Lucknow: IVF baby ‘प्रार्थना’ 23 साल पहले अपनी मां की गोद में ढेरों खुशियां लेकर आई थी, वही ‘प्रार्थना’ अब स्वयं मां बन गई है. प्रार्थना का मां बनना इस मायने में उपलब्धि है कि वह स्वयं एक आईवीएफ बेबी है. आईवीएफ तकनीक से जन्मी ‘प्रार्थना’ ने सामान्य तरीके से एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. इस बच्ची का स्वागत एक स्थानीय होटल में केक काटकर किया गया.
अजंता हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर की निदेशक डॉ. गीता खन्ना ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि उन्होंने प्रार्थना का जन्म 23 साल पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के रूप में कराया था. उन्हीं की देखरेख में अब प्रार्थना ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. साथ ही 23 साल पुराने संबंध को और प्रगाढ़ कर दिया है.
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि आईवीएफ ऐसे सभी दंपतियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, जिनकी संतान प्राप्ति की चाहत में अकसर बाधाएं आतीं हैं. आईवीएफ तकनीक कोई नई नहीं लेकिन 23 साल पहले जब शहर की पहली आईवीएफ बेटी प्रार्थना ने जन्म लिया तो सभी को अचंभा हुआ था. आज उसी बेटी ने एक बच्चे को जन्म देकर वो तमाम भ्रांतियां तोड़ इस तकनीक के दावे को और पुख्ता कर दिया है.
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि मेरे ही हाथों से आईवीएफ संतान प्रार्थना का 1998 में जन्म हुआ था और दो साल पहले ही उसकी शादी हुई. उसने पिछले हफ्ते अजंता अस्पताल और में एक बच्चे को जन्म दिया. उन्होंने बताया कि ढाई दशक पहले जब लखनऊ में उन्होंने आईवीएफ शुरू किया तो इसके लिए मरीज को राजी करना एक कठिन काम था. उन्होंने बीते 25 वर्षों में अब तक निःसंतान दंपत्तियों को 8000 से अधिक आईवीएफ बच्चे दिए जा चुके हैं.
प्रार्थना ने इस मौके पर कहा कि मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है. आज मां बनकर मैंने साबित कर दिया कि आईवीएफ एक सामान्य प्रक्रिया है, जो संतान उत्पत्ति में तमाम बाधाओं का निराकरण करती है. अब और उसका परिवार इस उपलब्धि से बहुत खुश है.
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि आईवीएफ की सफलता मां की आयु और उचित रोगी चयन पर निर्भर करती है. निःसंतान दंपत्ति के लिए मेरी अपील है कि वे एक ही छत के नीचे कुशल नवजात देखभाल के साथ एक अच्छे प्रसूति देखभाल अस्पताल का चयन करें. जान लें,केवल 10-15% को ही आईवीएफ और आईसीएसआई की जरूरत पड़ती है.