Holi 2022, UP News: रंगों का त्योहार होली को आने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं. बाजारों में रंग, अबीर और गुलाल बिकने लगे हैं. बिना रंगों के होली की कल्पना नहीं की जा सकती है. रंगों से खेलने से पहले ये ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाए. केमिकल युक्त रंग न केवल आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि कई तरह की गंभीर एलर्जी का कारण बन सकते हैं. वहीं बाजार में कई रंग हर्बल रंग कहकर बेचे जाते हैं, लेकिन वो भी केमिकल युक्त निकलते हैं.
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीजा जैदी ने बताया कि होली में बिकने वाले सिंथेटिक रंगों के निर्माण में इस्तेमाल किये जाने वाले मैलाकाइट, कार्सिनोजेनिक, रोडामाइन जैसे विषाक्त केमिकल बेहद हानिकारक होते हैं. इन रंगों के इस्तेमाल से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. जैसे,
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स्किन में जलन और खुजली
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स्किन एलर्जी और इन्फेक्शन
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आंखों में लगने से जलन की समस्या
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एक्जिमा और कैंसर जैसी बीमारी का खतरा
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अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी समस्या का खतरा
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एएमए हर्बल के सह-संस्थापक और सीईओ यावर अली शाह ने बताया कि आज के दौर में हर्बल रंगों की पहचान करना बेहद जरूरी है, क्योंकि बाजार में बड़े स्तर पर केमिकल युक्त रंग बिक रहे हैं, जिनका आपकी त्वचा व स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है. इसलिए इनको पहचानने के कई तरीके हैं. पहला मार्केट में रंगों को खरीदते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि अधिक चमकीले रंगों को न खरीदें.
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दरअसल, रंगों में चमकीलापन लाने के लिए इसमें अभ्रक (माइका डस्ट) भी मिलाये जाते हैं. बाजार से रंगों को खरीदते समय इसके निर्माण में उपयोग की कई सामग्रियों के बारे में जरूर पढ़ लें. पैकेट में बिकने वाले रंगों को बनाने में इस्तेमाल की गयी सामग्री के बारे में लेबल पर लिखा जाता है, जिससे असली और नकली रंगों की पहचान कर सकते हैं.
रंगों से अगर पेट्रोल या स्प्रिट की महक आ रही है तो यह मिलावटी रंग हो सकते हैं. हर्बल गुलाल का बाजारों में काफी मांग है. प्रति वर्ष बाजार में लगभग 20 से 25 प्रतिशत हर्बल गुलाल की डिमांड बढ़ रही है. लोगों को हर्बल गुलाल खूब पसंद आ रहे हैं. पड़ने की आशंका होती है।
होली में केमिकल युक्त रंगों के इस्तेमाल से स्किन से जुड़ी कई समस्याओं के होने का खतरा होता है. हानिकारक केमिकल से बनने वाले रंग मार्केट में आसानी से मिल जाते हैं. इन्हें बनाने में भी कम समय लगता है और हर्बल रंगों की तुलना में ये सस्ते भी होते हैं. इसलिए अधिकतर लोग इन रंगों को खरीद लेते हैं. त्वचा के लिए हानिकारक माने जाने वाले इन रंगों के आंख में जाने से बड़ी समस्या हो सकती है.
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चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीजा जैदी के मुताबिक, पारा, सल्फेट, लेड ऑक्साइड, तांबा सल्फेट और मैलाकाइट जैसे कई अन्य तरह के हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल कर इन रंगों को बनाया जाता है. इन रंगों में कई तरह के ग्लास पार्टिकल्स और अभ्रक (माइका डस्ट) आदि भी मौजूद होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, इन रंगों के इस्तेमाल से स्किन से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. शरीर पर मौजूद चोट या घाव में जाने से ये एक्जिमा और कैंसर के अलावा आंख और त्वचा में जलन, एलर्जी और गंभीर संक्रमण भी पैदा कर सकते हैं.
एएमए हर्बल के सह-संस्थापक और सीईओ यावर अली शाह ने यह भी बताया कि एमए हर्बल की कंपनी ने हर्बल गुलाल की एक पूरी रेंज बाजार में उतारी है. ये पूरी तरह से हर्बल है. इसमें अरारोट पाउडर का इस्तेमाल किया गया है. ये त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. साथ ही पर्यावरण के लिए 100 फीसद अनुकूल है. यहां तक की इन रंगों से बच्चों को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.
केमिकल युक्त रंगों की पहचान करना जरूरी है, वरना ये आपकी सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. बाजार में मिलने वाले जिन रंगों का इस्तेमाल आप कर रहे हैं, उनके बारे में भी जान लेना चाहिए. मिलावट के इस दौर में मिलावटी और नकली रंग बाजार में आसानी से बिकते नजर आ जाते हैं. ये रंग हमारी स्किन के लिए बेहद नुकसानदायक माने जाते हैं. ऐसे में बाजार से होली के लिए रंग खरीदते वक्त इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम मिलावटी या नकली रंग तो नहीं खरीद रहे हैं?
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केमिकल से बने रंगों के इस्तेमाल से त्वचा के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. इन रंगों में मौजूद ग्लास और डस्ट पार्टिकल्स हवा की गुणवत्ता को भी खराब करते हैं. होली में रंगों के अलावा गुलाल और अबीर का प्रयोग किया जाता है, जिनमें ये पदार्थ मौजूद होते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में पीएम 10 की मात्रा भी इन नकली और मिलावटी अबीर या गुलाल के इस्तेमाल से बढ़ जाती है. इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों से जुड़ी समस्या का भी खतरा बढ़ जाती है.
यह बहुत हल्का और चिकना है. इस गुलाल में चमक नहीं होती है. इसमें सुगंध और स्वच्छता होती है. इसका रंग गाढ़ा होता है.
यह देखने में मैला होता है. इसमें हानिकारक रंग मिले होते हैं. इसमें रेत व बालू की मात्रा होती है. यह गुलाल भारी होता है.
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हरा- कॉपर सल्फेट की मिलावट, जिससे आंखों में जलन, एलर्जी, सूजन व अंधापन हो सकता है.
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नीला- प्राश्यिन ब्लू की मिलावट, जिससे स्किन कैंसर हो सकता है.
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सिल्वर- एल्मुनियम ब्रोमाइट की मिलावट, जिससे त्वचा पर छाले पड़ने की आशंका होती है.
Posted By: Achyut Kumar