CM योगी ने कैप्टन अंशुमान सिंह को दी श्रद्धांजलि, परिजनों को 50 लाख की आर्थिक सहायता-सरकारी नौकरी देने का ऐलान
सियाचिन ग्लेशियर में तैनात कैप्टन अंशुमान सिंह के बलिदान के बाद उनके लखनऊ स्थित घर और देवरिया के पैतृक गांव में शोक का माहौल है. लखनऊ एयरपोर्ट में आज उनका पार्थिव शरीर आने पर सेना के अफसर और अन्य अधिकारी श्रद्धांजलि देंगे. इसके बाद देवरिया में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
Lucknow News: लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में आग की घटना में सेना के कैप्टन डॉ. अंशुमान सिंह शहीद हो गए. वह राजधानी में आलमनगर मोहान रोड स्थित एमरल्ड ग्रीन निवासी थे. इसी वर्ष फरवरी में उनका विवाह हुआ था. उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को विशेष विमान से लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद के प्रति अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि व्यक्त की है.
लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बुधवार को आग की घटना में उत्तरी कमान के कैप्टन डॉ. अंशुमान सिंह बलिदान हो गए. उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य मंत्रियों और विभिन्न दलों के नेताओं ने गहरा शोक जताया है.
देवरिया में शहीद अंशुमान सिंह के नाम पर सड़क का ऐलान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सियाचिन में शहीद हुए जनपद देवरिया निवासी सेना के कैप्टन अंशुमान सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने की भी घोषणा की है. इसके साथ ही उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा जनपद की एक सड़क का नामकरण शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के नाम पर करने की भी घोषणा की है.
मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि शोक की इस घड़ी में प्रदेश सरकार उनके साथ है. प्रदेश सरकार की ओर से शहीद के परिवार को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी. वहीं भाजपा की ओर से कहा गया कि सियाचिन ग्लेशियर पर हुई हृदय विदारक दुर्घटना में लखनऊ निवासी मेडिकल ऑफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह मातृभूमि पर सर्वोच्च बलिदान देकर शहीद हो गए हैं. वीर शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को शत शत नमन है.
बताया जा रहा है कि गोला बारुद के बंकर में शार्ट सर्किट की वजह से आग लग गई और कई टेंट जल गए. 26 वर्षीय डॉ. अंशुमान सिंह रेजिमेंटल मेडिकल अफसर थे. आग लगने पर वे अपने साथियों को बचाने में जुट गए. इस दौरान गंभीर रूप से झुलस गए. उनके साथ अन्य साथी भी हादसे में झुलस गए. झुलसे तीनों जवानों की हालत स्थिर बताई जा रही है.
सेना के प्रवक्ता के मताबिक, आग लगने की घटना तड़के तीन बजे हुई. इसमें मेडिकल ऑफिसर गंभीर रूप से झुलस गए, जिससे उनका निधन हो गया. तीन अन्य कर्मियों को धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ हुई और वे झुलस गए. उन्हें तत्काल इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया. घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है.
डॉ. अंशुमान सिंह लखनऊ में आलमनगर मोहान रोड स्थित एमरल्ड ग्रीन निवासी बताए जा रहे हैं. अमौसी एयरपोर्ट प्रशासन के मुताबिक गुरुवार को विशेष विमान से डॉ. अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर लखनऊ लाया जाएगा, जहां अमौसी एयरपोर्ट पर सेना की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. इसके बाद उनका पार्थिव शरीर घर के लिए रवाना कर दिया जाएगा.
आलमनगर क्षेत्र में सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त होने वाले रवि प्रताप सिंह के घर में इस घटना की जानकारी आने के बाद पूरा परिवार शोकाकुल है. चार महीने पहले जिस बेटे की शादी की शहनाइयां बज रही थी, जिसकी दुल्हन आने के बाद सभी लोग बेहद खुश थे और सपने संजो रहे थे, अब अचानक उसके दुनिया के चले जाने का समाचार सुनकर परिजनों को यकीन नहीं हो रहा.
अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह को फोन पर सेना की ओर से इसकी जानकारी दी गई. इसके बाद उन्होंने पत्नी को घटना के बारे में बताया. बेटे के बलिदान होने की जानकारी के बाद से मां बेहद सदमे में हैं. किसी तरह हिम्मत करके उन्होंने अंशुमान की पत्नी स्मृति को फोन करके इसकी सूचना दी.
स्मृति पंजाब के पठानकोट की रहने वाली है और इस समय वह अंशुमान की बहन डॉ. तान्या सिंह के साथ नोएडा में है. परिवार में अंशुमान का छोटा भाई घनश्याम है, जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है.
रवि प्रताप का परिवार मूलरूप से देवरिया के गांव बरडिहादलपत थाना लार का रहने वाला है. शहीद कैप्टन अंशुमान के चाचा अनुज प्रताप सिंह पैरामिलिट्री में सिपाही हैं. उन्होंने बताया कि अंशुमान का अंतिम संस्कार देवरिया में करने की योजना है. उसका पार्थिव शव एयरफोर्स के माध्यम से वहां पहुंचाने के लिए रक्षा मंत्रालय से बातचीत चल रही है.
उधर गांव में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के दादा सत्य नारायण सिंह, चाचा हरि प्रकाश सिंह, भानू सिंह, सूर्य प्रताप सिंह आदि रहते हैं. जैसे ही उनको परिजनों के जरिए घटना की सूचना मिली तो सभी सकते में आ गए. परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. चाचा हरि प्रकाश ने बताया कि अंशुमान तीन वर्ष पहले गांव आए थे, सभी लोग उन्हें बेहद पंसद करते थे.