लखनऊ. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. नियमों की अनदेखी से पोस्टिंग की जा रही है. संविदा पर तैनात पदाधिकारियों को हर माह लाखों रुपये का भुगतान हो रहा है. नियम न होने के बाद भी प्राधिकरण में 48 इंजीनियर और 3 राजस्व अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं. रिटायर्ड अफसरों से ही महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्य कराया जा रहा है. यह गड़बड़ी खुद औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने पकड़ी है. मंत्री की तरफ से उनके निजी सचिव प्रहलाद पटेल ने यूपीडा के सीईओ नरेंद्र भूषण को पत्र लिखा है. अभियन्ताओं को हटाने के निर्देश दिए हैं जो नियमों की अनदेखी करके तैनात किये गए हैं. मंत्री का लैटर भी वायरल हो रहा है.
औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता ने पत्र में एक मार्च के पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि 45 अभियंता व 3 राजस्व सेवा के अधिकारी शासनादेश के विरुद्ध 5 वर्ष से भी अधिक अवधि से तैनात हैं. इस बात का कारण पूछा है कि लोक निर्माण विभाग से निरन्तर प्रतिनियुक्ति पर तैनात अभियन्ताओं को अवमुक्त करने के लिए प्रतिस्थानी की मांग की जा रही है. प्रतिस्थानी न होने के कारण प्रतिनियुक्ति पर तैनात अभियन्ताओं को कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है.
यूपी में तैनात परामर्शी संस्थाओं के कार्यों का विवरण दिया है लेकिन किसको कितना भुगतान किया या होना हे इसका विवरण प्रमाणित नहीं किया गया. अनिल कुमार पांडेय मुख्य महाप्रबन्धक सिविल को 70 हजार , एनएन श्रीवास्तव महाप्रबन्धक सिविल को 40 हजार रुपये तथा विशेष कार्याधिकारी को 17838 और अन्य 12 कर्मचारियों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह मासिक मानदेव वेतन के अतिरिक्त दिया जा रहा है. किस आधार किस शासनादेश के अन्तर्गत मानदेय के अतिरिक्त यह भत्ता स्वीकृत किया इसका जवाब मांगा है.
एक पत्र में 48 के स्थान पर मात्र 11 अपर अभियन्ताओं के प्रतिस्थानी एवं अन्य पत्र में नवसृजित पद अवर अभियन्ता (प्राविधिक) के पद पर तैनाती की मांग की गयी है. शेष 37 अभियन्ताओं व 03 राजस्व अधिकारी के लिए लिख गये पत्र को न तो सलग्न किया गया है, न ही इसका उल्लेख ही किया गया है.मंत्री ने पूछा है कि प्रतिनियुक्ति पर तैनाती के लिए पत्र लिखने के स्थान पर प्रतिनियुक्ति पद तैनाती के लिए विज्ञापन क्यों नहीं निकाला गया .इस संबंध में तत्काल विज्ञापन निकालकर 02 माह के अन्दर प्रतिनियुक्ति पर नई तैनाती करके 5 वर्ष से अधिक की प्रतिनियुक्ति वाले अधिकारियों का कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया है.
मंत्री ने अत्यंत संवेदनशील कार्य से सेवानिवृत्त गैर प्रशासनिक अधिकारी को तत्काल हटाकर प्रतिनियुक्ति पर तैनात किसी डिप्टी कलेक्टर- प्रशासनिक अधिकारी को काम आवंटित करने को कहा है. हाईकोर्ट में यूपीडा की ओर से वादों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश चन्द्र चतुर्वेदी को 1,75,000 तथा वरिष्ठ अधिवक्ता एसबी पाण्डेय को 1,50,000 रुपये का का भुगतान किया जा रहा है. मंत्री का कहना है कि सभी वाद समान रूप से महत्वपूर्ण नहीं होते. प्रत्येक वाद के लिए इतनी बड़ी धनराशि का भुगतान पर सवाल उठाया है. प्रांशुल चन्द्र को एनजीटी के अधिवक्ता के रूप में 50 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जा रहा है. मंत्री का कहना है कि एनजीटी के वादों के लिए अलग से अधिवक्ता नियुक्त करने का क्या औचित्य है?
पेट्रोल प्रतिपूर्ति भी मनमाने ढंग से की जा रही है इसका भी हिसाब देने के निर्देश हैं. यूपी में तैनात परामर्शी संस्थाओं के कार्यों का विवरण दिया गया है किंतु उनको किये गए भुगतान का विवरण नहीं दिया गया है. यह ब्यौरा मांगा है. पत्र के पांचवे बिन्दु में कहा गया है कि यूपीड़ा में संविदा पर तैनात अनूप श्रीवास्तव को रु 1.40 लाख तथा बीएस दूबे को 1.25 लाख एवं किशोर को 1.25 लाख प्रतिमाह भुगतान किया जा रहा है . वेतन निर्धारण का ये आधार तर्कसंगत नहीं है इसका परीक्षण किया जाये. साथ ही दुर्गेश उपाध्याय, मीडिया सलाहकार को प्रतिमाह सवा लाख रुपये के मानदेय देने पर भी आपत्ति प्रकट की है. दोबारा विज्ञापन निकालकर समानुपातिक वेतन पर मीडिया सलाहकार की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं.
16 जून 2022 को भी औद्यौगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनाती पर आपत्ति प्रकट की थी. राजीव त्यागी को बिना पद के ही प्रधान महाप्रबंधक बनाने पर सवाल उठाया था. अपर मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब की थी. वह पत्र भी वायरल हुआ था. उसमें भी नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विभिन्न विभागों में अफसरों को पहले प्रतिनियुक्ति पर रखने, बाद में विभाग में मर्जर करने का खेल पकड़ा था. पदोन्नति में अनियमितता पर भी सवाल उठाया था.