UP Election News: प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में वोटर्स को अपने खेमे में लाने की कवायद कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए गुरुवार का दिन काफी खास है. पूर्वांचल में वोटबैंक को मजबूत करने के लिए सारे समीकरण बना रही भाजपा ने किसान आंदोलन का समापन कराने के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड में भी अपने लिए स्थान मजबूत कर लिया है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को किसानों का क्षेत्र कहा जाता है. ऐसे में किसान आंदोलन ने यहां की राजनीति को भी काफी प्रभावित कर रखा है. पश्चिमी यूपी तकरीबन 115 विधानसभा सीट आती हैं. साल 2017 में भाजपा ने यहां करीब 38 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जाहिर है कि किसान आंदोलन ने इस क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर भी काफी प्रभाव किया है. सोशल मीडिया में भी इसे लेकर काफी गर्मी देखी गई है. यहां के किसानों ने भी किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
अब जब गुरुवार को किसान आंदोलन की वापसी का ऐलान कर दिया गया है तो ऐसे में इस क्षेत्र में भाजपा के लिए कोई खुशहाली होगी या नहीं यह गंभीर विषय है. मगर किसानों की कमोबेश सभी शर्तों पर सैद्धांतिक सहमति बनाने के साथ ही किसान आंदोलन को समाप्त कराना केंद्र की मोदी सरकार के लिए बड़ी जीत है. इस बारे में यूपी की राजनीति को लंबे से कवर करते आ रहे एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि यह कहना कि पश्चिमी यूपी को भाजपा जीत चुकी है, यह जल्दबाजी है. किसानों का यह आंदोलन अभी कुछ समय के लिए थमा है. यह पूरी तरह से बंद हो चुका है, यह कहना जल्दबाजी है.
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल और पश्चिमी विधानसभा क्षेत्रों में पकड़ हासिल करने वाले ने ही विधानसभा चुनाव में मजबूती हासिल की है. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल पूर्वांचल की सभी 164 विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी को बढ़-चढ़कर साबित करने की कोशिश करती हैं. पूर्वांचल में करीब 28 जिले आते हैं. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिजार्पुर, बहराइच, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं. इन सभी विधानसभा सीटों ने हमेशा ही यूपी की राजनीति को किनारों तक पार लगाया है. जाहिर है पूर्वांचल में सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी दोनों ने जो पुरजोर कोशिश कर रखी है, यह उसी का इशारा करती है. हालांकि, वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने नजरिए में हमेशा से ही यह कहा है कि किसान आंदोलन की आंच से पूर्वांचल में कोई खास असर नहीं पड़ा है.
यहां यह जानना जरूरी है कि भाजपा को साल 2017 में पूर्वांचल में करीब 115 सीट पर विजय हासिल हुई थी. वहीं, सपा को 17 सीट पर जीत मिली थी. बसपा के खाते में भी 14 सीट आई थीं. कांग्रेस को दो जबकि अन्य के खाते में 16 सीट गई थीं. भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इस 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह के परिणामों को हासिल करे. यही कारण है कि बीते कुछ दिनों में पूर्वी यूपी को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर एम्स और हजारों करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी गई है.