते हुए यातायात व्यवस्था इत्यादि को प्रभावित किया गया. पूछताछ से यह भी पता चला है कि आयोजकों ने भीड़ को संभालने का कोई प्रयास नहीं किया था. सभी मौके से फरार हो गए थे.

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