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Hathras Stampede: हाथरस भगदड़ मामले में एसडीएम, सीओ, तहसीलदार सहित 6 निलंबित, एसआईटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई

Hathras Stampede: 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ के मामले में एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर छह अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. इन अधिकारियों के ऊपर जिम्मेदारी में लापरवाही और उच्च अधिकारियों को वस्तु स्थिति की जानकारी न देने का आरोप है.

लखनऊ: हाथरस में हुई भगदड़ के मामले में एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज सहित 6 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. हादसे की जांच के लिए गठित एसआईटी रिपोर्ट की संस्तुति के आधार पर ये कार्रवाई की गई है. रिपोर्ट के अनुसार इन अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया. वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया. इसलिए एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की है.

125 लोगों के लिए बयान

यूपी सरकार से मिली जानकारी के अनुसार हाथरस के सिकंदराराऊ में 02 जुलाई को सत्संग के दौरान हुए हादसे के एसआईटी का गठन किया गया था. एसआईटी में शामिल एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटना स्थल का निरीक्षण किया. जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान लिया. जिसमें प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों, आम जनता और प्रत्यक्षदर्शियों का बयान भी लिया गया. घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार की प्रतियों, स्थलीय विडियोग्राफी, छायाचित्र, विडियो क्लिपिंग का भी संज्ञान लिया गया. इसी आधार पर जांच समिति अपनी रिपोर्ट पेश की है.

कार्यक्रम आयोजक मुख्य रूप से जिम्मेदार

एसआईटी ने प्रारंभिक जांच में चश्मदीद गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर हादसे के लिए कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है. वहीं हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है. एसआईटी का मानना है कि आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति ली. अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया. अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त एवं सुचारु व्यवस्था नहीं की गई. न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन की अनुमति की शर्तों का पालन किया गया.

आयोजकों ने पुलिस से दुर्व्यवहार किया

रिपोर्ट बताया गया है कि आयोजक मंडल अव्यवस्था फैलाने का दोषी दोषी पाया गया है. इन लोगों ने बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जिन्हें जोड़ा, उनसे अव्यवस्था फैली. आयोजकों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया. स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया. सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई. भारी भीड़ को देखते हुए वहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग या पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी. हादसा होने पर आयोजक घटना स्थल से भाग गए.

अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया

एसआईटी ने कार्यक्रम आयोजक, तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी जांच में दोषी पाया है. स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज ने अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही बरती. उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ ने बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए आयोजन की अनुमति दी. इसकी वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी भी नहीं दी. यही नहीं अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया. एसआईटी की संस्तुति के आधार पर शासन ने उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकंदराराऊ, थानाध्यक्ष सिकंदराराऊ, तहसीलदार सिकंदराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा और चौकी इंचार्ज पोरा को निलंबित कर दिया है.

ये हुए निलंबित

रावेंद्र कुमार, उपजिलाधिकारी सिकंदराराऊ
आंनद कुमार, सीओ सिकंदराराऊ
सुशील कुमार, तहसीलदार सिकंदराराऊ
आशीष कुमार, प्रभारी निरीक्षक थाना सिकंदराराऊ
मनवीर सिंह, कचौरा चौकी प्रभारी

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