हाथरस: सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गठित एसआईटी ने हाथरस हादसे (Hathras Stampede) की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है. एसआईटी की शुरुआत जांच में ही प्रशासन और आयोजकों की लापरवाही से हादसा होने की बात सामने आई थी. प्रत्यक्षदर्शियों, मृतकों के परिजनों, घायलों से बातचीत के बाद एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है. इस रिपोर्ट में भी शुरुआती जांच में सामने आई लापरवाही को ही हादसे का मुख्य कारण माना जा रहा है. पुलिस प्रशासन को सत्संग पंडाल में जाने न देने और बाहरी सुरक्षा में लगाए जाने के कारण हालात बिगड़े. सुरक्षा व्यवस्था में कमी के कारण बिगड़ती स्थिति को संभाला नहीं जा सका.
पुलिस, प्रशासन, आयोजकों पर हो सकती है कड़ी कार्रवाई
एसआईटी में शामिल एडीजी अनुपमा कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्रा वी. ने रिपोर्ट में 125 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं. आयोजन की अनुमति से लेकर सत्संग की समाप्ति तक के घटनाक्रम को इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है. रिपोर्ट के आधार शासन अब अपनी कार्रवाई करेगा. पुलिस और प्रशासन के लोगों की जिम्मेदारी के इसमें आयोजक मंडल पर भी कार्रवाई होना तय है. पुलिस ने मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर सहित नौ लोगों को अब तक इस मामले में गिरफ्तार किया है. अभी और गिरफ्तारियां भी संभव हैं. हालांकि भोले बाबा उर्फ नारायाण साकार हरि उर्फ सूरज पाल का नाम अभी एफआईआर में शामिल नहीं किया गया है.
सीएम योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे मौके पर
हाथरस हादसे के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ स्वयं मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने पूरी घटना, पीड़ितों से बातचीत और अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद प्रेस कांफ्रेंस की थी. उन्होंने इस मामले में साजिश की आशंका भी जताई थी. इसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी हाथरस पहुंची थी. संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अलीगढ़ और हाथरस पहुंचकर भुक्तभोगियों से बातचीत की थी. इसके बाद उन्होंने सीएम योगी को पत्र लिखकर पीड़ित परिवारों के लिए घोषित मुआवजे को बढ़ाने और जल्द से जल्द भुगतान करने की अपील की थी. एसआईटी रिपोर्ट आने के बाद अब अन्य कार्यों में तेजी आएगी.
न्यायिक आयोग भी कर रहा जांच
हाथरस भगदड़ की न्यायिक आयोग भी जांच कर रहा है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव की नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल इस हादसे की जांच कर रहा है. आयोग को दो माह में रिपोर्ट सौंपने और भविष्य में भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रमों के आयोजन की एसओपी तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है. न्यायिक आयोग के सामने बयान दर्ज कराने आए लोगों ने भी भोले बाबा के चरण रज लेने के अनाउंसमेंट, उनके निजी सुरक्षाकर्मियों की धक्का-मुक्की और सत्संग के कुप्रबंधन पर अपनी उंगलियां उठाई हैं.
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