लखनऊ: रालोद बीजेपी के बीच डील होने से यूपी की राजनीति में गर्मी आ गई है. यूपी बजट सत्र के बीच समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन के लिए रालोद बीजेपी का समीकरण नया संकट लेकर आया है. एक तरफ समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद डिंपल यादव और महासचिव शिवपाल सिंह यादव रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के रुख को लेकर आशावान हैं. लेकिन रालोद के X एकाउंट पर हुई एक टिप्पणी ने अचानक हलचल पैदा कर दी है.
रालोद के X एकाउंट से संदेश चला है कि ‘हमारे किसान भोले जरूर हैं पर मूर्ख नहीं हैं, वे बहुत समझदार हैं और सशक्त हैं. ये मैसेज सपा नेताओं के बयान के बाद आया है. जिसमें कहा गया था कि किसानों की लड़ाई को जयंत कमजोर नहीं होने देंगे. इन दोनों बयानों में विरोधाभास होने के कारण बीजेपी रालोद की डील की चर्चा को सही माना जाने लगा है. हालांकि न तो रालोद और न ही जयंत चौधरी की तरफ से कोई बयान सामने आया है, जिससे डील की बात की पुष्टि होती हो.
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यूपी में रालोद के 9 विधायक हैं. इसमें से तीन समाजवादी पार्टी के नेता हैं और रालोद के सिंबल पर जीते हैं. अखिलेश यादव इसी समीकरण को लोकसभा चुनाव में भी चाहते हैं. बताया जा रहा है कि इसीलिए अचानक जयंत और अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं. अखिलेश यादव चाहते हैं कि कैराना, मुजफ्फर नगर और बिजनौर में सपा का प्रत्याशी रालोद के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े. लेकिन मुजफ्फर नगर सीट पर रालोद दावाकर रहा है. इसके पीछे का कारण है कि यहां से बीते चुनाव में चोधरी अजित सिंह 6 हजार वोट से हारे थे. इसलिए इस सीट को वह अपने खाते में चाहती है. यह भी चर्चा है कि कैराना और बिजनौर को लेकर रालोद ने सहमति दी है लेकिन मुजफ्फर नगर और हाथरस को लेकर दिक्कतें बनी हुई हैं.
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बीजेपी- मेरठ, मुजफ्फर नगर, बागपत, कैराना, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर
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बसपा-बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, अमरोहा
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सपा- मुरादाबाद, संभल
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2009 में बीजेपी रालोद का गठबंध हुआ था, तब रालोद के पांच सांसद जीते थे
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2014 में रालोद आठ सीटों पर चुनाव लड़कर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
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2019 में सपा और बसपा गठबंधन के साथ तीन सीटों पर लड़ी लेकिन एक भी नहीं जीत पाई