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कहीं आपका पैन-आधार तो नहीं बेच रहे साइबर अपराधी , हाईटेक तरीके से फर्जी आइडी बनाने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़

ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हुए, गिरोह ने इन वैध विवरणों में हेरफेर किया और नकली दस्तावेज़ बनाने के लिए उन्हें संशोधित किया. नकली दस्तावेज़ों में वैध आधार या पैन नंबर और नाम थे, लेकिन अन्य सभी जानकारी मनगढ़ंत थी.

लखनऊ: वाराणसी की साइबर अपराध पुलिस ने फर्जी वेबसाइट बनाकर उसके जरिए जाली आधार कार्ड और पैन कार्ड के माध्यम से खरीदे गए फर्जी सिम कार्ड एवं बैंक खाते खुलवाकर साइबर अपराध करन वाले अंतर्राज्जीय गैंग का खुलासा किया है. बिहार के जहानाबाद से इस गैंग के तार जुड़े हैं. पुलिस ने पुलिस ने आरोपी अफजल आलम, सुशील कुमार और मोहम्मद इरशाद को गिरफ्तार कर उन सभी साफ्टवेयर को नष्ट कर दिया है जिसके जरिए नकली पहचान पत्र बनाकर उसका उपयोग पूरे भारत में साइबर अपराध के लिए किया जा रहा था.

बैंक खाते खोलने से लेकर सिम कार्ड तक खरीदे 

ऑपरेशन के पीछे गिरोह ने ऐसी वेबसाइटें- एप्लिकेशन विकसित कीं, जिन्होंने हजारों नकली पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनाए. इन पहचान पत्रों को बैंक खाते खोलने,सिम कार्ड प्राप्त करने तथा धोखाधड़ी करने वाले साइबर अपराधियों को बेच दिया गया. इस गिरोह की पहुंच पहचान पत्र मुद्रण सेवा तक थी. पहुंच का फायदा उठाकर कार्डधारकों के नाम सहित वैध पैन, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड विवरण हासिल कर लेते थे. ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हुए, गिरोह ने इन वैध विवरणों में हेरफेर किया और नकली दस्तावेज़ बनाने के लिए उन्हें संशोधित किया. नकली दस्तावेज़ों में वैध आधार या पैन नंबर और नाम थे, लेकिन अन्य सभी जानकारी मनगढ़ंत थी.

जाली पहचान पत्रों को अपराधियों को बेचा

इन जाली पहचानों को अपराधियों को प्रीमियम दर पर बेचा गया था, जो उनका उपयोग बैंक खाते खोलने और सिम कार्ड हासिल करने के लिए करते थे. सत्यापन के लिए केवल पहचान पत्र नंबरों पर बैंकों और दूरसंचार प्रदाताओं की निर्भरता ने कानून प्रवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पैदा कर दी, क्योंकि फर्जी विवरणों ने जांच को भटका दिया. इस मामले में सफलता तब मिली जब वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की टीम ने फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने और वितरण में शामिल एक अंतरराज्यीय गिरोह के नेता सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया.

आधार कार्ड –  पैन कार्ड का नंबर सहीं, बाकी गलत जानकारी भरते

गिरोह एक फर्जी वेबसाइट और अन्य ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) और एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) एपीआई तक पहुंच प्राप्त करने में कामयाब रहा था. एसपी साइबर क्राइम प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इन वेबसाइट तक पहुंच पैसा देकर मिलती है. अगर किसी के पास किसी का आधार कार्ड या पैन कार्ड का नंबर है, तो वह उसे उसमें डाल कर कोई भी बदलाव करवा सकता है. पुलिस के मुताबिक, किसी भी समय यूआईडीएआई और एनएसडीएल के डेटाबेस से समझौता या उल्लंघन नहीं हुआ. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति साइबर अपराधियों को नकली दस्तावेज़ों की आपूर्ति करते थे.

यूआईडीएआई -एनएसडीएल डेटाबेस से एपीआई की अवैध खरीद

एसपी साइबर क्राइम प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने कहा कि यह एक परिष्कृत ऑपरेशन था जिसमें डार्कवेब और टेलीग्राम पर सक्रिय साइबर अपराधियों से यूआईडीएआई और एनएसडीएल डेटाबेस एपीआई की अवैध खरीद शामिल थी. इन विवरणों का दुरुपयोग करके गिरोह हजारों नकली पैन कार्ड और आधार कार्ड बनाने में सक्षम था, जिसे उन्होंने बैंक खाते खोलने, सिम कार्ड प्राप्त करने और धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने के लिए साइबर अपराधियों को बेच दिया. सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी टीम ऐप डेवलपर, एपीआई एक्सेस विक्रेता और पूरे भारत में इस गिरोह के आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है.

टेलीग्राम-व्हाट्सऐप के जरिए जुटाते थे डाटा

एसपी ने बताया कि अफजल आलम, सुशील कुमार और मोहम्मद इरशाद ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिससे फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनाए जा सकते हैं. गिरोह अब तक हजारों लोगों को ठग चुके हैं. पुलिस को कई दिनों से ऐसी शिकायत मिल रही थी कि पेंशनभोगी लोगों को बहला-फुसलाकर उनके खाते से पैसे निकाले जा रहे हैं. गिरोह पूरे देश में काम कर रहा है. ये लोग बैंक में खाता खुलवा कर तरह-तरह की आईडी बना लेते थे. बाद में पता चला कि इस तरह की दर्जनों वेबसाइट संचालित की जा रही हैं. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस गिरोह के कुछ लोग टेलीग्राम और व्हाट्सऐप के जरिए काम करते हैं. जगह-जगह से डेटा लेकर एक डेटाबेस बनाया है, जिसमें लोगों का पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार नंबर है. ये लोग इस सॉफ्टवेयर का प्रचार बड़े-बड़े यूट्यूबर्स के चैनल के जरिए कराते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पर अपना कार्ड बना लें, लेकिन लोगों को पता नहीं होता कि उनका कार्ड फर्जी बन रहा है.

वाराणसी ास

इसी मामले में नौ लोगों को जेल भेजा गया था. तीन लोगों को बुधवार को गिरफ्तार किया गया. करीब 25 और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है. एसपी ने बताया कि गिरफ्त में आए अभियुक्तों के पास से अनेक इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किए गए हैं. पंकज यादव को 24 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था, और जांच से पता चला कि वह अफजल आलम के साथ मिलकर काम कर रहा था. पंकज यादव के मोबाइल फोन, लैपटॉप और बैंक खातों की आगे की जांच से अफ़ज़ल आलम और उसके सहयोगियों की संलिप्तता का पता चला. नतीजतन, 11 जुलाई 2023 को वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की टीम ने अफजल आलम के बेटे नजीर मिया को लखनऊ जिले से दो अन्य व्यक्तियों के साथ सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया.

लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड बरामद

अब तक नौ अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और फर्जी वेबसाइटों की जांच से जुड़ी एक व्यापक जांच के माध्यम से, वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की टीम ने लखनऊ से तीन व्यक्तियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार किया। ऑपरेशन में लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और अपराधों को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई अन्य सामग्री बरामद की गई. शुरुआती सफलता 7 मई 2023 को जहानाबाद, बिहार के रहने वाले चंदन यादव और दीपक यादव की गिरफ्तारी के साथ हुई. ये व्यक्ति अवैध साइबर गतिविधियों के लिए देश भर के विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खोलने के लिए नकली आधार और पैन कार्ड का उपयोग कर रहे थे.इस हाई-टेक फर्जी पहचान पत्र एप्लिकेशन को नष्ट करना साइबर अपराध से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों में उत्तर प्रदेश साइबर पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

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